Firaq Gorakhpuri was an Indian writer. His real name was Raghupati Sahay. Considered as one of the most famous Urdu poets from India, Firaq Gorakhpuri is known for his unique style. We are presenting his top quotes that we liked.
एक-एक दिन एक-एक बूँद का समय लेकरपानी पत्थर होता जाता है पानी पेड़ होता आता हैएक-एक रात रंग लेकर समय लोहा होता जाता हैएक-एक दिन से लोहा लेकर समय ताँबा होता जाता हैएक दिन में करोड़ों बरस (firaq gorakhpuri)
एक-एक दिन एक-एक बूँद का समय लेकरपानी पत्थर होता जाता है पानी पेड़ होता आता हैएक-एक रात रंग लेकर समय लोहा होता जाता हैएक-एक दिन से लोहा लेकर समय ताँबा होता जाता है
अचानक सोना हो जाता है लाखों-लाख बरस का समयपचास बरस का सोना समयहजार बरस के सोना समय के साथ कसा जाता हैहजार बरस पुराना राँगा काम आता है टाँके केचीजों में पड़कर कोई समय खोटा कोई खरा हो जाता हैएक दिन में करोड़ों बरस (firaq gorakhpuri)
अचानक सोना हो जाता है लाखों-लाख बरस का समयपचास बरस का सोना समयहजार बरस के सोना समय के साथ कसा जाता हैहजार बरस पुराना राँगा काम आता है टाँके केचीजों में पड़कर कोई समय खोटा कोई खरा हो जाता है
कहीं इस धरती के करोड़ों बरसएक वक्त का खाना नहीं जुटा पातेकहीं करोड़ों बरस एक प्याली चाय में बदल जाते हैंकहीं इस धरती के करोड़ों बरस जमा हो जाते हैंरिजर्ब बैंक मेंएक दिन में करोड़ों बरस (firaq gorakhpuri)
कहीं इस धरती के करोड़ों बरसएक वक्त का खाना नहीं जुटा पातेकहीं करोड़ों बरस एक प्याली चाय में बदल जाते हैंकहीं इस धरती के करोड़ों बरस जमा हो जाते हैंरिजर्ब बैंक में
एक जीना जग जाहिरएक जीना चुपचापदो-दो प्रकार से जीना पड़ता है एक जीवनकई बारकई बार (firaq gorakhpuri)
एक जीना जग जाहिरएक जीना चुपचापदो-दो प्रकार से जीना पड़ता है एक जीवनकई बार
इस गुंडा समय में न मैं लाठी होना चाहता हूँन चाकू न पिस्तौलइस गुंडा समय में मैं अपने समय काएक गुंडा नहीं होना चाहता हूँगुंडा समय (firaq gorakhpuri)
इस गुंडा समय में न मैं लाठी होना चाहता हूँन चाकू न पिस्तौलइस गुंडा समय में मैं अपने समय काएक गुंडा नहीं होना चाहता हूँ
कभी हिंदू होकर किसी हिंदू गुंडे की प्रतीक्षा करूँगाकभी मुसलमान होकर किसी मुस्लिम गुंडे का इंतजारजो मुझे जितनी बार आ-आकर बचाएँगेउतनी बार मारा जाऊँगा मैंसारी व्यवस्थाओं का भरोसा छीनकरइस गुंडा समय मेंन मैं मंदिर में रहना चाहता हूँ न मस्जिद मेंगुंडा समय (firaq gorakhpuri)
कभी हिंदू होकर किसी हिंदू गुंडे की प्रतीक्षा करूँगाकभी मुसलमान होकर किसी मुस्लिम गुंडे का इंतजारजो मुझे जितनी बार आ-आकर बचाएँगेउतनी बार मारा जाऊँगा मैंसारी व्यवस्थाओं का भरोसा छीनकरइस गुंडा समय मेंन मैं मंदिर में रहना चाहता हूँ न मस्जिद में
Also : Laal Singh Chaddha | An Appreciation | EkChaupal
बिखेरने की आज़ादी और समेटने का सुख – लिखने की इससे बेहतर परिभाषा की खोज में निकला एक व्यक्ति। अभिनय से थककर शब्दों के बीच सोने के लिए अलसाया आदमी।
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