Forgetting by Devashish Makhija | Power of Remembrance | EkChaupal
बचपन से लेकर बूढ़े होने तक हम कितना कुछ भूल जाते हैं, भूल जाएंगे और कितना कुछ याद रहेगा… इन कहानियों के अंत में पहुँचकर लगा कि मैं बूढ़ा हो चुका हूँ और अपनी हाथ की रेखाओं को टटोलकर देख रहा हूँ कि क्या ये बचा रहेगा मेरे पास या फिर forgetting की सतत प्रक्रिया में कहीं खो जाएगा।