Suzume : The Art of Great Storytelling | EkChaupal

Suzume : The Art of Great Storytelling | EkChaupal

This shift from individual to universal is something worth experiencing. It is the key ingredient. This makes the character go Woah! But more than the Suzume, we the people who have identified with her, cheered for her, rooted for her, cried with her, laughed at and with her are suddenly looking with our mouths ajar at what is happening. It makes me shiver, cry and feel goosebumps all over my body.

Notes on TAR | Cate Blanchett | EkChaupal

Notes on TAR | Cate Blanchett | EkChaupal

The whole sequence without any break… the way she carries herself in every frame. Every tone of her body, her voice, her silence… Cate Blanchett disappears… I can literally see nothing of her, yet she is there… where is the technique? Where is the art? The music in her acting… she is the character… she is Tar… and Tar is here…

Laal Singh Chaddha | An Appreciation | EkChaupal

Laal Singh Chaddha | An Appreciation | EkChaupal

क्यूंकी जहां से मैं देख रहा हूँ – हम आज इस समय ऐसे हैं (जो कुछ भी अच्छा और बुरा है) क्यूंकी हमने कुछ खास कहानियाँ बार बार कही और सुनी हैं। और भविष्य भी बनेगा तो इस बात पर हम कौनसी कहानी सुनने और कहने की इच्छा रखते हैं। तो इस मामले में मुझे Laal Singh Chaddha बहुत पसंद आई है। तुम भी एक बार देख लेना।

Badhai Do | First LGBTQ Film of Mainstream Hindi Cinema | EkChaupal

Badhai Do | First LGBTQ Film of Mainstream Hindi Cinema | EkChaupal

लेकिन इसे देखने के बाद लगा कि असल मायनों में तो यह हिंदी मेनस्ट्रीम सिनेमा की पहली lgbtq फ़िल्म है। क्यूँकि यह पहली थी जो सच में उनके के जीवन के बारे में थी। उनकी इच्छाओं, उनकी लड़ाइयों और उनके समझौतों को थोड़ा करीब से देख पाने का एक मौका। उनकी नज़र से।

Everything Everywhere All at Once | What It Means to be Human? | Ekchaupal

Everything Everywhere All at Once | What It Means to be Human? | Ekchaupal

कोई कहता है There are only few specks of time where everything makes sense और मैं इस फ़िल्म को बनाने वालों को शुक्रिया कहती हूँ आँसुओं के बीच। साथी यह फ़िल्म जब अपने अंतिम क्षणों में होती है तो लगता है यह वही सब बातें हैं जो हम जानते हैं हमेशा से सुनते हैं लेकिन फिर भी फिर भी हमें उन्हें फिर से अलग अलग ज़रिए से एक पूरी यात्रा करके दोबारा सुनना ज़रूरी होता है अलग अलग कॉन्टेक्स्ट में जिससे हर बार वही अर्थ किसी नए तरीके से हमें मिलता है… वो क्षण when it all makes sense।

Achal Mishra’s Dhuin | Second Letter | Ekchaupal.com

Achal Mishra’s Dhuin | Second Letter | Ekchaupal.com

साथी, अचल मिश्रा की dhuin देखी कल मैंने भी। देखने के बाद जब तुम्हारा पत्र आया (Dhuin | First Letter) तो मेरे आँख के कोने में एक आँसू था शायद। कोई ठीक तभी अँधेरे में मुझे युद्ध की खबर सुना के गया था और मेरे भीतर पंकज का चलना रुका नहीं था। मैंने तुमसे कहा कि समझा नहीं सकती क्या लग रहा है।

Dhuin | Achal Mishra | First Letter | Ekchaupal.com

Dhuin | Achal Mishra | First Letter | Ekchaupal.com

सखी, अचल मिश्रा की dhuin देखी। पहला शब्द। पहला visual और कुछ देर बाद मुझे लगा ये तो मैं हूँ। मैंने पंकज की चुप्पी में खुदके बहुत से हिस्से देखे। बहुत निजी हिस्से। उसके संवाद से ज्यादा उसकी चुप्पी मे मुझे मैं दिखा। और तो और मेरे आस पास के बहुत से लोग दिखे।

Gehraiyaan : दुनिया का सबसे बूढ़ा भूत!

Gehraiyaan : दुनिया का सबसे बूढ़ा भूत!

साथी,

कल रात गहराइयाँ देखी शकुन बत्रा की। फ़िल्म देखने के बाद गहराइयाँ शब्द से रिश्ता बदल गया। गहराइयाँ कहते हुए मन में कितनी ही परतें खुलती हैं भीतर और कितनी फ़िर भी छूट जाती अनछुई। ठीक ऐसी ही है अलीशा। कहानी जिसके इर्द गिर्द घूमती है। शायद अब तक का सबसे सुंदर किरदार शकुन का। दीपिका ने इसे जितने करीब से जिया है वो बता पाना मुश्किल है।

Happy Together & Curse of Iguazu Falls | Wong Kar-Wai | EkChaupal

Happy Together & Curse of Iguazu Falls | Wong Kar-Wai | EkChaupal

कहते हैं Iguazu Falls शाप हैं। जहां प्रेमी अनंत तक गिरते रहते हैं। प्रेम में तलहटी छूना चाहोगे प्रेमी? तुमने देखा है प्रेम में लोगों को संबंध की तलहटी छूते हुए? नहीं देखा। तो Wong Kar-Wai की Happy Together देखना।

The Great Indian Kitchen | The Cinematic Slap | EkChaupal

The Great Indian Kitchen | The Cinematic Slap | EkChaupal

इस फ़िल्म का यह नाम इसीलिए इतना सटीक है। किसी तमाचे सा। लेकिन तमाचा वो जिसे हम पूरी भीड़ में बहुत अकेले कहीं.. घर की दीवारों जैसी सुरक्षा में महसूस करते हैं। जिसकी आवाज़ किसी को सुनाई नहीं देती हमारे सिवा। और इस तमाचे में कोई हिंसा का भाव भी नहीं होता उलटा यह हमें हमारी उन सारी हिंसाओं का एहसास कराता है जो कभी किसी को नहीं दिखीं.. छुपा दीं गयीं एक असहज मुस्कान के पीछे उन औरतों के द्वारा जो हमारे “The Great Indian Kitchen” में खाना पकाती, बर्तन माँझती, मर्दों की झूठन साफ़ करती पाई जाती हैं। वो औरतें  जो अशुद्ध होती हैं। जिनके दिखने से, छू जाने से नाराज़ रहते हैं भगवान और गुस्सा होते हैं असली मर्द।