अभी अभी दूधनाथ सिंह जी की किताब पढ़ी है – युवा खुशबू और अन्य कविताएँ। और क्या अद्भुत संसार है इनका। सूक्तियों के जरिए इन पर बातें करते हैं-
उसने मेरी आँखों में छिपी वह गहरी दरार देख ली और अंदर प्रवेश कर गई।
– कविता – युवा खुशबू
बातों को सीधे लेकिन poetic ढंग से लिखने की कला का इतना खूबसूरत example देखो-
अब तुम्हें मरना तो पड़ेगा ही – शब्द के सच को
सच साबित करने के लिए।
– कविता – जनमत के मौन अंधकार में
गुलज़ार साहब ने कहा है की अच्छा कवि वो है जो अपने साथ जो हो रहा है उसे महसूस करके खूबसूरत ढंग से लिख सके और उसका प्रमाण इन शब्दों से पता चलता है। इतना गहरा संबंध इतने सुंदर तरीके से कहना –
उसके पैदा होने की चीख
मेरी त्वचा में बंद है।
-कविता- छोटा बेटा
कवि होना दुधारी तलवार होना है। बेशख इसमे आनंद है लेकिन साथ में कवि जो खुद के साथ भोगता है उसका प्रमाण इन lines से मिलता है –
कवि ही होता है सबसे घातक और नरम और घुलमिलकर
बह जाने वाला। नदी उसे कहाँ ले जाएगी! छोड़ेगी! खिलेंगे
कौन से फूल! सुगंधियाँ किधर को बहेंगी!
कवि से ही होती अचूक चूक
कवि ही होता अपने सच का मारा हुआ
कवि ही होता है परम अंत
मृत्यु का सुखद दुर्भाग्य
आता है चलकर निशाने पर।
–कविता- निशाने पर
और फिर वो बात करते हैं अपने सपने के बारे में। सपने को सपने के तरीके से लिखना, समझ में आता है क्यूँ मानव कौल को दूधनाथ सिंह इतने पसंद हैं और अब हमें भी –
सपने में मैंने एक सड़क पार की
आयामों का अंधेरा बगीचा फिर सूखी हुई नदी
बसवारियों के जंगल। पीपल के घने वन
सपने में पार किया सपना।
–कविता – सपने में
और existentialism का touch, जो कि बहुत गज़ब है –
जहाँ गया वहाँ जाना था वहाँ से
कहीं और – उस ओर
जिसका छोर
बस गायब-सा।
किससे कहता
नहीं गया।
–कविता –जहाँ गया
और अपनी सामाजिक कवि की image को तोड़ते हुए वो जो प्रेम पर लिखते हैं-
जब तुम्हें देखता हूँ शब्दों के आसपास
जैसे अपने बिल्कुल पास देखता हूँ
–कविता – अंधेरे को देखता हूँ
और झलकियों के लिए – दूधनाथ सिंह | युवा खुशबू और अन्य कविताएँ – Review | Part-2
तो ये दूधनाथ सिंह जी के गजब के संसार की कुछ झलकियां हैं। आप इस संसार में शामिल होना चाहते हैं तो बुक की लिंक नीचे दे रहा हूँ। और फिरसे एक कहावत कहते हुए –
“जंगल में किसी भी रास्ते से घुसा जा सकता है।”
तो यहाँ पर वो रास्ता देते हुए –
Yuva Khushboo aur Any Kavitayein
आपके पास और झलकियां हों तो आईए संवाद करते हैं।
दूधनाथ सिंह | युवा खुशबू और अन्य कविताएँ – Review | Part-2
बिखेरने की आज़ादी और समेटने का सुख – लिखने की इससे बेहतर परिभाषा की खोज में निकला एक व्यक्ति। अभिनय से थककर शब्दों के बीच सोने के लिए अलसाया आदमी।
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