रघुवीर सहाय जी का परिचय आपको पिछले ब्लॉग post में बताया था. फिर भी अगर आपने अब तक नहीं पढ़ा है तो यहाँ से पढ़िए-
Raghuvir Sahay की TOP 3 कविताओं के अंश (पार्ट -1)
Raghuvir Sahai- रघुवीर सहाय की TOP 3 कवितायेँ पार्ट -2
संक्षेप में अगर बताएं तो एक लेखक और एक पत्रकार के रूप में सक्रिय रहे थे सहाय जी। उनकी रचनाओं में आपको एक पत्रकार का नजरिया हमेशा मिलेगा और पत्रकार होने के नाते समाज का एक अलग ही पहलू आप उनकी रचनाओं में देख सकते हैं, फिर चाहे वो कविता हो, कहानी हो या निबंध हों।
फिर भी आप अगर उनके बारे में विस्तार में पढ़ना चाहते हैं तो यहाँ जाएँ – Raghuvir Sahay
उनकी कुछ ऐसी कवितायेँ जो आपको मौन में छोड़ देंगी कुछ देर के लिए, आपको एक ऐसे जोन में पहुंचा देंगी जहाँ आप बोलेंगे नहीं, बस कुछ देर को शांत हो जायेंगे या चिंतन करेंगे। तो आइये पढ़ते हैं-
रघुवीर सहाय की निशब्द कर देने वाली कविताएँ
1. कविता – बड़े देशों की राजनीति
देश पर मैं गर्व करने को कहता हूँ
उनसे जो अमीर हैं बड़े स्कूलों में पढ़े हैं
पर उन्हें गर्व नहीं है
गर्व है भूखे-प्यासे अधपढे लोगों में
राष्ट्रीय गौरव रह गया है अन्तरराष्ट्रीय राजनीति में
मोहरा बनकर
पड़ोसी को हराने में, यह गर्व मिटता है
यदि पड़ोसी और हमारी जनता की दोस्ती बढ़ती है
बड़े देशों की राजनीति करने के लिए अपनी जनता को
तनाव में रखना पड़ता है
2. कविता – अंग्रज़ी
अंग्रेजों ने अंग्रेजी पढ़ाकर प्रजा बनाई
अंग्रेजी पढ़ाकर अब हम राजा बना रहे हैं।
3. कविता – लोग भूल गए हैं
शिक्षा विभाग ने कुछ दिन पहले ही घोषित किया है
छात्रवृत्ति के लिए अर्हता में यह भी शामिल हो
के छात्र के पिता की हत्या हो गयी है
सावधान, अपनी हत्या का उसे एकमात्र साक्षी मत बनने दो
एकमात्र साक्षी जो होगा वह जल्दी ही मार दिया जायेगा।
पहले भी कहा था फिर से कह रहे हैं खोज के पढ़िए इस कविता को (साहित्य अकादमी अवार्ड मिला था इस कविता को 1984 में )
4. कविता- लोग भूल गए हैं
अपने-अपने कस्बों का नाम न लेकर वे लखनऊ का नाम लेते हैं
जहाँ वे नौकरी करने आये थे
जैसे वहीं पैदा हुए और बड़े हुए हों
क्योंकि उन्हें किसी कदर आधुनिक बनना है
और फिर दिल्ली उन्हें समोकर अथाह में आधुनिक होने
की फिक्र मिटा देती है
5. कविता – पैदल आदमी
इतने में दोनों प्रधानमंत्री बोले
हम दोनों में इस बरस दोस्ती हो ले
यह कहकर दोनों ने दरवाज़े खोले
परराष्ट्र मंत्रियों ने दो नियम बताये
दो पारपत्र उसको जो उड़कर आये
दो पारपत्र उसको जो उड़कर जाये
पैदल को हम केवल तब इज्ज़त देंगे
जब देकर के बंदूक उसे भेजेंगे
या घायल से घायल अदले बदलेंगे
पर कोई भूखा पैदल मत आने दो
मिट्टी से मिट्टी को मत मिल जाने दो
वरना दो सरकारों का जाने क्या हो
समझ ही गए होंगे हिंदुस्तान पाकिस्तान पर है।
तो ये थी सहाय जी कविताओं के कुछ अंश। उम्मीद है की आपको ये पसंद आयी होंगी। अगर आपको पूर्ण कवितायेँ पढ़नी है तो नीचे दिए लिंक पर जाएँ और किताब मंगा कर पढ़िए।
प्रतिनिधि कविताएँ – रघुवीर सहाय
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मैं लेखक नहीं हूँ पर लेखक का किरदार बहुत पसंद है मुझे, तो जब भी मैं इस किरदार से ऊब जाता हूँ तो लेखक का लिबास पहन कर किरदार बदल लेता हूँ।
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