Cover पर लिखा है – These are the stories that speak the power of forgetting. पर मैं इसे झूठ कहूँगा। या कह लो जो मुझे मिला वो इसके उल्टा है। Forgetting Devashish की कुछ ऐसी कहानियाँ हैं जो भीतर बहुत भीतर अपनी गहरी छाप छोडती हैं and tells you the power of remembrance.
चाहें वो Bottles के सलीम भाई हों, The Fag End का साहिल, By/Two के Rahim Rahman या फिर बहुत सारे दूसरे लोग, जिनके नाम शायद भीतर कहीं ऐसी जगहों पर हैं जहां हम रोज़मर्रा की ज़िंदगी में देख नहीं पाते। वो हमारे साथ रहते हुए दुनिया देखते हैं, जीते हैं, हमसे रास्तों पर टकराते हैं, हम जाने अनजाने उन लोगों की, उन कहानियों के बारे में बहुत बातें करते हैं। वो पल हर पल सांस लेते रहते हैं हमारे जहन में। फिर एक दिन ऐसी ही किसी कहानी के भीतर से आंखो के कोटर मे झाँकते हैं। ये पात्र… नहीं ये लोग हमारे भीतर हैं। हमारी यादों में। हमारी याद करने की क्षमता में।
हर कहानी का कोई न कोई पात्र हमारे जीवन का हिस्सा रहा है। गर्मी में स्कूल के बाहर लगे ठंडा गोला खिलाने वाले सलीम भाई से लेकर आदिवासियों के बीच के reporter तक की कहानियों में Devashish जीवन का हर हिस्सा कुरेदते हैं। और ऐसे लोगों के बारे मे कुरेदते हैं जो इंसान हैं। सब अपने ही जीवन में नाचते हुए जी रहे हैं। देवशीष अपनी cinematic नजर के लेंस से उन्हें देखते हैं और फिर लेखक के हाथों से बहुत खूबसूरती से लिखते हैं। उनकी आँखों से बहुत सी साधारण सी दिखने वाली कहानियाँ अपनी सारी रंगत के साथ सामने आ जाती हैं। उनके अच्छे filmmaker होने का असर होगा, शायद।
पढ़ते पढ़ते अहसास हुआ है कि असल में कहानियाँ forgetting और जो भी हमारा इस शब्द से संबंध है, ये उसके बारे में नहीं हैं। ये कहानियाँ उन बहुत निजी क्षणों के बारे में है जब हमें याद आता है कि क्या याद रखना जरूरी है और क्यूँ कुछ चीज़ें याद रखना जरूरी है। हमें मनुष्य क्या बनाता है? कैसे कहानियों में हर कोई मनुष्य बनने के लिए कुछ न कुछ याद रखने की कोशिश मे है और फिर कुछ भूलने की भी। बचपन से लेकर बूढ़े होने तक हम कितना कुछ भूल जाते हैं, भूल जाएंगे और कितना कुछ याद रहेगा… इन कहानियों के अंत में पहुँचकर लगा कि मैं बूढ़ा हो चुका हूँ और अपनी हाथ की रेखाओं को टटोलकर देख रहा हूँ कि क्या ये बचा रहेगा मेरे पास या फिर forgetting की सतत प्रक्रिया में कहीं खो जाएगा।
Devashish का ये कहानियाँ लिखने और remembrance की power याद दिलाने के लिए शुक्रिया।
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बिखेरने की आज़ादी और समेटने का सुख – लिखने की इससे बेहतर परिभाषा की खोज में निकला एक व्यक्ति। अभिनय से थककर शब्दों के बीच सोने के लिए अलसाया आदमी।
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