Devashish Makhija’s Cycle | A Letter
इस फिल्म के बाद मैं देवाशीष का शुक्रिया नहीं कहूँगा कि उन्होंने ये फ़िल्म बनाई। मैं बस उनके गले लगकर माफ़ी मांगूंगा कि उन्हें ये फिल्म बनाने की ज़रूरत पड़ी। और जिस ढंग से बनाई है, उसके लिए नमन और शुक्रिया दोनों।
इस फिल्म के बाद मैं देवाशीष का शुक्रिया नहीं कहूँगा कि उन्होंने ये फ़िल्म बनाई। मैं बस उनके गले लगकर माफ़ी मांगूंगा कि उन्हें ये फिल्म बनाने की ज़रूरत पड़ी। और जिस ढंग से बनाई है, उसके लिए नमन और शुक्रिया दोनों।
लगभग तेईस मिनट की एक शॉर्ट फिल्म है Cheepatakadumpa नाम से देवाशीष मखीजा की। ये देवाशीष मखीजा वहीं हैं जिनने भोंसले बनाई है। आओ मीना, सुपा सीना.. का खेल। खेल ही तो है। फ़िर चारों तरफ़ इतनी चौंकी हुई आँखें क्यूँ? यह निगरानी क्यूँ? क्या है खेल में ऐसा? क्या खेल कोई घेरा है?