धुंध से उठती धुन | निर्मल वर्मा की सक्रिय उम्मीद

धुंध से उठती धुन | निर्मल वर्मा की सक्रिय उम्मीद

‘धुंध से उठती धुन’ – निर्मल वर्मा की किताब है। जिसमें उनकी डायरी, उनके यात्रा वृतांत के दौरान लिखी हुई बातें, संस्मरण और बहुत सी चीजों पर एकांत में मंथन है। इस किताब में जिन बातों से सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं, उन्हें समझने की कोशिश में कुछ संवाद।

The Steamroller and The Violin – Tarkovsky’s Visual Music

The Steamroller and The Violin – Tarkovsky’s Visual Music

तुम्हें steamroller और violin का signficance समझ आया? दोनों चीजें बिल्कुल अलग और उलट हैं लेकिन यहाँ वो एक जगह मिल रही हैं। यह वो moment है जब artist की life और normal आदमी की life एक दूसरे को cross करती हैं। जब वो आदमी बच्चे का violin डरते हुए अपने हाथ में लेता है। Steamroller चलाने वाले आदमी के हाथ में violin टूट सकता है इसलिए वो उसे बहुत हल्के से पकड़ता है। और वो बच्चा उसका steamroller चलाता है। पूरी तरह से grease में लथ-पथ हो जाता है। दो अलग संसारों का आपस मे मिलना।

मैं और कृष्ण | यथार्थ लिखने पर बातचीत

मैं और कृष्ण | यथार्थ लिखने पर बातचीत

निर्मल वर्मा ने कहा है – “जब हम कहानी में लिखते हैं, वह सितंबर की एक शाम थी – मैं उस सूनी सड़क पर चला जा रहा था, तब इस पंक्ति के लिखे जाने के एकदम बाद कुछ ऐसा हो गया है, जो शाम से बाहर है, उस सूनी सड़क से अलग है। वह ‘मैं’ उस व्यक्ति से अलग हो गया है, जो उस शाम सड़क पर चल रहा था। उस वाक्य का अपना एक अलग एकांत है, जो उस शाम की सूनी सड़क से अलग है। शब्दों ने उस शाम को मूर्त करने की प्रक्रिया में अपनी एक अलग मूर्ति गढ़ ली है, जिसकी नियति उस व्यक्ति की नियति से भिन्न है, जो ‘मैं’ हूँ।”