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नाटक में जीवन कैसा होना चाहिए?

Treplief- जीवित पात्र! नाटक में जीवन जैसा है वैसा नहीं बल्कि ‘जैसा होना चाहिए’ वैसा दिखाना होता है; सपनों वाला जीवन।

– anton chekhov के नाटक The Seagull के एक पात्र का कथन

इतिहास के हिसाब ये नाटक anton chekhov की पहली सफलता थी। मैं इस line पर बात करना चाहता हूँ। क्या संभावना होती है नाटक की, उसके पात्रों की, उसमें दिखाए जा रहे जीवन की? मैं इस बात से कहीं कहीं पर सहमत भी होता हूँ, लेकिन फिर असहमति भी आकर सामने बैठ जाती है।

नाटक कला है, कला का उद्देश्य होता है समाज का साफ साफ रूप दिखाना। साथ में जैसा समाज हो सकता है, खासकर बेहतर प्रारूप उसकी संभावना और उम्मीद लोगों को देना। तो नाटक दोनों काम कर सकता है क्या? जीवन जैसा है वैसा दिखाना भी जरूरी है! और जो हो सकता है वो भी! पर उसके दायरे क्या हैं?

कितनी असलियत नाटक में ठीक है? इसका कोई पैमाना है? कितना सपने जैसा जीवन हम दिखा सकते हैं इसकी कोई सीमा है?

आइए इस पर संवाद करते हैं।

9 responses to “नाटक में जीवन कैसा होना चाहिए?”

  1.  Avatar
    Anonymous

    😊👍

  2. Nashili Ankiyan Avatar
    Nashili Ankiyan

    नाटक के जीवन की कोई सीमा नहीं होनी चाहिए अगर कुछ होना चाइये तो ऐसा जीवन जो असल में नहीं होता जिस जीवन की हर व्यक्ति कामना तो करता है पर उसको वो मिल नहीं पाता एक ऐसा जीवन जहाँ अपने सपने को उस नाटक के जरिये जिया जा सके एक ऐसा जीवन जहाँ नाटक के जरिये आसमान में खुल के उडा जा सके जहाँ समाज की कोई पाबन्दी न हो वहां अगर कुछ हो तो वो हो वो सपना जीस को देखा रातों में पर पूरा न कर सके उस सपने को नाटक के जीवन के जरिये जिया जा सके…….

    1. arun Avatar

      I agree कि नाटक के जीवन की कोई सीमा नहीं होनी चाहिए। साथ में ये भी तो दिखाया जा सकता है कि ऐसा जीना संभव है। जो जैसा है वैसा दिखाकर उसकी कमियां भी तो दिखाई जा सकती हैं! जिससे कुछ बदले? सपने सा जीवन दिखाना भी जरूरी है पर आइना दिखना भी जरूरी है वरना ये जीवन सिर्फ नाटक का रह जाएगा, हम जिएंगे कब??

      1.  Avatar
        Anonymous

        ; ) jii

  3.  Avatar
    Anonymous

    मेरा ऐसा मानना है की नाटक में जो जीवन होना चाहिए वो सच्चाई और समाज की पारदर्शिता को दर्शाता हुआ होना चाहिए।

    1. arun Avatar

      और जो जीवन संभव है उसकी झलक नहीं हो सकती क्या??

      1.  Avatar
        Anonymous

        हो सकती होनी भी चाहिए आपने बिल्कुल सही कहा की संभावनाएं से भरा जीवन भी दर्शाना चाहिए और जो जैसा है वैसा भी दिखाना चाहिए नाटक में ताकि संसार में नए जीवन के अवसर के साथ आज के जीवन की कमियाँ भी उजागर हों।

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