साथी अभी Italo Calvino की “If On A Winter’s Night A Traveler” पढ़कर खत्म की है। यह क्या था?!! गहरी साँस जब आखरी पन्ना आया। विश्वास नहीं हुआ कि यह किताब खत्म हो गई! ऐसा पहले भी बहुत सी किताबों के लिए बहुत बार महसूस हुआ है। लेकिन यह किताब अलग है। शायद इसलिए कि जब तुम इसे पढ़ लेते हो तो लगने लगता है कि यह किताब.. यह दरअसल कभी खतम हो ही नहीं सकती, यह तो बस कैल्विनो ने इसे यहीं तक लिखा और शायद उनके लिखने के बाद इसकी कहानी इसके पन्नों के बाहर कहीं अभी भी चल रही होगी अंनत तक अपने भीतर दुनिया की सारी कहानियाँ बटोरती हुई ― या यूँ कहूँ कहानियों की शुरुआत बटोरती हुई।
कैलविनो को उनके दोनों हाथ चूमकर धन्यवाद कहने का मन है इस किताब को लिखने के लिए। शुक्रिया यह किताब लिखने के लिए Italo Calvino, तुम्हें नमन है। Thank you for writing this book.
यह किताबों की किताब है, यह दुनिया की सारी कहानियों का घर है! मैं कैसे कहूँ… दरअसल मैं बस चाहती हूँ दुनिया का हर पाठक इस किताब को पढ़े। बस पढ़े। बिना यह जाने की वो इसमें क्या पढ़ने वाला है। उसे कोई अंदाज़ा ना हो। कोई सिनॉप्सिस ना हो जो यह बताए कि भीतर क्या हो सकता है। मैं चाहती हूँ तुम अपने पूरे होने में..अपनी सारी परतों और उनके भीतर की नग्नता के साथ जाओ इसके पास, जैसे किसी अनजान के पास जाते हो और बस पढ़ो इसे। तुम कहानी मिलने का भरोसा अपने भीतर रखना और उसे इस किताब को तोड़ने देना। तुम पढ़ने जाओगे और यह अनजान किताब तुमसे बात करने बैठ जाएगी। यह बोलती हुई किताब है, सही मायनों में! यह बोलती है तुम से एकदम सीधा बिना किसी कहानी के पीछे छिपे, यह खुद को भी नहीं बख्शती.. बोलती है खुद से लगातार सारी कहानियों के बीच में से, इसे ज़रूरत नहीं है कि कोई इसके शब्दों के भीतर छिपा सत्य ढूँढकर निकाले कहानी में से और फ़िर किसी को बताए, यह अपना सत्य खुद ही कहती है… तुम बस सुनना!
नीचे इस किताब के साथ मेरी यात्रा के कुछ अंश हैं, जब इसे पढ़ते हुए मेरे भीतर विस्फ़ोट हो रहे थे और मैं बस उन्हें अपने बगल में बैठे किसी साथी पाठक से कह देना चाहती थी –
• पहला पन्ना, पहली पँक्ति.. मुझे लगा मैं छुपके से जाऊँगी और किताब को पता नहीं चलेगा कि मैं उसे पढ़ रहे हूँ। बहुत आगे जाकर कहानी में एक संबंध बनेगा शायद। लेकिन, पहला पन्ना, पहली पँक्ति.. और किताब सीधा मुझसे बात कर रही है। वो कहती है कि तुम मुझे पढ़ने जा रही हो, मुझे पता है दूसरे कमरे में बहुत शोर है लेकिन तुम ठीक से बैठ जाओ और उठना मत। जैसे अपने टाइम और स्पेस से निकल मेरे समय में आकर पहले देख रही हो कि मैं कैसी हूँ, क्या मेरे यहाँ सब ठीक है। जैसे उसे पता है कि जब भी कोई पाठक उसे पढ़ेगा तो उसके आस पास उसके घर में ऐसा ही कुछ हो रहा होगा (जो कि अभी सच भी है)!
अब मुझे पढ़ने वापिस जाना चाहिए, वो सच में मेरा नाम लेकर मुझे बुला रही है।
• The book is like a character of its own… no fourth wall. Talking about itself in the third person to me! How absurd! This book actually talks! Like for real!
• It doesn’t feel like reading a book at all! It feels like you are listening to a person talking and they are telling you stories.
• किताब खुद अपने दिए और आगे दिए जाने वाले धोखों के बारे में मुझसे बात कर रही है। वो वह सब कुछ कह रही है जो मैं उसे पढ़ते हुए ठीक अभी महसूस कर रही हूँ या आगे करने वाली हूँ मुझसे भी बेहतर articule करके!
• मैं पहली बार कोई कहानी ऐसे पढ़ रही हूँ जैसे कहानी अभी एक एक शब्द कर लिखी जा रही है.. और लिखने वाला लिखते लिखते कहानी सुनाते हुए मुझसे कह रहा है कि मुझे नहीं पता कहानी में आगे क्या होगा और फ़िर यही बात ऐसे ही लिख दे रहा कहानी में आगे। और कहानी आगे बढ़ती रहती है।
• What is this?!! This book is making fun of itself for how it is being written right at this moment! Self-critiquing! खुद का मज़ाक! Hahahahaha!
• It’s not like a novel at all. It’s more like those notes that a writer writes before writing the novel to remind him/herself how the story will go or is going. These are notes and reading them is a pleasure unlike any other!
• किताब कितनी चालाक है! शुरू से.. पहले शब्द से, पहली कहानी से तुमसे बातें करने के भेस में दरअसल वो तुम्हें एक कहानी सुना रही थी जिसमें वो तुम्हें ही एक पात्र बना देती है और फ़िर तुम उस कहानी से बंध जाते हो। जैसे तुम्हारी किस्मत उसपर अटकी हो।
यह कहानी सुना रही है मुझे “पाठक” को मेरी अपनी की मैं यह किताब उठाती हूँ और मेरे साथ यह यह होता है और मैं अपनी कहानी के बीच यह यह कहानियाँ पढ़ती हूँ! मुझे कहानी का मुख्य पात्र बनाकर अब मुझे मेरी कहानी के ज़रिए अपनी अलग अलग कहानियाँ पढा रही है!
• It is a book completely about readers and reading. This story is the story of reading, about reading, for reading. There is a story always between two stories that are read twice by you – you in the book and you outside it.
• The you is shifted. The story is making me identify myself with another you who is the second reader. जैसे एक पात्र की खाल से निकले और दूसरे के हो गए!
• Italo Calvino की “If on a winter’s night a traveller” पढ़ते हुए याद आया कि कैसे हमारे यहाँ रामायण के भी बतेरों अलग अलग रूप हैं, हर जगह कहानी थोड़ी सी अलग! वो कहानी जिसका आज के हमारे समाज, धर्म और कल्चर पर इतना प्रभाव है… वो भी दरअसल बस एक कहानी है! जो बात हम भूल गए थे कि असल में तो वो बस एक कहानी है जो हमारा हिस्सा है और इसीलिए हर जगह वो अपनी सहूलियत के हिसाब से थोड़ी बदल जाती है, वहाँ के लोगों के विश्वासों में, देखने के नज़रिए में हर बार थोड़ी सी उनके जैसी उनकी अपनी हो जाती है।
इस किताब में ‘reader’ के पात्र की इच्छा की वो बस एक किताब को शुरू से लेकर पूरी मध्य से होते हुए अंत तक पढ़े देखकर याद आता है कि हम भी तो अपने जीवन में यही करते हैं – Our need to hang on to a story so much.. the search for a coherent beginning middle and end that gives us a sense of completeness of our own story.
And this book makes us realise ki it’s just stories.. different stories with the same names.. or other stories with different names. Stories that keep on changing shape as they move on to different places, to different characters.. a single story travelling from one book to another!
• This book is like pleading with you to read books for the sake of reading books and not be like lotaria or ernes Marna by making them the antagonists, the perfect anti-readers. By making such type of ‘readers’ real characters in books and by allowing them to do what they see fit to books and reading and writing.. it shows you the real significance of the pure innocent joy of reading, reading for the sake of reading! and thus saving it within us – the actual readers.
• This is the most meta book you’ll ever read in the history of books!!! It’s like a multiverse of so many stories and yet connected to one story! Just like our lives are!
Also : If On A Winter’s Night a Traveller | Italo Calvino
SALLY ROONEY | Beautiful World Where Are You | Questions & Their Answers
“मुझे शब्द बहुत पसंद हैं।” –
Bio माँगा तो कहा कि बस इतना ही लिख दो। छोटा, सटीक और सरल। Instagram bio में खुद को किताबी कीड़ा बताती हैं और वहाँ पर किताबों के बारे मे लिखती हैं। इनको आप Medium पर भी पढ़ सकते हैं।
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