Kavve Aur Kala Pani (कव्वे और काला पानी) is a collection of stories by Nirmal Verma. Below are some of the quotes that we liked from the book. Sharing them with you.
कुछ सत्य बिल्कुल अनावश्यक होते हैं, उन्हें कहने, न कहने से कोई अंतर नहीं पड़ता।
तुम लिखते हो, लेकिन कोई अभूतपूर्व सच्चाई रास्ते में मिल जाती है तो तुम किनारा करके भाग निकलते हो जैसे जीने का सच्चाई से और सच्चाई का लिखने से कोई नाता नहीं है। तीनों चीजें मरे मुर्दों की तरह अलग-अलग फाँसियों पर झूलती रहती हैं;
वे तकलीफों की धुंध में रहते थे, नाम देने का मतलब था, पिंडारे की पिटारी खोलना, जिसके भीतर से पता नहीं कितनी दूसरी तकलीफें बाहर निकल पड़ेंगी। ना भाई, इससे बेहतर यह धुंध है, जहाँ सब कुछ एक जैसा है।
नहीं, सुख होता नहीं, सिर्फ याद किया जा सकता है – अपनी यातना में – जब तुम्हें अचानक पता चलता है – यह जून है, यह जनवरी था। तुमने सोच था उसके चले जाने के बाद तुम इस शहर में नहीं रहोगे। पर तुम जीवित हो और सांस ले रहे हो… आदमी की खाल कितनी पक्की होती है! सब कुछ बर्दाश्त कर लेती है। पानी में डूबकर एक कुत्ते की तरह बाहर आ जाती है, जो एकबारगी अपनी देह झिंझोड़कर सब कुछ झाड़ देता है। पानी का अंधेरा कितनी देर याद रह सकता है?ज़िंदगी यहाँ और वहाँ (nirmal Verma)
नहीं, सुख होता नहीं, सिर्फ याद किया जा सकता है – अपनी यातना में – जब तुम्हें अचानक पता चलता है – यह जून है, यह जनवरी था। तुमने सोच था उसके चले जाने के बाद तुम इस शहर में नहीं रहोगे। पर तुम जीवित हो और सांस ले रहे हो… आदमी की खाल कितनी पक्की होती है! सब कुछ बर्दाश्त कर लेती है। पानी में डूबकर एक कुत्ते की तरह बाहर आ जाती है, जो एकबारगी अपनी देह झिंझोड़कर सब कुछ झाड़ देता है। पानी का अंधेरा कितनी देर याद रह सकता है?
सुख? क्या कोई ऐसी चीज है, जिस पर उंगली रखकर कहा जा सके, यह सुख है, यह तृप्ति है?
कुछ शब्द अचानक से भीड़ से अलग हो जाते हैं – खोए से, लावारिस – प्रेम और पाप, ईश्वर, झूठ और न्याय और मौत – ठहरे पानी में अलग-अलग साबुत, चमकते, सुडौल पत्थरों की तरह
वह पूछती नहीं थी। वह देखती भी नहीं थी। वह बीच का रास्ता निकाल लेती थी – देखने और पूछने के बीच – जिसे वे ‘जानना’ कहते थे।
उनसे कहो, कि तुम अकेले रहना चाहते हो – तो यह जानते हुए भी कि तुम अकेले घर में रहते हो – वे कभी तुम्हारा विश्वास नहीं करते। अगर तुम खाली हो – तो खाली कैसे रह सकते हो?
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बिखेरने की आज़ादी और समेटने का सुख – लिखने की इससे बेहतर परिभाषा की खोज में निकला एक व्यक्ति। अभिनय से थककर शब्दों के बीच सोने के लिए अलसाया आदमी।
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