एक छोटी सी कहानी जो अपने पास बुलाती है यह कहकर की मैं बहुत छोटी सी हूँ। तुम्हें इस वक़्त कुछ पढ़ना है और तुम छोटी सी कहानी की बात पर विश्वास कर लेते हो। तुम कहानी में घुसते हो। कहानी पेरिएरा नाम के एक आदमी की है। पेरिएरा पुर्तगाल के लिस्बन शहर में अकेला रहता है अपनी बीवी की तस्वीर के साथ। वह उसी से अपनी बातें करता है रोज़मर्रा की। उसकी रोज़मर्रा की बातों में लिस्बन की गर्मी में समुद्र से उठती हवा, उसका छोटा सा Lisboa अखबार का ऑफिस जहाँ वो काम करता है और आस पास के कैफ़े में खाए ऑमलेट और नींबू पानी की बातें होती हैं। पेरिएरा को सपने आते हैं लेकिन वो कहानी को नहीं बताता उनके बारे में क्यूँकि उसका मानना है कि सपने किसी को नहीं बताने चाहिए। और इसलिए कहानी तुमसे कहती है कि जो हो रहा है उससे उन सपनों का कोई लेना देना नहीं है इसलिए उन्हें जानना ज़रूरी नहीं है। तुम उसकी बात मान लेते हो।
और फिर एक दिन अचानक पेरिएरा के मन में मृत्यु का खयाल आता है। वो एक नौजवान लड़के को अपने असिस्टेंट की नौकरी पर रखता है। उस लड़के ने मृत्यु की पढ़ाई की थी और उसका काम था कि वो मशहूर साहित्यकारों और लेखकों के लिए एडवांस में श्रद्धांजलियाँ लिखकर दे ताकि जब वो अचानक से मरें तो अगले दिन अखबार में छापने के लिए उनके पास श्रद्धांजलियाँ पहले से ही तैयार हो। इससे उनका अखबार बाकी अखबारों से श्रद्धांजलियाँ देने में आगे रहेगा।
दिन बीतते जाते हैं। वो लड़का पेरिएरा को श्रद्धांजलियाँ लिखकर भेजता रहता है। लड़के के अपने राज़ हैं बाकी सब की तरह। लिस्बन में और उसके आस पास की दुनिया में बहुत कुछ घट रहा है लेकिन पेरिएरा इस सब से अछूता है। वो तो सिर्फ़ Lisboa अखबार के कल्चर वाले पन्ने का एडिटर है। और अपने काम से मतलब रखता है। पेरिएरा का जीवन शांत और नीरस है। हर दिन बाकी के दिनों जैसा। इस बीच बीते समय की यादें हैं जिनमें पेरिएरा तैरता रहता है पर हमें उनके बारे में ज़्यादा नहीं बताता। कहानी आगे बढ़ती है और उसमें कुछ नए पात्र अजीब पात्र आते हैं। वो पेरिएरा के जीवन में घुलने लगते हैं पर फ़िर भी पेरिएरा के जीवन का खालीपन वैसा का वैसा ही पड़ा रहता है ― अपने आस पास की हर चीज़, हर साँस से अछूता। (क्या वो सच में अछूता है? यह सवाल कहानी के परे खूँटी पर टँगा रहता है। हवा में झूलता हुआ।)
कहानी में पड़े हुए दिन धीरे धीरे रेंगते हैं। अब वह उतनी छोटी नहीं लग रही है जितना उसने शुरू में कहा था कि वह होगी। वह अब बहुत से लंबे दिनों जितनी बड़ी नज़र आती है। तुम्हारे जिए के दिन उसके खाली कोनों में शामिल होने लगे हैं। कुछ नहीं हो रहा है की गर्म और नीरस दोपहर है।उसके छलावे में जब भी हल्की सी आँख लगती है तो भीतर महसूस होता है कि जैसे कोई बहुत धीमे धीमे एक रस्सी खींच रहा हो। वह रस्सी जो इस सबको बाँधे हुए है। धीरे धीरे सब कुछ खिसककर पास आ रहा है.. अब पेरिएरा ऑफिस में कम और अपने घर में ज़्यादा नज़र आने लगा है। कुछ बदल रहा है, पेरिएरा महसूस करता है पर समझ नहीं पाता। तुम भी वही महसूस करते हो पर समझ नहीं पाते। सारे दिन गर्मी, ऑमलेट, नींबू पानी और धुँधले सपनों की छाँया के बीच बीत जाते हैं।
और अचानक से जब किताब का आखरी पन्ना आया तो एक धोखा सा लगा जिसकी आवाज़ हवा में बहुत तेज सुनाई दी। उसे मेरे और मेरे आस पास की हवा के अलावा सिर्फ़ पेरिएरा ने सुना था अपने कमरे से बाहर जाने से पहले।
[ “Periera Maintains” इटली के प्रसिद्ध लेखक Antonio Tabucchi की किताब है। यह साल 1994 में प्रकाशित हुई थी। यह पेरिएरा नाम के एक आदमी की कहानी है। इसे पढ़ना। यह सुंदर है। ]
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“मुझे शब्द बहुत पसंद हैं।” –
Bio माँगा तो कहा कि बस इतना ही लिख दो। छोटा, सटीक और सरल। Instagram bio में खुद को किताबी कीड़ा बताती हैं और वहाँ पर किताबों के बारे मे लिखती हैं। इनको आप Medium पर भी पढ़ सकते हैं।
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