अच्छा उपन्यास है। बहुत अच्छा है। बहुत दिनों बाद कुछ हल्का पढ़ा है। जो बोझिल नहीं लगता। साफ पानी में गोते जैसा। जिसमें बहे जाना अच्छा लग रहा है। उनके पात्र वैसे ही हैं जैसे हम लोग हैं। अपने में उलझे, जीवन से सवाल करते हुए, अच्छे बुरे के बारे में, रोज़मर्रा की politics, दोस्ती, परिवार से जूझते हुए। Career और पैसे की जलन और उलझनों के बीच एक सुंदर संसार का सपना लिए।
और उस सबके बीच इतना सुंदर लेखन। पता ये लेखन दंभी नहीं है। Message देने का घमंड नहीं है। बस एक आम सी कहानी में लिखा हुआ उपन्यास। मतलब पढ़ते हुए ये भी नहीं लगा कि कोई कहानी सुना रहा है या मैं पढ़ रहा हूँ। बस ये कि कुछ घट रहा है। सारे पात्र मेरे आस पास के हैं, या फिर मैं खुद को सबमे बंटा हुआ पा रहा था। ये सब मेरे साथ घटा है, और घट रहा है और इस सबके बीच मैं भी तो वही तलाश रहा हूँ जो ये।
आपसी खिंचाव, उलझने, लड़ाई, जलन, ताने, प्रेम के शब्द सब मेरे भीतर रहते ही हैं न हमेशा? उन्हें Sally Rooney के पात्रों के मुंह से पढ़कर बहुत अच्छा लगा। ऐसा लगा कि अकेला नहीं हूँ।
जो मुख्य पात्र हैं वो एक दूसरे से email में बात करते हैं जिसमें वो दुनिया भर की चीजों के बारे में discussion करते हैं। Politics, beauty, god, Marxism, Bronze Age और उसके बीच मे अपने होने के अर्थ को तलाशते। आज की दुनिया के लेंस से। और लगा कि कबसे ये बातें हम भी तो करते हैं। ऐसी ही। सच कहूँ तो बहुत अच्छा लगा।
एक जगह पर एक पात्र कहता है कि –
और मुझे लगा कि इससे सुंदर और सरल कारण क्या होगा। ये लिखने के लिए Sally को शुक्रिया कहा मन ही मन।
जब उपन्यास खत्म हुआ तो बहुत देर तक मैं किताब के कवर पर हाथ फेरता रहा। टाइटल के उभरे हुए अक्षरों को छूते हुए भीतर ही भीतर उन पात्रों के हाथों को टटोलने की कोशिश करता रहा। पिछले 3 दिन से जबसे उनके साथ था बहुत अच्छा लग रहा था और अब कहानी का आखिरी पन्ना पढ़ते ही लगा कि साथ यही तक था। और ये बहुत अच्छा साथ था। अंत आते आते सब इतना विस्फोटक हो जाता है और उसका pressure जितना पात्र महसूस करते हैं उतना ही मैं भी। जो आपसी तनाव प्रेम के कारण उत्पन्न होता है उसके कारण आपसी मतभेद होते हैं वो जीकर लगा कि उफ़्फ़ ये…
SALLY ROONEY ने बहुत सुंदर ढंग से हमारे भीतर को आज की दुनिए के सामने रखा है। बहुत अच्छी कहानी है। तुम्हें बहुत पसंद आएगी, पढ़ना।
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