फ़राज़ साहब (Ahmad Faraz) को कौन नहीं जानता, हर शायरी लिखने वाला इंसान इनके कलाम से वाक़िफ है। आपके कलाम पूरी दुनिया में लोग पढ़ते है। बरहाल ये बहुत मुश्किल काम है कि आपने कोई दस शेर चुनना, क्यूंकि आपके सभी शेर बेहद उम्दा है।
तो पेश हैं Ahmad Faraz साहब के Top 10 शेर
अब तुम आए हो मिरी जान तमाशा करने
अब तो दरिया में तलातुम न सुकूँ है यूँ है
मसलन कोई शख्स हमसे जुदा हो जाता है और वो पलट के तो आता है लेकिन उस उम्र पे जब हम पूरी तरह से बेदिल हो जाते हैं हमारे अंदर से जज़्बात ख़तम हो जाते हैं।
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उम्र भर कौन निभाता है तअल्लुक़ इतना
ऐ मिरी जान के दुश्मन तुझे अल्लाह रक्खे
आज जो हमारा साथी है जो हमसफ़र है मुमकिन है की कल वो खिलाफ खड़ा हो लेकिन तभी मै दुआ करता हूं तुझे खुदा सलामत रखें।
हुआ है तुझ से बिछड़ने के बा'द ये मा'लूम
कि तू नहीं था तिरे साथ एक दुनिया थी
जब तू था मुझे ख़बर नहीं थी ना दुनिया की ना किसी की। अब बिछड़ने के बाद मालूम हुआ है कि एक तेरे अलावा भी बहुत लोग थे जिन्हें कभी नजरें नहीं दी।
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अगर तुम्हारी अना ही का है सवाल तो फिर
चलो मैं हाथ बढ़ाता हूँ दोस्ती के लिए
दोस्ती में रुकावट की बात अगर तुम्हारी अकड़ की है तो भी कोई बात नहीं। चलो मेरी तरफ से दोस्ती का पैग़ाम लेलो।
आज इक और बरस बीत गया उस के बग़ैर
जिस के होते हुए होते थे ज़माने मेरे
एक ज़माना था जब साथ जमाने होते थे आज एक एक बरस, माह, दिन गिन के गुजरते है।
बंदगी हम ने छोड़ दी है 'फ़राज़'
क्या करें लोग जब ख़ुदा हो जाएँ
क्या करेंगे बंदगी इबादत करके, जब तुम्हे इश्क़ मोहब्बत के मायने नहीं मालूम। तुम्हारी पूजा क्या की हमने तुम ख़ुद को खुदा मानने लगे। हमने अब छोड़ दी है इबादत तुम्हारी।
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चला था ज़िक्र ज़माने की बेवफ़ाई का
सो आ गया है तुम्हारा ख़याल वैसे ही
अब कहीं भी बेवफाई की चर्चा हो भले ही किसी और की ही हो, लेकिन नाम सुनते ही बेवफ़ाई का हमे आता है ख्याल तेरा।
अब तिरे ज़िक्र पे हम बात बदल देते हैं
कितनी रग़बत थी तिरे नाम से पहले पहले
अब तेरा नाम भी आए तो हम विषय बदल देते है, अब तेरे चर्चे अच्छे नहीं लगते हमे। एक दौर था जब तेरे नाम से मोहब्बत हुआ करती थी।
जब भी दिल खोल के रोए होंगे
लोग आराम से सोए होंगे
रोने से वजन हल्का होता है, जैसे किसी ने बोझ सीने से हटा दिया हो और ऐसा होने के बाद नींद भी अच्छी आती है।
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सुना है बोले तो बातों से फूल झड़ते हैं
ये बात है तो चलो बात कर के देखते हैं
मुझे खबर मिली है कि तुमसे बात करने फूल खुशियां मनाते है, अगर ऐसा है तो चलो उन्हें ये मौका बार बार देते है
आपको इनमें से Ahmad Faraz साहब के कौनसे शेर पसंद आए नीचे comments में बताइए। और कोई शेर आपको पसंद हो तो वो भी बताइए। उस पर संवाद करते हैं।
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वैसे तो बंदे हैं IT के पर शेरो- शायरी और साहित्य की संगत में बिगड़े हुए हैं। एक उम्दा शायर और मनुष्य।
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