, ,

दूधनाथ सिंह | युवा खुशबू और अन्य कविताएँ – Review | Part-2

दूधनाथ सिंह | युवा खुशबू और अन्य कविताएँ - Review


दूधनाथ सिंह | युवा खुशबू और अन्य कविताएँ – Review | Part-1

दूधनाथ के संसार कुछ और झलकियां। अपनी खुद की दृष्टि या vision को कविता के जरिए कहना देखो –

 

शब्द और शब्दों के बीच जो अंधा गलियारा है
वहीं- वहीं सच है।

जो जिसने नहीं कहा वही तो उठाया मैंने
जो जहाँ नहीं गया वहीं तो गया मैं
जहाँ जो नहीं था वही तो देखा
और देखा तो जो जहाँ था
वह वहाँ नहीं था।
यह था कौन-सा गुनाह।

कविता –वध

 

मुझे personally contradictions बहुत पसंद हैं, शायद इसीलिए कविताएँ और जो कवि contradictions को बखूबी उतार दे वो मेरी favourite लिस्ट में बहुत जल्द चला जाता है और इसमे दूधनाथ सिंह जी के शब्द देखिए –

 

बेहतर हो कि हम कभी नहीं मिलें
हम जो दुश्मन थे आखिरकार
बेहतर हो कि हम चलते रहें जीवन- भर
साथ-साथ। कभी समानांतर। रात भर।

कविता – बेहतर हो

 

अमर मैं रहूँगा तो बार-बार मरूँगा।
कविता – चलूँगा

 

किसको आना था
दुखों की घाटी से
दुखों की घाटी में
नहीं कह सकता।

-कविता – कह नहीं सकता

 

और ये शब्द क्या कहते हैं उन पर बात करने के लिए बहुत वक़्त चाहिए और उन पर बात करेंगे हम लोग। इसमें प्रेम है, वियोग (separation) है और बहुत कविता है। बहुत सुंदर –

 

मैंने त्याग दिया वह क्षणिक क्षण
जो पूरी उम्र हो सकता था।

-कविता –आर्मागेडान

 

प्रेम और सामाजिकता को एक साथ प्रस्तुत करते हुए –

 

सत्य की नींद मत करो हरामी कवि
बनो मत, बातों को ओट मत दो
प्रेम पर बहस सदा संभव है
जैसे कि हत्या पर
जैसे कि उस लड़की पर
जिसने कहा, ‘मुझे लो, मुझे लो
मुझे लो…’
एक आहत स्वर की हत्या का सुराग
जब नहीं मिला
वहीं से संभव हुआ प्रेम।

-कविता –गोपीनाथ

 

तुमने अपनी देह को टटोला – वह सही-सलामत थी
तुमने अपने दिल को टटोला –
वहाँ नया नया जंगल उग आया था।

-कविता- उसके पैदा होने पर

 

कुछ और सूक्तियाँ-

 

हमेशा वह एक ही अकेला व्यक्ति होता है
जिसके भीतर पहली बार
रोशनी की लौ फड़कती है।

 

अक्सर जिन्हे अपना खून धोखा सा- लगता है
वे मुझे क्षमा नहीं करेंगे।

 

दूधनाथ सिंह को और पढ़ें – 


दूधनाथ सिंह | युवा खुशबू और अन्य कविताएँ – Review | Part-1


तो ये दूधनाथ सिंह जी के गजब के संसार की कुछ झलकियां हैं। आप इस संसार में शामिल होना चाहते हैं तो बुक की लिंक नीचे दे रहा हूँ। और फिरसे एक कहावत कहते हुए –

“जंगल में किसी भी रास्ते से घुसा जा सकता है।”

तो यहाँ पर वो रास्ता देते हुए –

Yuva Khushboo aur Any Kavitayein

आपके पास और झलकियां हों तो आईए संवाद करते हैं।

दूधनाथ सिंह | युवा खुशबू और अन्य कविताएँ – Review | Part-1

 

One response to “दूधनाथ सिंह | युवा खुशबू और अन्य कविताएँ – Review | Part-2”

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *