Trance को देखने के बाद पहला खयाल जो दिमाग में आया वो ये था कि ये मूवी Pan India level पर रिलीज क्यूँ नहीं हुई? ये मूवी ऐसी है कि पूरे वर्ल्ड को इसे देखना चाहिए। फिल्म एक strong take है सारे दुनिया के धर्मों और वो भी एक बोल्ड statement के साथ। ये मूवी बताती है कि कैसे लोगों ने धर्म को business बना दिया है।
Story
खैर, Trance कहानी है वीजू प्रसाद की। उनका किरदार निभाया है फरहाद फ़ाज़िल ने। वीजू एक struggling motivational speaker है जो personal trauma से गुजर रहा है। उसके इस depression का फायदा उठाकर दो businessman उसको “messenger of God” बना देते हैं। और फिर physiologically वीजू पर क्या असर होता है – ये बेसिक story है। यही चीज इस स्टोरी को खुद में special बना देती है।
फहाद फ़ाज़िल वीजू और pastor Joshua के रोल में phenomenal हैं। एक underconfident struggling motivational speaker से पागल pastor के character graph को बहुत ही ease और grace के साथ निभाया है। I was hooked seeing him in this movie. वो अलग ही journey पर ले जाते हैं इस movie में. उनका character एकदम unpredictable है – reason – उसके mental disorders.
Screenplay
मूवी का स्क्रीनप्ले इतना ग़ज़ब तरीके से structured है कि हर moment पर अगले moment की anticipation बनी रहती है। और हर scene में कुछ bilkul unexpected हो रहा था।
बस एक ही problem है इस फिल्म में – वो है इसकी length. लेकिन वो भी हर person के perception पर depend करता है। मुझे ग़ज़ब मजा आया।
Music
Music बहुत important रोल प्ले करता है मूवी मेइन। ये मूवी को आगे लेकर चलता है। Music दिया है Jackson Vijayan ने और उसी ने movie को melodramatic होने से बचाया है। Trance music का उसे किया है जो आपका पूरा ध्यान movie पर से हटने नहीं देगा। और sound design है Oscar जीतने वाले Rasool Pokutty ने।
Supporting actors जैसे कि नजरिया नजीम और Soubin Shahir ने बहुत अच्छा काम किया है। उनके हर सीन में आपको बाकायदा उनकी presence महसूस होगी।
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बिखेरने की आज़ादी और समेटने का सुख – लिखने की इससे बेहतर परिभाषा की खोज में निकला एक व्यक्ति। अभिनय से थककर शब्दों के बीच सोने के लिए अलसाया आदमी।
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