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The Castle | Have We Reached There, Yet!

Don’t object, you can certainly contradict everything, but in the end, nothing would be contradicted.

Franz Kafka (The Castle)

The Castle पहली कहानी Kafka की जिसमे उसका पात्र confident है, अपनी बात सही ढंग से कह पाता है। Situation में succumb ना होकर उसे कंट्रोल करता है। एक सहजता है उसमें और हंसता है। Finally, एक खुश पात्र। अभी तक के लिए !!!

कैसा लगता है जब हमें छोड़कर बाकी सब को सब पता होता है। सारा system सबकी समझ में आता है – बस हमें नहीं। हमारे पूछने पर सब हंसते है – समझाते हैं और जब हम उसके खिलाफ कुछ कहने को होते हैं तो कहा जाता है कि हम उनके अहसानों का मजाक उड़ा रहे हैं। सवाल पूछना जब कुछ समझ में ना आए – मना नहीं है – पर जवाब में सवाल क्यूं पूछा का ताना मिलेगा और जवाब नहीं।

Klamm was remote, the landlady had once compared Klamm to an eagle and to K. that had seemed ridiculous, but no longer, he considered Klamm’s remoteness, his impregnable abode, his muteness, broken perhaps only by shouts the likes of which K. had never heard before, his piercing downturned gaze, which could never be proved, never be refuted, and his, from K.’s position below, indestructible circles, which he was describing up there in accordance with incomprehensible laws, visible only for seconds – all this Klamm and the eagle had in common.

Franz Kafka (The Castle)

एक अधिकारी है जो हमारी हर हरकत देखता है, सुनता है, पर हमसे परे रहता है। हर कोई उस अधिकारी से मिल चुका है। हमें छोड़कर। हम पूछते हैं – उस तक जाना है – जवाब आता है वो बुलाएगा तब जा पाओगे। हम सड़क पर इंतज़ार करते हैं कि वो आएगा और हम मिल लेंगे। पर वो आता ही नहीं। उसके भेजे लोग आते हैं वो हमें दूर ले जाते हैं और इतने में अधिकारी चला जाता है। फिर पता चलता है। Castle के सारे अधिकारी सारे लोगों से secretary के जरिए ही बात करते हैं। हर अधिकारी का अपना secretary जो अधिकारी की बात लोग तक पहुंचाएगा और लोगों की बात अधिकारी तक। अधिकारी को दरवाजे के छेद से देखने पर वो हमारी ओर देखता नजर आता है। पर लोग कहते हैं वो आंखें खोल के सोता है। हमारी नासमझी पर सब अफसोस जाहिर करते हैं।

ऐसा लगता है एक बहुत बड़ा पिंजरा है – जिसमें घूमने की आज़ादी है पर आप किसी भी चीज को छू नहीं सकते। छूने की कोशिश करते ही सब रोकने आ जाते हैं। और पकड़े पकड़े कहते हैं कि आप आज़ाद हो। आपके पस्त होते ही फिर छोड़ दिया जाता है – पिंजरे में घूमने की आज़ादी है पर उसकी सलाखें आप छू नहीं सकते।

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As there was nothing more senseless, nothing more desperate, than this freedom, this waiting, this invulnerability.

Franz Kafka (The Castle)

K. नाम का आदमी एक गाँव में आता है जो Castle के अधीन है। वहाँ उसे land surveyor की नौकरी मिली है। आने पर उसे Castle में आने की इजाजत नहीं है। बाकी गाँव मे ही रहे। उसे एक पत्र मिलता है जिसमें लिखा होता है कि गाँव का एक counselor उसे उसका काम बताएगा। वहाँ उससे कहा जाता है कि system में error है। उसकी जरूरत नहीं है – पर कार्यवाही इतनी mix हो चुकी है कि अभी फैसला नहीं हो सकता। वो चाहे तो land surveyor हो सकता है पर वो है नहीं। और ये बात सबको पता है कि वो surveyor नहीं है। पर तब भी हर इंसान उसे surveyor कहता है। अब उसका जीवन ठीक करना और Castle मे जाने की जद्दोजहद शुरू होती है।

K Castle जाने और अपने जीवन को ठीक करने में इतना थक जाता है कि उसके हाथ से सब छूटता जाता है। उसका रहने का ठिकाना, उसकी नई नौकरी, उसका प्रेम – सब – वो इतना थक जाता है कि जब सब ठीक हो सकता है वो सो जाता है। तब उसे पता लगता है ये Castle का असर है। Castle के सभी लोग हमेशा थके ही होते हैं बस वो इस थकावट में भी काम करते हैं। और क्यूंकि K सो गया था। उसे फिर बाहर फेक दिया जाता है।

They say he looks completely different when he comes into the village and different when he leaves it, different before he has had a beer, different afterward, different awake, different asleep, different alone, different in a conversation, and, quite understandably after all this, almost utterly different up there at the Castle.

Franz Kafka (The Castle)

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और तो और सब Castle के अधिकारी की सुख सुविधा का ध्यान रखते हैं। Secretary से लेकर गांव के आदमी तक – ऐसा करने को अधिकारी ने कभी कहा नहीं – बस सब अपनी ज़िम्मेदारी मान कर उसकी सुख सुविधा के बारे में सोचकर सब वैसा रखना चाहते हैं जैसा है – जैसा कि उन्हें लगता है कि अधिकारी को पसंद है। अधिकारी से कोई बात नहीं कर सकता तो कोई बता नहीं सकता कि अधिकारी चाहता क्या है?? और उसमे अगर आप बहुत छोटा सा भी बदलाव करोगे – जैसा K करता है तो फिर – गांव, Castle, secretary, आपके अपने लोग – सब आपके दुश्मन हैं। सब आपसे गुस्सा हैं कि आपने अधिकारी को गुस्सा दिलाया है। और आप अधिकारी से मिल नहीं सकते क्योंकि अधिकारी ‘किसी’ से नहीं मिलता। जो बता रहे हैं कि अधिकारी गुस्सा है – उनसे भी नहीं।

और अंत में, Castle दिखता है पर हर अधिकारी का अपना अलग Castle है। सवाल ये है – आप किस Castle के error हो?? आप किस Castle से सवाल करोगे? पर सुना है, Castle के अधिकारी एक दूसरे की जगह बादल लेते हैं तो आप बता नहीं सकते आप का Castle कौन सा है, आपका अधिकारी कौनसा है ?

But to obtain pardon, he first had to establish guilt, and that’s precisely what they denied him at the offices.

Franz Kafka (The Castle)

Kafka की ये आखिरी novel थी। अधूरी है। पर अंत के chapters में एक finality है। लिखाई ऐसी है कि मजा आ जाएगा। वही बुदबुदाने वाली बात। दो वाक्य के बाद ही कहानी अपने संसार में खींच लेगी। (इसमें translation बहुत बड़ा रोल प्ले करता है। तो मैंने तो Schocken वाला है और वो दावा करते हैं कि उन्होंने जैसा Kafka अपना wordplay German में लिख के गए हैं वैसा रखा है।) तो अगर कुछ ऐसा पढ़ना है जो अपने में पूरा होते हुए भी खूब metaphorical है और सबसे बड़ी बात – Castle अपने आस पास दिखेगा, जिसकी बात हो रही है। तो Kafka की किताब The Castle पढ़ें।

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In silence they walked up and down, side by side but now it was impossible to tell who had begun first.

Franz Kafka (The Castle)

He speaks to Klamm, but is it Klamm? Isn’t it rather someone who merely resembles Klamm? Perhaps at the very most a secretary who is a little like Klamm and goes to great lengths to be even more like him and tries to seem important by affecting Klamm’s drowsy, dreamlike manner. That part of his being is easiest to imitate, many try to do so; as for the rest of his being, though, they wisely steer clear of it. And a man such as Klamm, who is so often the object of yearning and yet so rarely attained, easily takes on a variety of shapes in the imagination of people.

Franz Kafka (The Castle)

Is it even Castle work Barnabas is doing, we then ask; he certainly goes into the offices, but are the offices actually the Castle?

Franz Kafka (The Castle)

Nobody is keeping you here, but that still doesn’t mean you’re being thrown out.

Franz Kafka (The Castle)

Only a total stranger could ask such a question. Are there control agencies? There are only control agencies. Of course, they aren’t meant to find errors in the vulgar sense of that term, since no errors occur, and even if an error does occur, as in your case, who can finally say that it is an error.

Franz Kafka (The Castle)

One of the operating principles of the authorities is that the possibility of error is simply not taken into account. This principle is justified by the excellence of the entire organization and is also necessary if matters are to be discharged with the utmost rapidity.

Franz Kafka (The Castle)

Those who are ignorant naturally consider everything possible.

Franz Kafka (The Castle)

Certainly, I am ignorant, that at least is true sadly enough for me, but the advantage here is tht those who are ignorant take greater risks.

Franz Kafka (The Castle)

Their stubborn concern seemed more malicious to him than the aloofness of the others.

Franz Kafka (The Castle)

Dealing directly with the authorities wasn’t all that difficult, for no matter how well organized they were, they only had to defend distant and invisible causes on behalf of a remote and invisible gentleman, whereas he, K., was fighting for something vitally close, for himself, and that’s what’s more of his own free will, initially at lease, for he was the assailant, and he was not struggling for himself on his own, there were also other forces, which he knew nothing of, but could believe in because of the measures adopted by the authorities.

Franz Kafka (The Castle)

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2 responses to “The Castle | Have We Reached There, Yet!”

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