सखी,
वो क्या है जो अंत में हमारे हाथ में रह जाएगा? जीवन। कुछ इतना सघन पढ़ने के बाद क्या किया जाता है मुझे नहीं पता। अभी ठीक मैं बहुत देर तक अंत के शब्दों को पढ़ता रहा। बार बार। उन्हें टटोलने की कोशिश। बाहर धूप बादलों के पीछे छिपी है। पेड़ हल्के हल्के हिल रहे हैं और मैं ठिठुर रहा हूँ। ठंड नहीं है। बस… कैसे होता है कि कुछ बेहद भीतर जाकर बस जाता है और बहुत देर तक ऊपरी सतह पर अपनी खाल को टटोलते रहते हो कि वो कहीं हाथ आ जाए। पर वो बहुत भीतर बैठ गया है।
A war doesn’t merely kill off a few thousand or a few hundred thousand young men. It kills off something in a people that can never be brought back.
मेरे सामने अभी ठीक फिरसे किताब के आखिरी के शब्द हैं। और… कुछ है जिसे नाम नहीं दे सकता। कुछ बहुत कोमल, बहुत अपना। इतना जैसे किसी ने गरम सासों में लपेटकर मेरे सामने रख दिया है और मुझे डर है उसे छूते ही मैं उसे दूषित कर दूंगा। मैं खिड़की के बाहर वो सब ढूँढने की कोशिश कर रहा हूँ जो यहाँ गुजरा है मेरी सासों के साथ जब मैं किताब के संसार में था। अंत कैसा होता है? क्या ऐसा? ये दुखद नहीं है, ये पूर्ण है। और ऐसी पूर्णता के बाद क्या किया जाता है मुझे नहीं पता। मैं थोड़ा सा रोना चाहता हूँ पर मेरे चेहरे पर एक मुस्कुराहट है। आँख थोड़ी सी भीगी है। बस इतना ही।
जिस इंसान की कहानी है वो आखिरी में अपने पूरे जीवन को टटोलता है। ये देखने के लिए कि क्या वो असफल जीवन रहा और फिर उसे समझ आता है असल में जीवन को इन स्तर पर टटोल भी कैसे सकते हैं? वो जो जो चाहता था वो उसे मिला और खो गया। और वो बस देखता रहा। जैसे खिड़की से बाहर देखते हुए अभी मैं धूप के टुकड़े का बादलों के पीछे छुपना देख रहा हूँ। एक पल को धूप हाथ पर पड़ी थी जब ठीक मैं ये लिख रहा था और चली गई। क्या मैंने धूप को पा लिया? और फिर खो दिया? या फिर वो है॥। यहीं मेरी धमनियों में बहती हुई।
The love of literature, of language, of the mystery of the mind and heart showing themselves in the minute, strange, and unexpected combinations of letters and words, in the blackest and coldest print–the love which he had hidden as if it were illicit and dangerous, he began to display, tentatively at first, and then boldly, and then proudly.
मैं फूटकर रोना चाहता हूँ। इसलिए नहीं कि मुझे दुख है इसलिए कि ये कितना पूर्ण जीवन है। ये क्या है? मेरी आँखें भीगी हैं और सामने शब्द उलझे से दिख रहे हैं। क्या मैं उन्हें छू पा रहा हूँ जिनकी कहानी मैंने अभी पढ़ी है और… खत्म कर दी? क्या वो धूप की तरह मेरी धमनियों में बह रही है? क्या तुम मेरी नसों को छूकर उसकी छाप देख सकती हो। उन्हें जब पहली बार अपने जीवन में अर्थ मिला था तब उन्होंने खिड़की से बाहर पूरे संसार को एक होते देखा। हवा में सरसराते पत्ते, पेड़, धूप, बादल और उन सबके बीच कुछ ऐसा जो ठीक भीतर आकर बैठ गया, एक दोस्त की तरह। और उनके जीवन को अर्थ मिल गया। उन्होंने पूरा जीवन उस अर्थ को साकार करने में लगा दिया। फिर एक दिन… वो सोचते हैं कि क्या वो अर्थ पूरा हुआ? और वो इस सवाल के साथ फिर खिड़की से परे देखते हैं। सब कुछ वैसा ही है – आसमान, धूप, बादल, मौसम पर कुछ बदल गया है और जो अर्थ उन्होंने इन सब से पाया था वो बहुत कोमलता से उसे वापस कर देते हैं। इसे क्या कहूँ? इसे कैसे समझूँ? क्या मुझमें इतनी विनम्रता होगी ये करने की। पता है, वो आखिरी में बस… उनके हाथ में किताब है, अपनी लिखी किताब जिसके पन्नों को छूकर वो खुदको टटोलते हैं और उन्हें पता चलता है कि असल में इसका कोई अर्थ नहीं है। जो बहुत पहले लगता था कि वो हैं वो॥। नहीं है। अब कुछ फरक नहीं पड़ता।
ये कैसा सम्पूर्ण जीवन है। एक अजीब गर्माहट से भरा जो आपको ऊष्मा नहीं देता। पर ठंडक भी नहीं। एक अजीब सी धुंध में लिपटा जीवन जिसे सिर्फ जीकर ही समझा जा सकता है। उन्हें प्रेम होता है। ऐसा प्रेम जिसकी उन्होंने कल्पना कभी बहुत पहले की थी। पर उसका रूप। मैं उनके साथ उनके पूरे जीवन को टटोलता हूँ और देखता हूँ उनका पूरा जीवन बस प्रेम की कल्पना में था। और वो पल जब वो उस प्रेम को जी पा रहे थे, अंत में वही… वही बचे। लेकिन कहाँ? हमारे हाथ में अंत में क्या रह जाता है? क्या जो उनके भीतर एक रात पलना शुरू हुआ था वो अंत में उनके साथ सो गया।
वो दोस्ती चाहते थे। वो खुश थे। उन्हें दोस्ती मिली। फिर प्रेम। फिर एक बेटी। अंत में उन्हें अपनी बेटी के साथ बिताए वो पल याद आए जब उसके चेहरे पर रोशनी पड़ रही थी। मैं तुमसे कल कह रहा था कि वो ayn rand के कोमल स्वरूप हैं और इतने कोमल कि मन किया कि उनके पास बैठकर बस उनके माथे पर हाथ फेरूँ और कहूँ कि आपका जीवन पूर्ण था।
Like all lovers, they spoke much of themselves, as if they might thereby understand the world which made them possible.
उनका नाम William Stoner था। देखा जाए तो उन्होंने कोई महान काम नहीं किया बस अपने प्रेम को पूरा करने में जीवन लगा दिया। उनके पूरे indifference के बीच कहीं बहुत कोमल प्रेम है जिसे वो हमेशा बचा कर रख लेना चाहते थे। कैसे होते हैं वो लोग जो कुछ नहीं कहते, बस सहते रहते हैं, उन्हें हार से फरक नहीं पड़ता और जीत चाहिए नहीं वो बस जीना चाहते हैं? क्या मैं Stoner को छू सकता हूँ। मैं उनका जीवन अपने शरीर पर ओढ़ लेना चाहता हूँ। उन्होंने जो नहीं कहा और जो भी जिया सब।
महानता क्या होती है? क्या Stoner महान हैं? पता नहीं। पूर्णता का क्या महत्व है।
एक बहुत प्रेम से सँजोया जीवन जीने के बाद
अंत में तुम खिड़की से परे देखते हो
हाथों में क्या रह जाता है?
बस अपनी लिखी किताब के कुछ पन्ने
टटोलते हुए तुम वो लैम्प की रोशनी याद करते हो
जिसमें तुम्हें किसी अपने का चेहरा मुसकुराता नजर आता है
तुम अपने दोस्तों के बीच एक ऐसे दोस्त को याद करते हो
जिसकी कमी सबको खलती है पर कोई बात नहीं करता
और तुम छूते हो अपनी प्रेमिका के लिखे शब्द
और बस आखिरी बार उसका नाम अपने होंठों पर रखते हो
और देखते हो कि पतझड़ की टीस भरी हवा उस नाम को अपने साथ ले जाए
वहाँ जहाँ प्रेमिका अपनी किताब में लिखे तुम्हारे नाम को टटोल रही होगी
तुमने पूरा जीवन प्रेम के इर्द गिर्द बुना और कहा कि मुझे फरक नहीं पड़ता
और अंत में खिड़की से परे देखते हुए
तुम किताब को नीचे छोड़ देते हो।
जो आखिर में तुम्हें देखेंगे
क्या तुम्हारे शरीर को तुम कहेंगे
या उन पन्नों को जिनमें कभी तुम थे
और आखिरी में जिसे तुम्हारी उंगलियों ने छुआ था।
क्या मैं उस किताब को बचा सकता हूँ?
“Lust and learning,” Katherine once said. “That’s really all there is, isn’t it?”
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बिखेरने की आज़ादी और समेटने का सुख – लिखने की इससे बेहतर परिभाषा की खोज में निकला एक व्यक्ति। अभिनय से थककर शब्दों के बीच सोने के लिए अलसाया आदमी।
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