If On A Winter’s Night a Traveller | Italo Calvino
घर की सुरक्षा खोने का डर मजबूर करता है कि घर से ही एक नयी यात्रा शुरू की जाए। उस यात्रा में गर्मी की तलाश मे किताब शुरू कर रहा हूँ।
कोई मेरा किताब तक पहुँचना, मेरा उसे पढ़ने का कारण, मेरी आदतें अपने लिखे में पढ़ रहा है।
पहला chapter या उसके जैसा कुछ। Calvino मुझे पढ़ रहे हैं! शब्दश:। वो मेरी उनके शब्दों तक पहुँचने की यात्रा को लिख रहे हैं। उन्होने मुझे देख लिया है पढ़ते हुए और फिर मेरी पढ़ने के कारण की हर संभावना को खोलकर मेरे ही सामने रख दिया है। अभी तक लगता था कि मैं किताब को लेखक के पीठ पीछे पढ़ रहा हूँ। पर Calvino मेरी आँखों मे झांक रहे है जब मैं उन्हें पढ़ रहा हूँ। ये एक तरह का रोमांच और असहजता दोनों लेकर आता है।
यात्रा के शुरू में यात्रा के शुरू होने का signboard. क्या मैं इसे बहुत देर तक छु सकता हूँ? लालच। हाँ। मैं Calvino से ज्यादा चालाक होने पर हँसता हूँ।
सारा कुछ इतना असाधारण था कि साधारण की पहली झलक पर ही मेरी सांस सरल होकर अपनी धुरी पर चलने लगी। Calvino या फिर पात्र का मैं कहकर दिख जाना कितना अहम है- ये आज जाना है। इतने सारे शोर में एक आवाज़ का सिरा मिला है। थोड़ा अच्छा लग रहा है।
ये मैं पढ़ रहा हूँ या Calvino मेरा पढ़ना लिख रहे हैं? या शायद वो मेरा इसे बुदबुदाना सुन रहे हैं। क्या ये एक जादूगर की चालाकी है?
क्या मैं एक जाल में फंस रहा हूँ? कैद करने वाला मुझे पहले ही बता रहा है कि ये एक जाल है। और वो? वो क्या कर रहा है? ये कैसी समझदारी भरी चालाकी है?
Calvino को पढ़ना पानी में गहरा गोता लगाना है। जितनी लंबी सांस उतना ज्यादा भीतर दिखेगा। ऊपर आने पर गहरी सांस लेने की इच्छा जिससे पहले से भी ज्यादा भीतर जा सकूँ।
मैं बहुत देर तक भीतर सांस बांध कर बैठा था। अंदर सब एक अलग दुनिया में था। जो हूबहू मेरी दुनिया थी पर उससे अलग। तुम पढ़ते हुए सोचोगे की मैं पढ़ रहा हूँ या लिख रहा हूँ पर ये बार बार डुबकी लगाना मुझसे करवाया जा रहा है।
उफ़्फ़ एक गहरी सांस। मैंने इसे अकेले पढ्न शुरू किया था। मेरे साथ किताब ने खुदकों। या फिर जो भी किताब के भीतर है। अब हम तीन हैं। मैं उसे मुसकुराते हुए देख सकता हूँ कहानी से बाहर तीसरे के मिलने पर। मेरी मुस्कुराहट में तुम मुस्कुरा रहे हो। कैसे दूर होता है पढ़ने का अकेलापन? किताब खुद के साथ पढ़ती है खुदकों।
शायद समझ आ रहा है। पर मेरे साथ 40 page में इतना धोखा हुआ है। सुनहरा धोखा। खुशी पढ़ो मेरी। तुम भी मुसकुराते हो और धोखे की उम्मीद से मैं डर जाता हूँ। ये कहानी एक Reader के बारे में है जो कहानी पढ़ रहा है। पर कहीं ये भी धोखा हुआ तो? तुम मेरे डरने पर आगे पढ़ते हो…
हा हा हा। कहानी में उसे धोखा मिलने पर तुम हँसते हो कि मैं अकेला नहीं हूँ। … और मुस्कान झट से चहरे से गायब होती है। तुम खुश हो सकते हो कि एक अजीब शक के साथ मैं आगे पढ़ता हूँ…
तुम समझोगे अगर मैं कहूँ कि तुम एक mystery novel के ऊपर लिखा experience लिखा जाना पढ़ रहे हो। जो बात मुझे ठीक अभी पता चली है!
ज्यादा समय नहीं हुआ है पर तुम मेरा पैर फैलाने का विवरण पढ़कर बोर महसूस करते हो और मैं उपन्यास आगे पढ़ता हूँ। मुझे इतनी बार धोखा मिल चुका है की तुम उम्मीद करते हो कि अभी धोखे की बात आएगी पर सरलता की बात आने पर मैं ईमानदारी से हतप्रभ हो जाता हूँ। क्या तुम्हारे साथ चालाकी की जा रही है जो मैं बता नहीं रहा? क्या किताब में वैसा ही हो रहा है जैसा तुम पढ़ रहे हो? नाम लाग है, काम भी, कहने का ढंग भी, फिर धोखा… तुम बात जोहते आगे के लिखे पर ध्यान देते हो।
नयी कहानी उदास खोज है। बाहर बारिश हो रही है और तुम अभी बारिश का होना पढ़ रहे हो। कहानी में कोई रस्सी का मतलब ढूंढ रहा है।
कहानी कुछ ही देर में mystery की तरफ फिर बढ़ रही है। कोई है जिसके आस पास बहुत बड़ी साजिश रची जा रही है और तुम उस साजिश का ब्योरा पढ़ते हुए आगे झुकते हो की कहानी अचानक बीच में खत्म हो जाती है।
उपन्यास में कोई कहता है कि वो ऐसा उपन्यास पढ्न चाहेगा जिसने अभी तक शक्ल न ली हो। मैं वो उपन्यास पढ़ रहा हूँ। क्या हम दूर हैं कि पास?
धोखा। और उसका खुलासा। पात्रों के साथ धोखा हुआ है। फिर वही धोखा मेरे साथ हुआ है। मेरे धोखा कहते ही तुम भी धोखा होना पढ़ रहे हो।
क्या तुम समझोगे कि आगे वाली कहानी पीछे पढ़ी तीनों कहानियों से अलग है और एक ही धागे में लिपटी हुई हैं। धोखे की आशा के बावजूद अब तुम इस maze से बाहर नहीं निकाल सकते। तुम्हारे पास आगे बढ्ने के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा है।
पुल की बात आते ही तुम इस कहानी को पुल के रूप में देखते हो। वो पुल जो तुम्हें मन के भीतर के छिपे पुराने किस्सों के पास ले जाता है।
कहानी खुद की कहानी सुनाती है। एक सिपाही जो विद्रोही ढूँढता है। अंत में पाता है कि वो खुद ही विद्रोही है। उसी का नाम ढूँढने उसी को भेजा गया था। spiral जो खुद में गुम है। अनंत की खाई। कहानी धोखा देती है पात्रों को। मुझे और तुम्हें बांध कर रखती है अपने भीतर। धोखा।
क्यूंकी कहानी में spiral लिखा है तो तुम्हे चारों ओर spiral दिखता है। वो कहानी असल में सच्चही नहीं थी। तुम्हारी तरह ही कहानी में कोई कहानियों के स्रोत को ढूँढता है। कौनसे सिरे में है असली बात? तुम्हें पता चलता है कि ये धोखे की कहानी है। आने वाली कहानी का पीछा करते हुए बीती कहानी से कैसे संबंध स्थापित करोगे तुम? तुम इस खेल से थोड़ा उलझन में पड़ते हो! ये क्या पढ़ रहे हो तुम? धोखे और कहानी की बात इतनी बार कही जा चुकी है कि किसी भी बात पर विश्वास करना तुम्हारे लिए कठिन है।
तुम्हारे साथ जो धोखा हो रहा है, वही कोई भीतर जी रहा है। उससे बड़ा दुख तब होता है जब तुम पढ़ते हो कि कहानी असल में इसके बहुत पीछे है।
और लो, तुम किसी का पीछा कर रहे थे कहानी में। और वो पीछे मुड़ता है और कहने लगता है कि तुम मुझे पढ़ रहे थे। ये मेरी कहानी है और तुम कौन हो?
एक लड़का किताबों से artwork बनाता है। अब उस artwork पर किताब बनती है। वो उस किताब से artwork बनाता है। फिर उस artwork पर किताब बनती है। और ये चलता रहता है।
एक और धोखा। तुम धीमे धीमे बुदबुदाते हुए पढ़ते हो कि अभी तक की पूरी कहानी में हर कहानी में जो धोखा तुम्हें मिल रहा था वो किसी की कोशिश थी कि वो खुद को बहुत बड़े धोखे से बचा ले।
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