Devashish Makhija’s Cycle | A Letter
इस फिल्म के बाद मैं देवाशीष का शुक्रिया नहीं कहूँगा कि उन्होंने ये फ़िल्म बनाई। मैं बस उनके गले लगकर माफ़ी मांगूंगा कि उन्हें ये फिल्म बनाने की ज़रूरत पड़ी। और जिस ढंग से बनाई है, उसके लिए नमन और शुक्रिया दोनों।
इस फिल्म के बाद मैं देवाशीष का शुक्रिया नहीं कहूँगा कि उन्होंने ये फ़िल्म बनाई। मैं बस उनके गले लगकर माफ़ी मांगूंगा कि उन्हें ये फिल्म बनाने की ज़रूरत पड़ी। और जिस ढंग से बनाई है, उसके लिए नमन और शुक्रिया दोनों।
लगभग तेईस मिनट की एक शॉर्ट फिल्म है Cheepatakadumpa नाम से देवाशीष मखीजा की। ये देवाशीष मखीजा वहीं हैं जिनने भोंसले बनाई है। आओ मीना, सुपा सीना.. का खेल। खेल ही तो है। फ़िर चारों तरफ़ इतनी चौंकी हुई आँखें क्यूँ? यह निगरानी क्यूँ? क्या है खेल में ऐसा? क्या खेल कोई घेरा है?
Andrei Tarkovsky एक Russian filmmaker हैं। इन्हें दुनिया के greatest filmmakers में गिना जाता है। बीते दिनों इनकी फिल्म Solaris, The Steamroller & The Violin, Andrei Rublev, Mirror, Stalker और The Sacrifice देखी हैं और बार बार देखी हैं। उनसे जो कुछ महसूस हुआ है उस पर संवाद।
अचानक मुझे लगा
ख़तरों से सावधान कराते की संकेत-चिह्न में
बदल गई थी डाक्टर की सूरत
और मैं आँकड़ों का काटा
चीख़ता चला जा रहा था
कि हम आँकड़े नहीं आदमी हैं।
तुम्हें steamroller और violin का signficance समझ आया? दोनों चीजें बिल्कुल अलग और उलट हैं लेकिन यहाँ वो एक जगह मिल रही हैं। यह वो moment है जब artist की life और normal आदमी की life एक दूसरे को cross करती हैं। जब वो आदमी बच्चे का violin डरते हुए अपने हाथ में लेता है। Steamroller चलाने वाले आदमी के हाथ में violin टूट सकता है इसलिए वो उसे बहुत हल्के से पकड़ता है। और वो बच्चा उसका steamroller चलाता है। पूरी तरह से grease में लथ-पथ हो जाता है। दो अलग संसारों का आपस मे मिलना।
मन काफी समय से किसी अस्थिर अणु की भाँति इधर उधर फुदक रहा था.. बहुत समय से कुछ अच्छा पढ़ा या देखा नहीं था। पढ़ने के अनुकूल वातावरण था नहीं तो कुछ देखने का निश्चय किया। “The Truman Show” देखनी है यह यह बात दिमाग में चिपकी पड़ी थी तो बैठ गई देखने। मुख्य किरदार “Jim Carrey” निभा रहे हैं इस बात से वाकिफ़ थी। इनको “The Mask” और “Liar Liar” जैसी बेहतरीन हास्य फिल्मों में देखा था पहले। यह फ़िल्म 1998 में आई थी और इसे देखने के बाद बस एक ही बात मन में आयी की यह फ़िल्म सच में जीवन में मरने से पहले एक बार तो देख ही लेनी चाहिए।
इस फ़िल्म में मेरी तीन सबसे प्रिय अभिनेत्रियाँ हैं जिन्होंने बहुत अहम किरदार निभाए हैं- Kalki Keochlin, Sayani Gupta, Revathi. कहानी Laila(Kalki) की ज़िंदगी की है जो कि Cerebral Palsy से ग्रसित है। उसके परिवार में उसके पिता, उसकी माँ(Revathi) और उसका भाई भी है। Laila दिल्ली में college पढ़ती है, उसे music बहुत पसंद है और वो अपने college के music band में lyricist का काम भी करती है।
“The social Dilemma” 2020 में बनी एक वृतचित्र है यानी कि एक डॉक्यूमेंट्री फ़िल्म है। इसे जेफ ओरलोवस्की ने डायरेक्ट करा है और यह नेटफ्लिक्स पर उपलब्ध है। जैसा कि फ़िल्म के नाम से ही पता चलता है यह फ़िल्म सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स और उनसे जुड़े हमारे Dilemma पर बात करती है।
तो भाईसाब, ये जो पिक्चर है I’m Thinking of Ending Things – ये दिमाग खोल देगी। इमेजिनेशन, कहानी, डायरेक्शन, एक्टिंग, सिनेमेटोग्राफी, meaning, relatibility, बातें, absurdity, life, loneliness, continuos shots, human, creativity और ना जाने किन किन मामलों में।
फ़िल्म को देख मन में कितनी ही बार यह सवाल आता है कि क्या सच में हमारे खालीपन और निराशा से भागा जा सकता है? और अगर हम भाग भी लेते हैं तो जहाँ ठहरेंगे वहाँ खालीपन और निराशा नहीं होगी यह बात कितनी निश्चितता से कही जा सकती है। यह सब सोचते हुए मानव कौल की लिखी एक बात भीतर कहीं गूँजने लगती है “किसी के चुनते ही जो नहीं चुना वह दिमाग में रह जाता है और जो चुन लिया वह हमारे थके हुए जीवन का हिस्सा बन जाता है।”