तीन एकांत – निर्मल वर्मा | एकांत का सुख है

तीन एकांत – निर्मल वर्मा | एकांत का सुख है

कभी-कभी मैं सोचती हूँ कि मरने से पहले हममे से हर एक को यह छूट मिलनी चाहिए कि हम अपनी चीर-फाड़ खुद कर सकें। अपने अतीत की तहों को प्याज़ के छिलकों की तरह एक-एक करके उतारते जाएँ – आपको हैरानी होगी कि सब लोग अपना-अपना हिस्सा लेने आ पहुचेंगे, माँ-बाप, दोस्त, पति – सारे छिलके दूसरों के, आखीर की सुखी डंठल आपके हाथ मे रह जाएगी, जो किसी काम की नहीं, जिसे मृत्यु के बाद जला दिया जाता है, या मिट्टी के नीचे दबा दिया जाता है।

Nine: Dreams, Fiction, Reality and The Magic of Cinema

Nine: Dreams, Fiction, Reality and The Magic of Cinema

कुछ दिन होते हैं जब हम ये pinpoint नहीं कर पाते कि ये सपना है या हक़ीक़त। पूरा दिन ऐसा लगता है कि सपना है। सपने और असल जीववन के बीच की लकीर धूमिल (blurred) पड़ जाती है। और अगर ये कोई film बहुत भीतर तक महसूस करवा दे तो?

Kafka On The Shore Quotes – Part 1

Kafka On The Shore Quotes – Part 1

It’s because all the performances are imperfect. A dense, artistic imperfection stimulates your consciousness, keeps you alert. If I listen to some utterly perfect performance of an utterly perfect piece while I’m driving. I might want to close my eyes and die right then and there. But listening to the D major, I can feel the limits of what humans are capable of – that a certain type of perfection can only be realized through a limitless accumulation of the imperfect. And personally, I find that encouraging.

प्रतिनिधि कहानियाँ – निर्मल वर्मा | निजी खिड़कियां

प्रतिनिधि कहानियाँ – निर्मल वर्मा | निजी खिड़कियां

बरसों बाद भी घर, किताबें, कमरे वैसे ही रहते हैं, जैसा तुम छोड़ गए थे; लेकिन लोग? वे उसी दिन से मरने लगते हैं, जिस दिन से अलग हो जाते हैं… मरते नहीं, एक दूसरी ज़िंदगी जीने लगते हैं, जो धीरे- धीरे उस ज़िंदगी का गला घोंट देती है, जो तुमने साथ गुजारी थी…

The Social Network | Engaging & Inspiring

The Social Network | Engaging & Inspiring

फिल्म Social Network based है Mark Zuckerberg की ज़िंदगी पर। Mark ज़ुककेरबर्ग – जो facebook के मालिक हैं। लेकिन facebook बनाने से पहले वो एक Harvard University student थे, जिनके पास बिल्कुल पैसे नहीं होते थे।

एक साधारण ordinary student से एक extraordinary developer की यात्रा है फिल्म Social Network.

फिल्म में जो एक साधारण common man से लेकर एक uncommon man का पात्र है – वो अपनी तरफ खींचे रखता है, और facebook की ज़िंदगी में हमें बांध कर रखता है।

केदारनाथ अग्रवाल की किसानी कवि होने की झलकियां

केदारनाथ अग्रवाल की किसानी कवि होने की झलकियां

नहीं कृष्ण की,
नहीं राम की,
नहीं भीम, सहदेव, नकुल की,
नहीं पार्थ की,
नहीं राव की, नहीं रंक की..
नहीं तेग, तलवार, धर्म की
नहीं किसी की, नहीं किसी की
घरती है केवल किसान की।

आगरा बाज़ार – हबीब तनवीर साहब की Time Travelling Machine

आगरा बाज़ार – हबीब तनवीर साहब की Time Travelling Machine

अदना, गरीब, मुफलिस, जरदार पैरते हैं,
इस आगरे में क्‍या-क्‍या, ऐ यार, पैरते हैं।
जाते हैं उनमें कितने पानी में साफ सोते,
कितनों के हाथ पिंजरे, कितनों के सर पे तोते।
कितने पतंग उड़ाते, कितने मोती पिरोते,
हुक्‍के का दम लगाते, हँस-हँस के शाद होते।
सौ-सौ तरह का कर कर बिस्‍तार पैरते हैं,
इस आगरे में क्‍या-क्‍या, ये यार, पैरते हैं॥

कुँवर नारायण की Top 10 पंक्तियाँ – Part 3

कुँवर नारायण की Top 10 पंक्तियाँ – Part 3

और वह प्रेमिका
जिसका मुझे पहला धोखा हुआ था
मिल जाए तो उसका खून कर दूँ!
मिलती भी है, मगर
कभी मित्र
कभी माँ
कभी बहन की तरह
तो प्यार का घूंट पीकर रह जाता।

हरिशंकर परसाई जी की किताब “ प्रेमचन्द के फटे जूते ” से कुछ अंश ( पार्ट-1 )

हरिशंकर परसाई जी की किताब “ प्रेमचन्द के फटे जूते ” से कुछ अंश ( पार्ट-1 )

दानवों के सहयोग के बिना वे लक्ष्मी प्राप्त ही नहीं कर सके। तो अपनी अर्थव्यवस्था का जो समुद्र है उसके मंथन के लिए में दानवों से समझौता करूं, तब लक्ष्मी बाहर निकलेगी। फिर भी क्या ठिकाना कि वह मुझे मिल ही जाएगी। मामूली देवता तो असंख्य थे, पर लक्ष्मी उन्हें कहाँ मिली? वह सीधे विष्णु के पास गयी और गले लग गयी। दुसरे देवताओं ने भी कोई प्रोटेस्ट नहीं किया। करते भी कैसे? विष्णु बहुत बड़े थे-शक्ति में, धन में, रूप में और चातुर्य में। स्त्री बनकर जिसने अपने दोस्त शंकर को ठग लिया, उसकी चतुराई की कोई कमी नहीं थी। लक्ष्मी सीधी ‘मोनोपली में जाकर मिल गयी।