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Raah Sangharsh Ki | Love Storiyaan | A Letter | EkChaupal

Raah Sangharsh Ki | Love Storiyaan | A Letter | EkChaupal

साथी,

अभी कुछ बहुत सुंदर देखा। Love Storiyaan S01 E04 “राह संघर्ष की..” – Director-  Akshay Indikar । आँखें हल्की नम हैं, खुशी से। भीतर जैसे गर्माहस का एक गोला पिघल रहा है। यह खुशी है कुछ बहुत सुंदर देखने की। और उससे भी ज़्यादा इस बात की कि इसे किसी ने इस दुनिया में जिया है। यह किसी का जीवन है। इसके होने से इतनी सारी निराशाओं के बीच यह दुनिया थोड़ी और बेहतर और सुंदर जगह लगती है। क्या हम भी एक दूसरे के प्रति साथ में हमेशा से ऐसे ही नहीं होना चाहते थे? सुभद्रा और राहुल को देखते हुए मन में बस यही खयाल आया। कितने सुंदर लोग हैं यह। और कितना सुंदर प्रेम है इनका!

ऐसा प्रेम जिसमें साथ होने से किसी एक का या दोनों का ‘स्वयं’ होना मिटता या फीका नहीं पड़ता बल्कि और गहरे रँग का हो जाता है। ऐसी यात्रा जिसमें एक दूसरे का हाथ पकड़कर चलने का सुख इसलिए इतना गहरा है क्यूँकि तुम दो पेड़ों की तरह ज़मीन के भीतर अपनी जड़ों से एक हो लेकिन बाहर तुम्हारी शाखाएँ चारों तरफ़ फैली हुई हैं अपनी अपनी दिशाओं में। अपने अपने एकांत और संघर्षों को सींचती हुई। क्या हमारे एकांत की कविता ऐसी ही नहीं सुनाई देती?

सबसे सुंदर बात राहुल और सुभद्रा के साथ की यह लगी कि कितना आदर करते हैं वह दोनों एक दूसरे का, अपने काम का और शिक्षा का। कितनी सहज खुशी और प्रोत्साहन है उनमें एक दूसरे को अपना काम पूरी क्षमता से करते हुए देखने की – एक जगह राहुल बताते हैं उन्हें बहुत खुशी हुई थी जब लोग सुभद्रा का इंटरव्यू लेने आए थे और उन्हें किसी ने नहीं पहचाना। वह खुश थे कि सुभद्रा का अपना एक वजूद है इस दुनिया में उनसे इतर जो उनकी अपनी मेहनत से बना है।

और सुभद्रा हैं भी ऐसी! तुम फ़िल्म देखोगे तो बहुत पसंद करोगे उन्हें। साथ ही फ़िल्म की बनावट को भी। एक अच्छी बात यह है कि पूरी फ़िल्म(/एपिसोड) सिर्फ उनके साथ आने के सामाजिक संघर्ष पर ही टिकी नहीं रहती बल्कि उनके साथ आने के बाद इतने साल साथ बने रहने के आपसी तालमेल पर ज़्यादा घूमती है – नींव तो यहीं है ना।

असल सुभद्रा और राहुल की बातों के बीच फ़िल्म की काल्पनिक कड़ियाँ बेहद सुंदर हैं। तुम जवान सुभद्रा और राहुल को देखते हो – मूक, एक दूसरे का हाथ पकड़े कभी कोलकाता के किसी कैफ़े में बैठे हुए तो कभी ऐतिहासिक विशाल स्मारकों में मानो ‘समय’ के साथ टहलते हुए।

सिनेमेटोग्राफी इतनी सुंदर है कि हर एक फ्रेम तुम्हारी आँखें बाँधे रखता है। कभी कभी लगा कि यह दृश्य शायद कुछ ऐसा छूना चाह रहे हैं जो सारे दिखे से परे है.. सुभद्रा और राहुल के बीच का अमूर्त जो उन्होंने बहुत गहरी नींद में एक दूसरे के पास सोते हुए महसूस किया होगा – जैसे मैंने तुम्हारे पास। जब आँख खुलती है तो लगता है जैसे भीतर कोई पत्ता हिला था। पत्ते पर रखा अंनत समय का एक घेरा, हवा में उड़ता हुआ।

सुभद्रा और राहुल का एक बेटा भी है, जब उसे बात करते हुए सुना तो लगा अगर ऐसे बहुत से लोग हों दुनिया में जिनकी पैदाइश ऐसी हो तो लोग कितने अलग होंगे! हमारे संघर्ष कितने अलग होंगे!

‘लव स्टोरियाँ’ का यह पूरा शो ऐसी ही खूबसूरत असल जीवन की प्रेम कहानियों से बना है। यह सीमेंट की सड़क चटकाकर कोने पर उगे उन कुछ अकेले फूलों सी कहानियाँ हैं जिन्हें हम चलते हुए कभी रुककर देख लेते हैं और भीतर कुछ मुस्कुरा देता है। चाहती हूँ कि तुम भी इन्हें देखो। दुनिया को बेहद ज़रूरत है इनकी अभी।

~ तुम्हारी सखी

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