Awaken The Giant Within by Anthony Robbins. इस किताब के बारे में कहने को बहुत कुछ है लेकिन जो एक बात इसे पढ़ने के बाद बार बार मन में आती रही वो यह थी कि यह किताब जीवन में सारी अच्छी चीज़ों के प्रति – जो हमें पता होती हैं हमेशा से लेकिन हम फ़िर भी उनसे कतराते हैं – विश्वास बढ़ाती है। और कुछ नहीं बस एक सरल विश्वास। और यह अपने आप में बहुत बड़ी चीज़ है। किसी भी चीज़ के प्रति अपना विश्वास बदलने से पूरा नज़रिया बदल जाता है ऐसा anthony से ही सीखा है। तो एक तरह से यह सच में पढ़ने वाले का जीवन के प्रति नज़रिया बदल देती है।
किताब कुछ नया नहीं बताती, पढ़ने के बाद लगेगा कि यह वही सब तो कह रही है जो तुमने बहुत बार सुन रखा है.. अलग अलग तरीकों से, अलग अलग लोगों से। हाँ ठीक यही। कुछ नया नहीं। जॉर्ज ऑरवेल ने कहा था कि सबसे अच्छी किताबें वही होती हैं जो हमें पहले से ही पता चीज़ें बताती हैं। अगर यह इसके अलावा और कुछ भी बताती या बताने का वादा करती तो यह एक झूठी मार्केटिंग ट्रिक भर होती। यह किताब इसीलिए brilliant है कि यह बहुत कुछ नया बताते हुए भी कुछ नया नहीं बताती। वही सारी insights और knowledge जो already हमारे पास है लेकिन जिसे हम फ़िर भी इस्तेमाल नहीं कर पाते हैं। जो कब से आस पास पड़ा अदृश्य हो चुका है उसे नज़र में लाकर दृश्य बनाती है फ़िर से। यह किताब दरअसल ढँग बताती है। बताती नहीं सिखाती है। सिखाने के लिए भीतर की अटकी जड़ को ढूँढकर उसपर बात करती है, उसे टटोलती है और अंत में जो इतने समय से उलझा हुआ लगता है उसे धीमे से खोल देती है जैसे हो दुनिया की सबसे सरल गाँठ।
पढ़ते हुए बीच में लगा कि यह मेरे लिए साहित्य और लेखन जो काम करता है वो कर रही है। मेरे भीतर को उजागर कर रही है। मेरा मेरे खुद से सँवाद का ज़रिया बन रही है। यह अच्छा है। ठीक वैसे ही जैसे कभी कभी कुछ बातें हमें बस किसी दूसरे के मुँह से सुनने की ज़रूरत होती है। तब वो हमारे लिए ठोस बन जाती हैं। यह किताब शायद वही दूसरा है जिसकी आवाज़ सुनने की हमें समय समय पर ज़रुरत पड़ती है। इन दिनों यह और भी ज़्यादा जरूरी लगती है क्यूँकि हमारे आज के समय में अधिकतम लोग बाहर की परेशानियों और कठिनाइयों से तो परेशान है ही हैं लेकिन उससे भी ज़्यादा अपने भीतर की कठिनाइयों और दुखों से पीड़ित हैं।
एक सबसे अच्छी बात मुझे किताब की यह लगी कि यह कोई भी जादुई तरीका नहीं बताती जिससे कम से कम मेहनत में, बिना कुछ करे तुम्हें जीवन का सारा आनंद मिल जाए। बल्कि ठीक उसके उलट शुरुआती पन्नों में ही पढ़ने वाले को अपने जीवन के प्रति self pity और कामचोरी की बजाए responsibility लेने को कहती है। भीतर से ही सब है और कोई दूसरा चारा नहीं, यही दिखाती है अंत तक। और दूसरी सबसे अच्छी बात यह लगी कि anthony robbins सच में तुम्हें अपनी मदद करने के लिए, खुद को बेहतर बनाने की सिर्फ बातें ही नहीं करते हैं बल्कि तुमसे एक्टिव पार्टिसिपेशन माँगते हैं हर चैप्टर के अंत में और अपनी इतने सालों की मेहनत से बनाए टूल्स और exercises तुमसे साझा करते हैं। जो कि सच में बहुत ईमानदारी से तुम्हारी मदद करते हैं अगर तुम अपनी तरफ से भी उतना ही पार्टिसिपेट करो तो।
मुझे नहीं पता कि आने वाले समय में मुझे इस किताब की कितनी बातें याद रहेंगी। क्या बचेगा अंत में जो चिपका रह जाएगा, जो शायद जीवन भर साथ रहेगा? शायद इस किताब एक पूरा निचोड़, एक उबाल.. सब मेरे लिए किसी एक वाक्य या एक शब्द में जमा हो गया हो। या एक फीलिंग, जो हर आड़े वक़्त में किसी अच्छे दोस्त की तरह साथ बनी रहेगी। (एक वक्त बाद क्या हर किताब हमारे लिए ठीक यही नहीं बन जाती?) हाँ! एक अच्छा दोस्त। Anthony Robbins ठीक एक बहुत अच्छे दोस्त की तरह हैं। किताब पढ़ के लगा कि Anthony असल जीवन में शायद बहुत अच्छे और प्यारे इंसान होंगे (हर वक़्त ज़रूरी नहीं) जिनके साथ बैठकर किसी दोस्त की तरह बात की जा सकती है। जिनपर trust करा जा सकता है और बहुत कुछ सीखा जा सकता है खुद को बेहतर बनाने के लिए। शायद उनकी सबसे अच्छी बात है भी यही की वो खुद को बेहतर बनाने का एक जुनून सा भीतर भर देते हैं और उसके बहुत से तरीके भी हाथ में थमा देते हैं। तरीके भी ऐसे जो जीवन के सच से पृथक नहीं हैं। अपनी पूरी ईमानदारी में कहते हुए की मेहनत तो तुम्हारी ही लगेगी। इससे ज़्यादा कोई किसी की क्या ही मदद करे!
यह किताब मुझे ऐसे समय पर मिली है जब शायद मुझे इसकी काफ़ी ज़रूरत भी थी। साथी को शुक्रिया यह किताब सुझाने के लिए। पढ़ो इसे, यह सच में बहुत अच्छी है। अपने को और उसके ज़रिए दूसरों को और अच्छे से समझ पाओगे।
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“मुझे शब्द बहुत पसंद हैं।” –
Bio माँगा तो कहा कि बस इतना ही लिख दो। छोटा, सटीक और सरल। Instagram bio में खुद को किताबी कीड़ा बताती हैं और वहाँ पर किताबों के बारे मे लिखती हैं। इनको आप Medium पर भी पढ़ सकते हैं।
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