Manoj Muntashir (मनोज मुंतशिर) को कौन नहीं जानता!! तेरी मिट्टी जैसे गाने के बाद उनका नाम शोहरत की बुलंदिया छूने लगा। उनकी किताब आई थी ‘मेरी फितरत है मस्ताना’। बहुत ही खूबसूरत किताब। हम पहले ही यहाँ पर उसी किताब से कुछ अंश पेश कर चुके हैं। आप दोबारा उन्हें पढ़ सकते हैं।
मनोज ‘मुंतशिर’ – मेरी फ़ितरत है मस्ताना | Top 10
मनोज ‘मुंतशिर’ के top 10 शेर | Top 10
इस किताब की खास बात ये है कि इसे जितनी बार पढ़ो उतनी बार कुछ नया मिलता है। तो इस बार हम कुछ और नयी शायरी लेकर आए हैं जिन्हें पढ़कर आपको मजा आ जाएगा। तो आइए पेश हैं Manoj Muntashir के कुछ और चुनिन्दा शेर।
खींच ले जाती हैं मुझको तेरे ही घर की तरफ
शहर की ये सारी सड़कें जैसे पागल हो गईं
हमारे गाँव की गलियों को हम से ये शिकायत है
नई जन्नत बसाने में पुरानी छोड़ दी हमने
ना जाने किसकी नजर लग गई थी पैरों को
तमाम उम्र चले और कहीं नहीं पहुंचे
मेरे पैरों को तू मिट्टी में सना रहने दे
मेरा धरती से जो रिश्ता है, बना रहने दे
दवाओं मरहमों से जख्म मेरे भर नहीं सकते
वो माँ की फूँक मिल जाए तो शायद बात बन जाए
हाए वो पीतल के छल्ले भी पुराने हो गए
आपसे बिछड़े हुए कितने जमाने हो गए
कोई खिड़की, कोई दीवारो-दर अच्छा नहीं लगता
वो क्या रुखसत हुआ, आँखों को घर अच्छा नहीं लगता
इसी दुनिया में रहता हूँ मैं लेकिन
मेरे सपनों की ये दुनिया नहीं है
तो ये थे Manoj Muntashir साहब के कुछ खास शेर। और पढ़ने के लिए इनकी किताब पढ़िये। आपको कौनसे पसंद आए, ये भी बताइये।
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बिखेरने की आज़ादी और समेटने का सुख – लिखने की इससे बेहतर परिभाषा की खोज में निकला एक व्यक्ति। अभिनय से थककर शब्दों के बीच सोने के लिए अलसाया आदमी।
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