Buddha Manga | EkChaupal

Osamu Tezuka created manga Buddha to tell the story of the Tathagat in a new manner and we can’t thank him enough. A marvelous achievement, this post is our reflection on the effect it had on us.

बुद्ध। एक नाम जो बरसों से साथ रहा है। कभी बचपन की किताबों में जिक्र सुना तो कभी सिद्धार्थ की कहानी में। कैसे कोई अपने घर परिवार, बीवी बच्चे को छोड़कर निकल पड़ा यात्रा पर – दुनिया को समझने को। दुख को समझने की। मृत्यु क्या है का सवाल। और उसे जवाब मिला कहां – एक पेड़ के नीचे।

हमेशा से अदभुत लगा। बहुतों से सवाल पूछा। बीते दिनों सखी ने कहा कि इस दुनिया में बुद्ध इकलौते हैं जिनके बारे में अधूरा ज्ञान सबको है, और सब इतने गर्व से उस अधूरे ज्ञान पर नाचते हैं कि देखने लायक हैं। उसी दुनिया का हिस्सा हम भी हैं। हमें भी बुद्ध के बारे में बहुत थोड़ा सा पता है और उतने पर ही बहस और चर्चाओं में कूद जाते हैं बिना कुछ समझे। बिना ये जाने की बुद्ध तो मौन से भी बात करते थे।

अंगुलिमाल से जब बात कर रहे थे तब बुद्ध चुप थे। वो बस सुन रहे थे। वो उनको मारने, उनकी उंगली काटने और हिंसा की बात कर रहा था, और बुद्ध चुप थे। शांत। हम? हम इसी बात पर बोलना शुरू कर देते हैं। हम छोड़ो, मैं तो कर ही देता हूं।

बीते दिनों एक manga series पढ़ी। बुद्ध। ओसामा सुजाके की है। 8 volume हैं। बुद्ध के बारे में कुछ भी पढ़ना अदभुत है, पर अगर वो अच्छे से मिल जाए तो कहना क्या। Manga का अपना style होता है। ओसामा ने बहुत अच्छे ढंग से अपनी इस कला का इस्तेमाल किया है। कहीं कोई बहुत बड़ी बात नहीं। कुछ कठिन नहीं। ऐसा भी नहीं कहीं कुछ बहुत ही गूढ़ बात की हो, बुद्ध की कथा के जरिए बहुत मामूली सी छोटी लगने वाली बातें की हैं जो हम बचपन से सुनते, पढ़ते, देखते आ रहे हैं पर फिर भी हर बार नई लगती हैं। क्या ठीक बुद्ध यही नहीं करते? वो बस हमारे दुनिया के देखने को चश्मे को थोड़ा और साफ कर देते हैं।

ऐसा नहीं है manga बुद्ध के जन्म से शुरू होती है। वो एक सवाल से शुरू होती है कि एक आदमी को बचाने के लिए एक खरगोश ने अपनी जान दे दी। क्यों? और इसका जवाब ढूंढने एक monk निकल पड़ता है। उसे मिलते हैं कई लोग जो आगे चलके सिद्धार्थ या बुद्ध के जीवन को प्रभावित करेंगे। हंसी, मजाक और साथ में मनुष्य होने के बहुत से सरल सवालों को बहुत ही अच्छे ढंग से पेश करते हुए ओसामा आपको कहानी में लाते हैं। बहुत बाद में बुद्ध की कहानी शुरू होती है।

फिर बचपन। कैसे बुद्ध बचपन से सवालों से घिरे थे, उनका शारीरिक रूप से कमजोर होना, उनका प्रेम, उनकी शादी, उनका उसको छोड़ना। कैसे उन्होंने घर में ही रहते हुए सब छोड़ना शुरू कर दिया था और इस पर उनकी पीड़ा। कैसे उन्हें पता था कि अगर देर कर दी तो वो कभी भी हिम्मत नहीं कर पाएंगे घर से जाने की!!

उस समय के लोग (अभी के भी) कहते थे कि ज्ञान पाने के लिए तपस्या करनी पड़ती है, जिसमें शरीर को दुख देना चाहिए, चाहे उसमें जान ही क्यों ना चली जाए। सिद्धार्थ भी इस रास्ते पर निकले, पर उनके पास सवाल था – जब जीवन में पहले से ही इतना दुख है तो फिर ज्ञान के लिए अपने शरीर को भी दुख दें? इससे बचा नहीं जा सकता?

और एक बात जो बाकी लोगों और सिद्धार्थ में अलग थी – जो सब अपने शरीर को कष्ट दे रहे थे वो कह रहे थे कि ज्ञान पाकर दुनिया का भला करेंगे, सिद्धार्थ कहते थे कि उन्हें अपने दुखों से मुक्ति चाहिए, वो मरना नहीं चाहते। बहुत छोटा सा अंतर है ना? और बहुत बाद में सिद्धार्थ बुद्ध बने, पर तब भी मारा से लड़ते रहे, उससे प्रभावित होकर रोज द्वंद करते रहे। बुद्ध होना क्या है?

Manga बहुत अच्छे से डिजाइन की है। बहुत सुंदर है। बहुत कठिन नहीं है, बहुत सरल तरीके से बेसिक कहानी कहती है। हंसी है, मजाक है, सवाल हैं जिनसे बुद्ध जूझते रहे। बोर नहीं करती, थकाती नहीं है, कॉमिक स्टाइल में है, और इतनी सारी कहानी का मेटाफोरिकल amalgamation है कि पढ़ने में मजा आता है।

तो अगर कुछ बहुत अच्छा पढ़ना है, खासकर बुद्ध के बारे में तो ये manga पढ़िए। सवाल अच्छे मिलेंगे।


Buddha Manga खत्म कर दी। बुद्ध को निर्वाण मिल गया। कितना अजीब है ये जानना कि बुद्ध को सबके हृदय में ईश्वर बहुत बाद में दिखे। कितना कुछ जीने के बाद। फिर बुद्ध चले गए। निर्वाण में। सब कुछ पीछे छोड़कर। क्या कुछ बदला? बुद्ध से बात करने के लिए किसके पास जाऊं? किताब खत्म होने का खालीपन है ये, या फिर बुद्ध की संगत छूटने का, किताब के जरिए ही सही, बुद्ध से बात हो रही थी। संवाद में कोई एक भी अपनी बात कहकर चला जाए, वो आखिरी पूर्णविराम लगाकर, उसके बाद का अथाह खालीपन कैसे जिया जाए? कौनसा रास्ता छोड़ा बुद्ध ने? वो बुद्ध सारे रास्तों पर चलने के बाद बने, बुद्ध तुम गुरु हुए अपने पथ पर चलने के बाद, तुमसे कहना था तुमने जीने का करतब सिखाया। मेरे अपनी परीक्षाओं का जंगल है, क्या तुम मिलोगे उसके परे बोधि के नीचे?

जिस सवाल से किताब शुरू हुई, उसका जवाब बुद्ध ने दिया। जबकि जवाब बहुत बार किताब में सामने आता रहा, कभी बुद्ध के जीवन में, कभी उनसे जुड़े लोगों के जीवन में, तुम्हारे अपने जीवन में भी। पर देखा क्या? बुद्ध से बात करने को तरसते हम क्या सुन पाते हैं मूक पुकार उनकी जिनसे बुद्ध प्रेम करते थे? बुद्ध कहते हैं कि हर जीवित के हृदय में ईश्वर निवास करते हैं, तो क्या हर पौधा बोधि नहीं? घास का तिनका बोधि नहीं? बोधि कहां से लाऊं बुद्ध? सखी पूछती है तुम मिलोगे क्या और अपनी बिल्ली से खेलती है, उसके लिए कविता झूठ है और बिल्ली का हाथ पकड़ना सच। तुम कहते हो सब कुछ इसी पृथ्वी पर है, कारण भी परिणाम भी। तुम कहां हो बुद्ध? सवाल यहीं है, जवाब यही हैं, पर भाषा? जिन सवालों के जवाब दूसरी भाषा में लिखे गए, उन्हें समझने वाला बुद्ध कहां से लाऊं?

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