Top Quotes from Agyeya’s Apne Apne Ajnabee | EkChaupal
अज्ञेय का उपन्यास अपने अपने अजनबी अपने आप में बड़ा अनूठा है। शुरू में बड़ी मुश्किल हुई इसके संसार और लोगों के जीवन में उतरने में। उखड़ी उखड़ी बातें जो किसी एक सिरे में बंधी तो लगती हैं पर वो सिरा टटोला तो लगा जैसे बीच के मोती गायब हैं। फिर लगा ये उखड़ती हुई सासें हैं। अपने को पहचानने की कोशिश करती हुई। सलमा और येको की कहानी।
जरा सोचो सखी, एक जवान लड़की और एक बूढ़ी औरत एक बर्फ के तूफान में एक घर में कैद हो जाते हैं। महीनों के लिए। धूप भी नहीं। राशन है। शुरू से जो जवान है उसे मृत्यु का डर है, बूढ़ी को नहीं। उसने स्वीकार लिए है उस अनजान चीज को। बस सारा ड्रामा यहां। अकेलापन, त्रासदी, और जीने की जटिलता। क्या बीतता है जो मजबूर कर देता है कि हम एक दिन अपने साथ वालों की मृत्यु की कल्पना करना शुरू कर देते हैं? इतना कि हमारे हाथ उनकी गर्दन पर पहुंच जाते हैं। और अचानक से दिखती हैं उनकी आंखें जो ना दुत्कारती हैं और न गुस्सा, बस पूछती हैं – रुक क्यों गए?
कैसे चुनते हैं अपनी मृत्यु? पूरा उपन्यास बस एक सवाल पूछता है कि क्या हमें कुछ भी चुनने की आजादी है – नाम, जगह, मृत्यु? ये कैसा जीवन है कि कोई भी चीज अपनी इच्छा se नहीं चुन सकते? और अंत में मृत्यु भी नहीं? और अगर चुनो तो? तब भी क्या ये संभव है? और अजनबी… क्या हम कभी अपने अजनबी चुन पाते हैं जिनसे कह सकें वो सब कुछ जो हमने अपने निजी से नहीं कहा, माँग सकें माफी जो अपने ईश्वर से नहीं मांगी क्योंकि ईश्वर तो कभी अजनबी रहा ही नहीं…
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