Letters To Felice | Franz Kafka

I have no literary interests, but am made of literature, I am nothing else, and cannot be anything.

Kafka के पत्र – Felice के लिए। एक लेखक। महान लेखक। तुमने उसकी कहानियां पढ़ी हैं। बहुत दिल से। उसके उपन्यास पढ़े हैं। जादुई। ठीक वैसे जैसे तुम पढ़ना चाहते थे। उसके पात्र तुमसे बोलते हैं। कुछ ऐसी बातें करते हैं जो कोई नहीं करता। शब्दों से इतना कुछ कह जाते हैं और इतना सच की आस पास का झूठ उसके सामने घुटने टेक देता है। तुमने दिल ही दिल में उसकी एक छवि बना ली।

और फिर तुम्हे मिले उसके पत्र। जो उसने कभी किसी और के पढ़ने के लिए नहीं लिखे। एक इंसान जो अपने लिखे को इतनी कड़ी नजर से देखता है कि लिखता है कि वो लिख कर खुद के भीतर को साफ कर रहा है, जिस लिखे को उसने जलाने की will लिखी थी (जिस पर अभी भी research होती है, और नए अर्थ निकलते हैं), जो सिर्फ लेखन के लिए जीता है, जिसने कभी किसी संबंध को सच नहीं माना, उसे प्रेम हो जाता है।

I love you so much, Felice, that if I can keep you I should want to live forever, but only, it must be remembered, as a healthy person and your equal.

तुमने कभी किसी बच्चे का निरीह प्रेम देखा है। मासूम, बहुत भीतरी, अपनी पूरे अस्तित्व से। इतना कि सामने वाले का एक शब्द उसके लिए जीने की वजह है। दिक्कत सिर्फ ये है कि वो इंसान अपना अस्तित्व सिर्फ अपने लिखे में पाता है। वो कहता है कि वो सिर्फ लेखन है, अगर लेखन नहीं तो उसका अस्तित्व नहीं और उस सबके साथ वो सामने वाले से प्रेम करता है। शुरू में बहुत सही चलता है। पर फिर आती हैं परेशानियां।

एक इंसान जिसे बात करना नहीं आता, सिर्फ लिखना आता है। और जिसे पता है कि वो क्या है!! अपने को लेकर इससे ज्यादा साफ नजर मैंने आज तक नहीं देखी। कोई क्या ही critical होगा खुद को लेकर, या खुद के द्वारा कुछ लिखे को लेकर!! और फिर वो कहता भी है कि मैं ऐसा हूं, मैं प्रेम करता हूं अपने पूरे अस्तित्व के साथ पर मेरे साथ सामान्य जीवन नहीं जी पाओगे। मैं किसी भी हालत में लिखने को लेकर कोई समझौता नहीं करूंगा। मुझे ये संसार जो सबके लिए असली है, अच्छा है, मेरा दम घोंटता है, मैं ज़िंदा सिर्फ अपने लिखे में हूं। वो पूछता है कि क्या तुम ऐसे इंसान के साथ जीवन निभा पाओगी?

If I were with you I’m afraid I should never leave you alone – and yet my craving to be alone is continuous – we would both suffer, though of course, it would mean happiness well worth any amount of suffering.

लड़की कहती हैं हां। क्यूंकि उसने सिर्फ ये बातें पत्र में पढ़ी हैं। और उसे लगता है ये लिखी हुई बाते हैं। वो नहीं जानती कि इस इंसान के लिए लिखा हुआ ही सच है, वो उसी में जीता है, उसी में सांस लेता है, बाकी सब झूठ है। दोनो की सगाई होती है, फिर धीरे धीरे लड़की को पता चलता है कि वो जो लिखता है वो सच है। उसके लिए बाहरी जीवन सच में झूठ है। तब शुरू होते हैं डर।

उससे पहले, सोचो तुम्हारी अब तक की सबसे गजब की, greatest romantic novel या कहानी – उन सबसे परे हैं ये 5 साल में लिखे गए पत्र। एक तो काफ्का की लिखाई – अपने सबसे निजी क्षणों में, सबसे मासूम क्षणों में। इतनी खूबसूरत की शुरू के 50 60 पेज में लगा कि यार ये बहुत निजी है – मेरा पढ़ना इन्हें ठीक नहीं है। ये उन्होंने मेरे पढ़ने के लिए नहीं लिखे। पर फिर रुका भी नहीं जाता। इन्हें पढ़ने की माफी मांगी हर दिन मांगी है और शायद आगे भी मांगूंगा। पर ये बहुत सुंदर है। प्रेम का हर एक पड़ाव है। जीवन अपने सबसे सुंदर, दयनीय, क्रूर, घिनौने, इंसानी रूप में।

I have no literary interests, but am made of literature, I am nothing else, and cannot be anything.

Kafka 1912 में पहली बार Felice से मिलते हैं। पहली नजर में उन्हें वो सादी लगती हैं। लेकिन फिर कुछ होता है। वो उसी सितंबर से पत्र लिखना शुरू करते हैं। शुरू की औपचारिकता खत्म होते होते एक पड़ाव पार होता है और फिर एक बच्चे की मासूमियत और जिद से वो Felice से प्रेम लिखते हैं। Felice का letter एक दिन ना आने पर को छटपटाहट, शब्दों में दिखती है वो इतनी निजी है कि शुरू में बहुत असहजता हुई कि यार ये नहीं पढ़ने चाहिए। एक दिन Felice के 2 letter एक साथ आते हैं और उस पूरे letter में जो खुशी दिखती है वो मेरे चहरे पर मुस्कान बन के रही। Felice के बारे में एक एक चीज पूछी है, अपने बारे में बताई है, अपने लिखे को वो असल जीवन में कैसे देखते हैं वो पढ़ के लगेगा कि इतना quality control एक इंसान के लिए मुमकिन है??

बातें आगे बढ़ती हैं। Kafka धीरे धीरे Felice को सब बताते हैं कि वो प्रेम करते हैं पर अपने लेखक के अस्तित्व के साथ। अपनी पूरी लड़ाई के बारे में बताते हैं जो 24 घंटे उनके भीतर चलती है। Felice से बात करते हुए भी वो लेखन नहीं छोड़ सकते। अपनी सारी कमी को इतनी ईमानदारी और बारीकी से लिखते हैं तो लगता है ये इंसान इतना सच था कि बाकी सब इसके आस पास झूठ हो जाते होंगे। बहुत निजी तौर पर देखें तो हम इंसान को झेल नहीं पाते। इतनी ईमानदारी हमसे बर्दाश्त नहीं हो सकती (जो कि उनके घर वाले, आस पड़ोस से नहीं होती थी – सिवाय Max Brod के जो उनके सबसे घनिष्ठ मित्र थे)। और Felice के साथ भी यही हुआ।

Nothing unites two people so completely, especially if, like you and me, all they have is words.

धीरे धीरे प्रेम बढ़ा, engagement हुई पर फिर Felice को इनकी खुद की लड़ाई, लेखन के लिए प्यार और भी बहुत चीज़ों से थोड़ी दिक्कत हुई… और काफ्का ने ये सब पहले से anticipate करके रखा था पर अब हुआ तो जो लिखा है, जो विलाप है शब्दों में वो झिंझोड़ देता है। Kafka बहुत मासूम हैं, अपनी कहानियों में, अपने लिखे में, अपने प्रेम में, अपने जीवन को लेकर नजरिए में।

शादी होने से ठीक पहले कुछ होता है, संबंध टूटता है। और फिर 4 महीने बाद काफ्का एक पत्र लिखते हैं और वो पत्र उनकी किसी भी कहानी से कहीं ज्यादा है। उसमें उन्होंने खोल के रख दिया है खुदको, खुदके लेखन को, खुद की लड़ाई को, अपनी खुशी को, अपने काफ्का होने को और उसके भीतर तुम्हे खुद के अंश दिखेंगे और लगेगा हम सबके भीतर ये चीज़े हैं – बस काफ्का में हिम्मत थी वो सच देख के कहने की, लिखने की। हम हजार झूठ बोलकर, इकट्ठे करके उससे नजरें फेर लेंगे वहीं वो इंसान उसके साथ 24 घंटे रहता था।

I am awake only among my imaginary characters, or words to this effect. That of course is wrong and exagerated, and yet the truth, the only truth.

फिर बातें शुरू होती है। तब तक पहला विश्व युद्ध शुरू होता है। और फिर engagement और फिर कुछ होने से ठीक पहले काफ्का को पता चलता है उन्हें tuberculosis है। उस आखिरी पत्र में जो लिखा है वो अपने में बहुत कुछ कह देगा। (नीचे quote करूंगा)।

और फिर अंत।

पढ़ने के बाद ऐसा लगा कि मुझसे कुछ छीन लिया गया है। कुछ बेहद निजी। इतने दिनों से कोई था जो साथ था और वो एक दम से किसी ने छीन लिया है या बिना बताए चला गया है। इतना खाली, इतना दुख हुआ कि बहुत देर हाथों को देखता रहा। इतनी निजी बातें पढ़ने का guilt, फिर अंत में कुछ भी हाथ ना आने का अहसास, और उसके बाद इतना कुछ मिल गया का सुख – और इन सबके बाद भी – इतना human कुछ पढ़ने की झुरझुरी अभी भी शरीर पर महसूस हो रही है। कितना कुछ लिखा जा सकता है इस बारे में पर हमारे शब्द कितने झूठे है। हमारा कुछ लिखना, एक भी शब्द कितना थोथला है और ये लिखते लिखते – ये कितना निरर्थक है। कितना झूठ है मेरा खुद को देखना इसके comparison में।

तो बस इतना ही। पहली बात serious readers के लिए ही है – वरना… – इसे तभी पढ़ना अगर पढ़ना सच में पसंद है और इतना निजी पढ़ने का guilt समझ सकते हो। और इसे पढ़ना तो सिर्फ इसी को पढ़ना। लंबी किताब है – समय लेगी और जीना। बस इतना ही। ये पढ़ो – Letters to Felice.

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