मुनव्वर राणा जी और उनके top 10 शेर
मुनव्वर राणा जी इक्कीसवी सदी के लोकप्रिय शायर है, जिन्होंने अपनी जिंदगी के बहुत वर्ष हिंदी उर्दू शायरी की तरबियत की है। आपकी शायरी में जीवन जीने की कला और मात्र पितृ भक्ति बहुत अहम रूप से प्रकाशित की गई है। समाज के लिए आपकी शायरी सीख है और इसीलिए नए शायरों के लिए ये पैग़ाम की शायरी के माध्यम से केवल मेहबूब से नहीं बल्कि मां, बहन, पिता से भी मोहब्बत और गुफ्तगू की जा सकती है।
पेश हैं मुनव्वर राणा जी के Top 10 शेर –
अभी ज़िंदा है माँ मेरी मुझे कुछ भी नहीं होगा
मैं घर से जब निकलता हूँ दुआ भी साथ चलती है
पहले लोगो को ऐसा लगता था कि ग़ज़ल के माध्यम से केवल महबूब से गुफ्तगू की जा सकती है, मगर मुनव्वर राना साहब के अशआर इस बात का प्रमाण है कि अशआर के द्वारा मां, बहन, भाई किस तरह इनकी मोहब्बत को दिखाया जा सकता है, ये शेर उसी लहजे का प्रमाण है।
किसी को घर मिला हिस्से में या कोई दुकाँ आई
मैं घर में सब से छोटा था मिरे हिस्से में माँ आई
इस शेर में उन्होंने मां की मोहब्बत और आज कल की दौरे जिंदगी का एक हकीकत भरा चित्र दिखाया है।
तुम्हें भी नींद सी आने लगी है थक गए हम भी
चलो हम आज ये क़िस्सा अधूरा छोड़ देते हैं
ये शेर मेरा पसंदीदा शेर है, जहां किस्से अधूरे छूट जाते है, और हम वापस अपनी निजी जिंदगी में व्यस्त हो जाते है ।
खिलौनों की दुकानों की तरफ़ से आप क्यूँ गुज़रे
ये बच्चे की तमन्ना है ये समझौता नहीं करती
ये शेर अपने आप में मुकम्मल शेर है और एक चेतावनी के नजरिए से भी इसको देखा जा सकता है कि अगर बच्चे की तमन्नाएं पूरी करनी है तो मेहनत करनी होगी ताकि तमन्नाएं पूरी हो सके।
आते हैं जैसे जैसे बिछड़ने के दिन क़रीब
लगता है जैसे रेल से कटने लगा हूँ मैं
ये शेर इंतजार के वक़्त का बेहद खूबसूरत शेर है, की जिंदगी बीत गई है तेरे इंतज़ार में।
तुम्हारे शहर में मय्यत को सब कांधा नहीं देते
हमारे गाँव में छप्पर भी सब मिल कर उठाते हैं
ये शेर आज कल के दैवीय गुणों को दिखाता है, जहां मानवता एकता ख़तम हो चुकी है, जहां भाईचारा चरम सीमा पर है ।
लिपट जाता हूँ माँ से और मौसी मुस्कुराती है
मैं उर्दू में ग़ज़ल कहता हूँ हिन्दी मुस्कुराती है
ये शेर हमारी दोनो जुबां हिंदी और उर्दू के संदर्भ में है, मुझे इन दोनो जुबानों में गुफ्तगू करने में बहुत आनंद आता है।
किसी के ज़ख़्म पर चाहत से पट्टी कौन बाँधेगा
अगर बहनें नहीं होंगी तो राखी कौन बाँधेगा
जैसा मैंने पहले कहा था, मां, बहन, और हम नौजवानों की तरबियत करने के लिए राना जी बहुत मशहूर है, ये शेर उसी मौज में लिखा गया है।
अब जुदाई के सफ़र को मिरे आसान करो
तुम मुझे ख़्वाब में आ कर न परेशान करो
ये शेर सपनों में आने वाली रानी के लिए है, की नींद खराब ना किया करो ख्वाब में आकर, और बेहतर होगा अगर हम जुदा रहें।
आपको इनमें से कौनसे शेर पसंद आए नीचे comments में बताइए। और कोई शेर आपको पसंद हो तो वो भी बताइए। उस पर संवाद करते हैं।
वैसे तो बंदे हैं IT के पर शेरो- शायरी और साहित्य की संगत में बिगड़े हुए हैं। एक उम्दा शायर और मनुष्य।
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