बशीर बद्र जी के Top 10 शेर | The Top 10

बशीर बद्र जी और उनके  top 10 शेर 

बशीर बद्र साहब इस सदी के सर्वाधिक पढ़े जाने वाले शायरों में से एक है। बद्र साहब अपने सरल लहजे में बहुत उम्दा बात कहने और उन्हें ग़ज़ल के गहनों से सजाने के लिए मशहूर है। बद्र साहब बहुत तरह के अवॉर्ड से सम्मानित भी किए जा चुके है। किसी भी नए शायर को बद्र साहब को जरूर पढ़ना चाहिए।

पेश हैं बशीर बद्र साहब के Top 10 शेर –


ज़िन्दगी तूने मुझे क़ब्र से कम दी है जमीन,
पाँव फैलाऊँ तो दीवार से सर लगता है।

इस शेर में बद्र साहब जिंदगी से गुफ्तगू में शिकायत कर रहे है, जैसे जिंदगी में इतनी मुफलिसी (गरीबी) हम सभी ने एक वक़्त पर देखी ही है, बस उसी को शेर में कहा गया है।


सर झुकाओगे तो पत्थर देवता हो जायेगा,
इतना मत चाहो उसे वो बेवफ़ा हो जायेगा।

ये शेर अपने आप में मुकम्मल शेर है, जहां बद्र साहब एक तरफ अंधविश्वास और दूसरी तरफ बेवफाई, दोनों को एक साथ एक तराजू में तौल रहे है। ये शेर चेतावनी के तौर से भी लिया जा सकता है।


अच्छा तुम्हारे शहर का दस्तूर हो गया,
जिसको गले लगाया वही दूर हो गया।

ये शेर हम सभी ने अपनी जिंदगी में जरूर जिया होगा कि जिसको सबसे ज्यादा चाहो वो अक्सर आपको कभी नसीब नहीं होता।


आँखों रहा दिल में उतरकर नहीं देखा,
कश्ती के मुसाफ़िर ने समन्दर नहीं देखा।

ये शेर हमारी छोटी दुनिया के लिए लिखा गया है। हम सभी केवल दुनिया को उतना समझते है जितना हमने देखा है और ये बात हकीकत है समंदर में कश्ती नहीं चलती।


उदास रात है कोई तो ख़्वाब दे जाओ,
मेरे गिलास में थोड़ी शराब दे जाओ।

इंतज़ार और फिर शराब से किस तरह रात गुजारी जा सकती है, इस बात को बेहद खूबसूरत अंदाज में लिखा है बद्र साहब ने।


पलकें भी चमक उठती हैं सोते में हमारी,
आँखों को अभी ख्वाब छुपाने नहीं आते।

महबूब के ख़्वाब देखते वक़्त नींद में ही आंखो में चमक और लबो पर हसीं आ जाती है और ये हमसे छुपाया नहीं जाता।


घरों पे नाम थे, नामों के साथ ओहदे थे,
बहुत तलाश किया, कोई आदमी न मिला।

ये शेर हमारे समाज से खो रही इंसानियत और मानवता को दिखाता है। मानवता मरने की कगार पर है, और कहीं कोई मानव नज़र नहीं आता।


लोग टूट जाते हैं एक घर बनाने में,
तुम तरस नहीं खाते, बस्तियाँ जलाने में।

ज़ुल्म और बेबसी को लिखने का ढंग इससे खूबसूरत नहीं हो सकता। सामुदायिक दंगे किस तरह किसी जाति – विशेष को ना देखकर एक इंसान को प्रभावित करते हैं वो यहाँ दिखता है।


यहाँ लिबास की क़ीमत है आदमी की नहीं
मुझे गिलास बड़े दे शराब कम कर दे।

ये हकीकत बद्र साहब ने अपने कलाम में बहुत पहले लिख दी, की यहां रूह की कोई कीमत नहीं रह गई है यहां केवल जिस्म को देखने वाले लोग है। Marketing की पूरी झलक इसमे है।


अजीब शख़्स है नाराज़ हो के हँसता है
मैं चाहता हूँ ख़फ़ा हो तो वो ख़फ़ा ही लगे।

ये मेरा पसंदीदा शेर है, अगर तुम नाराज़ हो तो वैसे ही रहो गुस्से में या नाराज़गी में, मुझे तुम वैसे और खूबसूरत लगती हो।


आपको इनमें से कौनसे शेर पसंद आए नीचे comments में बताइए। और कोई शेर आपको पसंद हो तो वो भी बताइए। उस पर संवाद करते हैं। 

अगर आपको शेर पसंद हैं तो एक और शायर के शेर मौजूद हैं, उन्हे भी पढ़िए –

मुनव्वर राणा जी के Top 10 शेर | The Top 10


Similar Posts

आइए, बरगद के नीचे बैठकर थोड़ी बातचीत हो जाए-

2 Comments