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मनोज ‘मुंतशिर’ के top 10 शेर | Top 10

मनोज 'मुंतशिर' के top 10 शेर | Top 10

मनोज ‘मुंतशिर’ साहब के बारे में तो पहले ही पिछली पोस्ट में बता चुके हैं,जहाँ इनके कुछ बेहतरीन शेर आपको पढ़ने को मिले थे,अगर नहीं पढ़े तो यहाँ से पढ़िये

अब आते हैं मेरी फितरत है मस्ताना किताब पे ऐसे मान लीजिये टाइटल ही पूरी किताब को बता रहा है। प्रेम से भरपूर है ये किताब,मैंने प्रेम कहा है तो आप इसे बस एक ही शख़्स तक केंद्रित ना करें। इस क़िताब में आपको प्रेम के अलग-अलग रूप और उसमें होनी वाली हर प्रकार की अनूभूति होगी।

फिर वो एक लड़के का गांव और उसकी वहाँ रहती माँ से प्रेम हो या एक नागरिक का जो अपना वतन छोड़ दूर कहीं रह रहा है उसका वतन प्रेम हो या एक किसान का माटी प्रेम हो या एक शायर का कलाप्रेम हो या एक इंसान का ईश्वर प्रेम हो,प्रेम के अनेकों रूप छुपे हैं इस क़िताब में,आइये कुछ से रूबरू हो लें।

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खैर जब आपने प्रेम को एक शक्स पर केंद्रित कर ही दिया है, तो आइए उसी से शुरू करते हैं। दरअसल हम आजकल सामनेवाले से प्रेम नहीं चाहते हैं और ये दोनों तरफ से है। हम चाहते है एक दूसरे पर हुकूमत, उसी पर एक उम्दा शेर है।

तुम हाँ कह दो, मैं हाँ कह दूँ, इनकार करो इनकार करूँ 
जिस प्यार में इतनी शर्ते हैं उस प्यार से कैसे प्यार करूँ

ये शेर हर उस शख़्स के लिए जो अपना गाँव बस ये सोचकर छोड़ता है की जीवन बेहतर हो जाएगा और फिर शायद बाहर जीवन बेहतर हो भी जाए पर अंदर क्या चलता है खुद ही पढ़िये।

अपनी मिट्टी छोड़ने वाला, खुद मिट्टी हो जाता है।
आज भी आती-जाती हवाएँ, कान में ये कह जाती हैं।

जो भी घर से बाहर रहते हैं या अपने गाँव उसकी मिट्टी वहाँ की खुशबू को याद करते हैं। आप इस किताब को लीजिये आपको ये कविता अपने गाँव सा अनुभव कराएगी।

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किताब में एक कविता है “ रामसमुझ ”एक किसान के जीवन को समेंटने की खूबसूरत कोशिश। आप पढ़ेंगे तो एहसास  होगा हमारे और आपके शहरी कल्पना से कहीं अलग होता है एक किसान का जीवन, कुछ पंक्तियों से अनुभव कीजिए।

चाँद-परी के किस्सों से, बच्चों की भूख नहीं मिटती
शायद बाकी हों कुछ दाने, डेहरी खोलो रामसमुझ

कुछ दिन माथा न टेको, तो बड़े लोग चिढ़ जाते हैं
ठाकुर साहब की चौखट पर, जाओ हो लो रामसमुझ

आज के दौर में इस शेर के अपने अलग-अलग मायने हैं, अब आपके ऊपर है की आप क्या निकालें जैसे हमें लगता है कि अधिकतर हम पहली पंक्ति ही झूठ बोलते हैं।

प्यार हमारा सबसे सच्चा, रिश्ता सबसे अटूट
आओ हम दोनों भी बोले, इक दूजे से झूठ

शहरों की एक बिडम्बना ये भी है की वो आपका आप(रसूख) छीन लेते हैं आप बस कुछ लोग और भीड़ भर रह जाते हैं, उसी सामाजिक स्थिति को पढ़िये।

तुम्हारे शहर ने दफनाया बे-मज़ार हमें
हमारे गाँव में कहते थे जमींदार हमें

लकीरें हाथ की गिरवी हैं कारखाने में
कहाँ ले आया है खुशियों का इन्तज़ार हमें

इस शेर से हर व्यक्ति खुद ही जुड़ जाएगा,इसके लिए एक शब्द बस खूबसूरत।

दरिया-वरिया झरने-वरने लोग तो कुछ भी कहते हैं
मेरे आँसू भेस बदल कर बस्ती-बस्ती बहते हैं

अब आगे से जब आपसे कोई रिश्ता ख़त्म करने को आये और ये बोले बहुत मजबूर हूँ मैं और जब उस स्थिति में आपका दिल टूट जाए, और फिर उसके बाद आपके जीवन में कोई और प्रेम आने को आतुर हो तो सिचुएशन के अनुसार शेर सुना दीजियेगा।

सुनूँ क्या बिछड़ने की तकरीर तुमसे
यही तो कहोगे की मजबूर हूँ मैं

मुझे पा के भी तू न पाएगा मुझको
बता क्या तुझे अब भी मंजूर हूँ मैं ?

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प्रेम की बात हो तो मईया को कैसे ना याद करेंगे हम। जीवन में अगर एक बार कभी न कभी आपकी माँ ने आपके माथे पे चूमा होगा, तो ये शेर पढ़ के आप वो एहसास फिर से याद कर पाएंगे और जिनकी माता करीब हैं जाइये,अपनी माँ के माथे पर प्यार दीजिये।

इतर कोई तो था, जो माँ के होंठों से छलकता था
वो माथा चूम लेती थी, बदन पूरा महकता था

ज़ाकिर खान साहब ने एक इंटरव्यू में कहा था शायर में अकड़ होना ज़रूरी है, जैसे कि बकौल जाकिर खान ग़ालिब में थी, आप जब ये क़िताब पढ़ेंगे तो आपको एक शायर की अकड़, वो रौब कई शेर में नज़र आएगा । एक नमूना पेश है उसका

अम्बर की हवाखोरियाँ सब भूल जायेगा,
ये चाँद उतर के जो मेरे कोठों तक आये
प्यासा हुआ तो क्या हुआ खुद्दार बहुत हूँ
दरिया से कहो चल के मेरे होंठों तक आये

ये किताब पढ़ते पढ़ते मुझे इस शख़्स से जिसके अलग-अलग रूप इनकी शायरी और कविताओं में दिखे मोहब्बत हो गई इससे। आप पढ़ेंगे आपको भी हो जाएगी वादा है इस बात का और नहीं पता क्यों पर मुझे ये शेर बहुत पसंद आया।

थक चुका था वो ज़मीं से, बादलों के घर गया 
ये कहानी बस यहीं तक, मुंतशिर तो मर गया

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मन नहीं भरा तो 2 शेर तोहफ़े में और लीजिये

लपक के जलते थे बिल्कुल शरारे जैसे थे
नये-नये थे तो हम भी तुम्हारे जैसे थे
लहू तलवों से टपका तब ये जाना,
कि मेरे ख्वाब हद से बढ़ गये थे
फ़लक की सैर पे निकला था कल मैं,
मेरे पैरों में तारे गड़ गये थे

 

तो ये रहे मनोज मुंतशिर के top 10 शेर। पसंद आयें तो बताईएगा। 

बाकी मिलते हैं और कुछ खूबसूरत शेर की तलाश के बाद। 

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3 responses to “मनोज ‘मुंतशिर’ के top 10 शेर | Top 10”

  1. […] Also: मनोज ‘मुंतशिर’ के top 10 शेर | Top 10 […]

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    Anonymous

    Waaaaaah
    Manoj sahb zabrdast sher

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