किताबें और सिनेमा,
पढ़ने और देखने की यात्रा में जो हुआ
उसे बताते हैं।
बस। इतना ही।

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  • Diary #3 | Nayi Disha

    Diary #3 | Nayi Disha

    कुछ नया घट रहा है। नयी दिशा में बढ़ते हुए। दिल इतना कांपा जब वो छोडकर जा रही थी कि लगा जीना संभव नहीं हो पाएगा। पर जीते गए। हमेशा पीछे छूट जाने को कैसे समझते हैं? पीड़ा में पड़े हुए तुम खुद को कैसे समझते हो? कैसे समझते हुए जीवन को? तुम एक को…

am constantly trying to communicate something incommunicable, to explain something inexplicable, to tell about something I only feel in my bones.

— Franz Kafka

DIARY

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