Achal Mishra’s Dhuin | Second Letter | Ekchaupal.com
साथी, अचल मिश्रा की dhuin देखी कल मैंने भी। देखने के बाद जब तुम्हारा पत्र आया (Dhuin | First Letter) तो मेरे आँख के कोने में एक आँसू था शायद। कोई ठीक तभी अँधेरे में मुझे युद्ध की खबर सुना के गया था और मेरे भीतर पंकज का चलना रुका नहीं था। मैंने तुमसे कहा कि समझा नहीं सकती क्या लग रहा है।