The Steamroller and The Violin 1960 में आई Russian फिल्म डायरेक्टर Andrei Tarkovsky की फिल्म है जो उन्होंने अपने फिल्म स्कूल से cinematography के course के graduation के लिए बनाई थी। फिल्म मात्र 45 मिनट की है पर उसका असर बहुत लंबा है।
– सुनो!
– बोलो।
– इरफ़ान ने अपने एक इंटरव्यू में कहा था कि फिल्म संगीत की तरह होनी चाहिए जिसमें खो जाओ। आपको पता ना रहे कि आप फिल्म देख रहे हो।
(दोनों अपनी कल्पना में उस संगीत को पकड़ने की कोशिश करते हैं। मुस्कुराते हैं।)
– The Steamroller and The Violin (दोनों एक साथ कहते हैं)
– Tarkovsky आदमी ग़ज़ब है!!
– फ़िर से गलत आदमी के प्रेम में पड़ गए |
(दोनों इस बात पर हँसते हैं। यह उनका पुराना खेल था। खेल खेलना एक नियम था। हँसना मुक्त था।)
– पूरी फ़िल्म को एक शब्द की बिंदु में समेटा जा सकता है। “संगीत”! अगर हम फ्रेमिंग से जुड़े और बाकी टेकनिकल पहलुओं को छोड़ दें तो असल फिल्म संवाद से परे हैं। एक चुप्पी। साइलेंस। असल में साइलेंस भी नहीं। ये क्वाएट है।
– मैंने भी ठीक यही महसूस करा की बात संवादों में है ही नहीं। पात्र जब बातें करते हैं तो डायलॉग्स बहुत कम होते हैं। बस उतने जितने ज़रूरी है। ऐसा लगता है जैसे पात्रों को आपस में बात करने के लिए संवादों की जरूरत है ही नहीं। यह तो बस हमारी(दर्शक) और कहानी की सहूलियत के लिए डाले गए हैं ताकि हमें पता चलता रहे कि क्या हो रहा है और कहानी आगे बढ़ती रहे। बाकी असल बात भीतर कहीं इन सँवादों के अंडरकर्रेंट में चलती रहती है। पात्रों के पूरे दिखने में। उनके एक दूसरे को देखने में। संवादों से ज्यादा दो संवादों के बीच की चुप्पी हमसे बात करती है। कहा जाए तो Literal conversation नहीं है।
– अबे यही तो! शुरू में लगा कि यार frames कितने सुंदर हैं। रंग कितने सुंदर हैं। और फिर दिखीं बच्चे की आँखें। और बस फिल्म के भीतर खींच गए। ऐसा लगा वो आँखें बहा के अपने साथ ले जा रही हैं।
– और जो हुआ है हमारे साथ वो पीछे देखने पर दिखता है। जैसे कि कुछ हो रहा है फिल्म देखते हुए, जिस पर ठीक से उंगली नहीं रखी जा सकती, पर भीतर कोई तार छिड़ रहे हैं। और देखो, देखने के इतने देर बाद भी वही संवाद अपनी पूरी चुप्पी में चल रहे। बहुत भीतर कहीं पानी की बूँदों से टपकते हुए।
(जंगल के हरे अँधेरे में दोनों को बस एक चुप सुनाई देता है। चुप के भीतर पानी की बूँदें टप टप करके गिरती है और हर बूँद के गिरने पर दोनों तरल हो जाते हैं।)
– सुनो.. तुमने वो visual देखा कि जैसे जैसे बच्चा भीतर जाता है, फोकस सिर्फ सेब पर है, बैकग्राउंड में म्यूसिक है और अगले फ्रेम में सिर्फ पानी का ग्लास है blurred जो धीमे धीमे साफ होता है। फ़िर टीचर और बच्चे के उस पूरे सँवाद में कैमरा को देखा? मानो कैमरा के जरिए आगे झुक के हम उस बच्चे के पास जा रहे हैं क्यूँकि हम क्यूरियस हैं कि टीचर की बातों का उस बच्चे पर क्या असर हो रहा है।
– हाँ! बिल्कुल! मेरे खयाल से तो इसका सिरा शुरू में है। जब वो बच्चा घर से निकलता है अपनी violin की क्लास के लिए, बाकी के सारे बच्चे खेल रहे हैं और उसका मजाक उड़ाते हैं कि वो music करता है। ऑडिशन में उसकी टीचर कहती है कि तुम्हारा तुम्हारी कला पर कंट्रोल नहीं है – You are too imaginative. मेरे ख्याल से तो सारे सिरे इसी बात से जुड़े हैं। वो बच्चा बहुत imaginative है और सारे कैमरा मूवमेंट्स उसकी इमेजिनेशन और भीतर चल रही बातों का एक ठोस रूपांतरण है।
– अरे हाँ! और जब वो बाहर आता है। एक worker है जो steamroller चलाता है। बच्चा एक musician है और वो एक failure देख के आया है। और जैसे ही वो बंदा बच्चे के बारे में दूसरे को कहता है कि ये वर्कर है वो खुश हो जाता है पर musician कहने पर उदास क्यूंकि हर artist के भीतर होता है वो डर।
Thomas Mann ने कहा था की “A writer is someone for whom writing is more difficult than it is for other people.”
– हर artist के लिए अपनी कला सबसे difficult होती है और वो अपनी कला में अभी अभी हार के आया है तो musician कहलाए जाने वाली बात उसे परेशान करती है।
– उसी musician के tag की वजह से वो समाज से separated है। म्यूजिक की वजह से सब उसका मजाक उड़ाते हैं और वही वो अच्छे से नहीं कर पा रहा।
– और फिर उसका गुस्सा देखा जब वो इस बात से परेशान होकर उस आदमी की दी हुई ब्रेड नीचे फेंक देता है? एक कलाकार के तौर पर तुम अपने में तो खैर कुछ अच्छा नहीं ही कर पा रहे हो, ऊपर से इसके लिए दुनिया पर गुस्सा उतार रहे हो। भले ही वो गुस्सा खुद पर है। तुम अपने में सिमटे हुए हो। तुम्हारे लिए तुम्हारा दुःख, तुम्हारी हार अपनी कला में.. बस वही सबसे बड़ी बात है। और उसके लिए तुम्हें कोई कुछ कह दे तो तुम बिफ़र जाते हो। क्या हम सबने अपने जीवन में कहीं ना कहीं ऐसा नहीं करा है?
– और bread किसी और की मेहनत है। तुम अपनी मेहनत सफल ना होने का गुस्सा किसी और की मेहनत को बर्बाद करके निकाल रहे हो। और उसकी इस बात पर उस आदमी का रिएक्शन – “तुम्हें क्या लगता है bread फ्री में आती है?” ये perspective कि उस बंदे के लिए उसकी bread उसकी मेहनत है जिस तरह से उस लड़के के लिए उसकी कला उसकी मेहनत है.. उसकी कमाई है। और फिर सवाल कितना चुभा होगा ना उस लड़के को कि अगर ये तुम्हारा violin होता तो भी क्या तुम इसे ऐसे ही फेंक देते?
– वही ना! कि उसके लिए bread का महत्व है क्यूंकि उसने कमाई है। और बच्चे के अंदर की arrogance है की bread थोड़ी ना मेहनत है। (the usual idea!!) विस्फोट!!
उस आदमी ने उसे डाँटा। क्यूँ? क्यूंकि उस बच्चे के लिए उसका violin सब कुछ है। वो उस पर thrive कर रहा है क्यूँकि अभी उसे तो उसके माँ बाप पाल रहे हैं। जबकि वो आदमी अपनी कमाई bread पर thrive कर रहा है। और उस आदमी को मालूम है कि bread कमाने में कितनी मेहनत लगती है। ये हम सब के भीतर है कहीं ना कहीं.. एक artist की arrogance (differing in the form and content from person to person). हम सबके भीतर वो बच्चा है जो रोटी फेंक देता है।
– Tarkovsky ने अपने इंटरव्यू में कहा था की एक कवि definitive चीज़(शब्दों) का इस्तेमाल करके indefinite की तरफ इशारा करता है। और यही कला है।
“All art talks about itself and still it is universal.”
– कला तुम्हारे निज से बनी है और कला का रूप पाते ही तुम्हारा निज सार्वभौमिक हो जाता है।
– तुम्हें steamroller और violin का signficance समझ आया? दोनों चीजें बिल्कुल अलग और उलट हैं लेकिन यहाँ वो एक जगह मिल रही हैं। यह वो moment है जब artist की life और normal आदमी की life एक दूसरे को cross करती हैं। जब वो आदमी बच्चे का violin डरते हुए अपने हाथ में लेता है। Steamroller चलाने वाले आदमी के हाथ में violin टूट सकता है इसलिए वो उसे बहुत हल्के से पकड़ता है। और वो बच्चा उसका steamroller चलाता है। पूरी तरह से grease में लथ-पथ हो जाता है। दो अलग संसारों का आपस मे मिलना।
It actually relates to nature! बरगद का तना बहुत rigid है पर उससे पूरे पेड़ की life sustain हो रही है। And life is fluid. ठोस और तरल साथ मिलकर काम करते हैं। दोनों को एक दूसरे की ज़रूरत है।
– हाँ! विस्फ़ोट!! अरे तुमने वो देखा कि जब बच्चा सिर्फ उस आदमी के लिए संगीत बजाता है तो वो कहता है कि “It sounds better when it resonates.” और तब वो आँखें बंद करके जो संगीत बजाता है और वो आदमी भी चुपचाप आँखें बंद करके उस संगीत को सुनता है। उस आदमी के चेहरे का वो उदासीन सुख देखा? बच्चा संगीत कभी उसकी टीचर के सामने इतना सुंदर नहीं बजा पाया जितना उसने उस आदमी के लिए बजाया क्यूँकि उस आदमी ने उससे resonate करा। आदमी का भले ही कला से कोई रिश्ता ना हो लेकिन फ़िर भी वो कला से जुड़ना जानता है.. उस बच्चे की फ्लुइडिटी और इमेजिनेशन से जुड़ना जानता है जबकि उसकी टीचर बच्चे की इमेजिनेशन को कम करने की कोशिश करती है और उसकी कला से resonate नहीं करती इसलिए वो उसके सामने कभी इस तरह से अपनी कला इंजॉय नहीं कर पाता।
– विस्फ़ोट!!
– और जब यह हो रहा था उस पल में मैं बिल्कुल भूल गई थी कि मैं फिल्म देख रही हूँ। क्यूंकि वहाँ पर भीतर कुछ छिड़ रहा था.. मानो कोई मुझे किसी धागे के सहारे बाँधकर मेरे भीतर से मुझे ही उस पूरे दृश्य के भीतर खींच रहा हो। It made me feel something. मैं इतना भीतर थी उस फिल्म में कि एहसास ही नहीं हुआ फिल्म चल रही। फिर थोड़ा छोड़ के आई तो लगा कितनी सुंदर फिल्म है। मात्र 45 मिनट और इतनी सुंदर।
– तुमने पानी में reflections का इस्तेमाल देखा? क्यूंकि reflections भी तो fluid होते हैं। और वो पानी की बूंद के गिरने वाला संगीत.. ठीक उस समय जब बच्चा म्यूज़िक बजाता है। क्यूँ? क्यूंकि म्यूजिक makes you fluid. और तब दिखा कि दोनों को संवादों की जरूरत नहीं है। They are talking through music.
– हाँ! किस तरह से सब तरल हो जाता है ना पानी में.. और हमारी imagination में भी? हमारी स्मृतियों में भी? पानी हमारी तरल स्मृतियों और कल्पनाओं को दर्शाता है.. हमारी भीतरी सतह का एक रूप है शायद।
– अबे हाँ! विस्फ़ोट!!
(नीचे पानी की एक चादर है। जंगल वहाँ नहीं है। जंगल पानी की सतह पर है। दोनों वहाँ नहीं है। कहीं भी नहीं है। लेकिन उन दोनों का reflection पानी में दिख रहा है। कहीं से पानी की एक बूँद गिरती है और वो दोनों तरल हो जाते हैं)
– और अंत!
– एक इंतज़ार।
– तुम्हें पता, Tarkovsky की हर फिल्म इंतज़ार के बारे में है। और इंतज़ार की आशा के बारे में।
– जब वो आदमी अकेला खड़ा उस लड़के के आने का इंतज़ार करता है तो लगता है कि यह wong kar wai की किसी फ़िल्म का दृश्य है। Wong Kar-Wai की हर फ़िल्म में हमेशा एक पात्र ठीक इसी तरह अपने अकेलेपन में किसी का इंतेज़ार कर रहा होता है। और फ़िर वो चला जाता है। Wong Kar- Wai से याद आया – ये पढ़ना- In The Mood For Love | Something Beyond Words – बहुत सुंदर मूवी है ये भी।
– इंतज़ार क्या है?
– आशा।
(आशा का एक फूल जो बहुत देर से उनकी हथेलियों में खिलने का इंतज़ार कर रहा था वो धीरे धीरे खिलता है। उस फूल की एक पंखुड़ी टूटती है और उन दोनों के गालों को छूती हुई जंगल में कहीं उड़ जाती है)
– जैसा कि उस scene में जब बच्चा शीशे के टुकड़ों में धूप के अंश देखता है। शीशे के टुकड़ों मे आस पास की हर चीज का reflection दिखता है। उस बच्चे के लिए यह खूबसूरत है.. जादू जैसा है। अब भले ही एक दर्शक के लिए वो scene important नहीं है लेकिन उस पात्र के लिए वो ज़रूरी है। यह ठीक ऐसा है कि तुम उस पात्र की नज़रों से पूरी दुनिया देख रहे हो। तुम्हारा धूप के साथ रिश्ता क्या है यह सिर्फ तुम्हें मालूम है। तुम्हें पता है कि तुम्हारी यादें कैसे जुड़ी हैं। तुम यह किसी को ना समझा सकते हो ना दिखा सकते हो। तो Tarkovsky बस अपने पात्रों की personal memories दिखाते हैं ऐसे scenes के ज़रिए जो दर्शक के लिए नहीं है बल्कि पात्र के लिए है।
–वो बच्चा सब देख रहा है, पर तुम भी जो वो देख रहा है वो देख रहे हो। और यहाँ पर objective और subjective की boundary cross हो जाती है। Tarkovsky एक ऐसी फ़िल्म दिखा रहे हैं जो पात्र के लिए बहुत निजी है। वो पात्र का उसकी reality के साथ संबंध का संबंध तुम्हें दिखा रहे हैं। तुम कैसे experience करते हो अपनी reality को। मैं अपना धूप के साथ संबंध तुम्हें शब्दों में define नहीं कर सकता बस महसूस करा सकता हूँ। और उसके जरिए भी तुम बस अपना संबंध समझोगे। महसूस करोगे।
– दुख के साथ संबंध भी ऐसा ही है ना?
– इंतज़ार के साथ संबंध?
– आशा के साथ संबंध?
– मुझे बहुत Metaphors दिखे फ़िल्म में visuals के ज़रिए–
• जैसे कि अंत में जब बच्चा उस आदमी से मिलने नहीं जा पाता तब घड़ी उसके सामने रखी है और वो घड़ी को उल्टा मोड़ देता है और फ़िर imagine करता है कि वो उस आदमी के साथ steamroller पर बैठकर कहीं चला गया है। यानी समय से परे। उनका साथ.. इस reality से अलग। उस बच्चे के हाथों से आखिर तक भी grease नहीं छूटती है क्यूंकि वो उस steamroller वाले आदमी के साथ की memory है।
• Music की अच्छी बात पता क्या है – उसे समझने से ज्यादा उसे महसूस करने की जरूरत अपने आप आ जाती है। ये फिल्म वही है। हो सकता है कुछ scenes अजीब लगें पर वो वहाँ फिल्म के हिसाब से ठीक हैं। और वो भीतर कुछ छेड़ भी जाते हैं। कुछ महसूस करा जाते हैं।
– हाँ! बिल्कुल! विस्फ़ोट!
– और ये सब फिल्म के जरिए महसूस करा देना। हाए, प्रेम हो गया।
– फ़िर गलत आदमी के फेरे में पड़ गए।
(दोनों हँसते हैं। जंगल भी साथ में हँसता है। हथेली में खिला फूल भी साथ में हँसता है।)
– Tarkovsky की हर फिल्म में पानी की बूंदे टप टप करके गिरती हैं। जैसे कुएं के भीतर गिर रही हों।
– यह फिल्म भी तो ऐसे ही बूंद बूंद भीतर गिरती है। खतम होने के बहुत देर बाद तक भी।
– तुम ना अब Mirror देखना। वो pure thought है। और बहुत सुंदर। कुआं भरेंगे।
(दोनों जंगल छोड़ अपना अपना कुआँ भरने निकल जाते हैं। वापिस आने का वादा करते हैं पहले जंगल से, फ़िर एक दूसरे से। उनके जाते रहने के दृश्य में सब तरल हो जाता है। तरल में सब वहीं ठहरा रहता है। परिधि पर साँसों की आवाज़ आती है और पानी की बूँदें जंगल के भीतर कहीं टपकती रहती हैं।)
– अरे सुनो! ये कुछ तस्वीरें हैं जो फिल्म में से बहुत पसंद आईं। तुम्हें ये संगीत सी लगेंगी। आँखों से सुनना। ( ये जंगल ने कहा था। पानी की सतह पर दिख रहे बहुत से reflections से। जंगल में कोई नहीं था।)
और हाँ – Adhuri Chizon Ka Devta – Geet Chaturvedi | The Third Eye of the Poet
The Truman Show | Running From Eternity
समानांतर दूरी पर पास पास बैठे हुए दो बिंबों के बीच की जगह के बारे में क्या कुछ भी ठीक से कहा जा सकता है? उस बीच की जगह को किन पैमानों पर नापा जा सकता है? दूरी के या नज़दीकी के? क्या वो बीच की जगह परिधि है? परिधि.. जीवन की? परिधि पर बैठे पँछी जीवन को किस नज़र से देखते होंगे? क्या परिधि ही वो जगह है जहाँ सारे नज़रिए एक साथ आ जाते हैं.. जहाँ सच और झूठ के पत्थर अपना रँग खो देते हैं? क्या परिधि पर सब कुछ सम्भव है और कुछ भी नहीं? और अंत में.. यह सारे सँवाद.. क्या यह परिधि पर हमेशा से ही पड़े थे और इन्हें बस उन दो पंछियो ने अपनी चोंच से चुग लिया था? क्या परिधि ही सँवाद है?
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