Laal Tin Ki Chhat | Nirmal Verma | EkChaupal

Laal Tin Ki Chhat | Nirmal Verma | EkChaupal

रात का एक बज रहा है। मैंने बस अभी निर्मल वर्मा की “लाल टीन की छत” (Laal Tin Ki Chhat) पढ़कर बंद करी है। विश्वास नहीं होता कि यह कहानी खतम हो गयी। मैं कुछ देर चुप बिस्तर पर ही पड़ी रही। किताब मेरी छाती और होठों के बीच किसी पुल सी लेटी हुई थी, मेरे होठों के गीलेपन से उसके किनारे भीग रहे थे और मेरी हर साँस के साथ वो ऊपर और नीचे उठ रही थी। मैं बिस्तर पर पड़ी कुछ देर तक बस गहरी साँसें लेती रही।