Rabindranath Tagore- The Home and The World

Rabindranath Tagore जी को पढ़ने के बाद एक दम से पता चल जाता है कि इनको Nobel prize क्यूँ मिला था। कहानी कहने के flow, और एक भी सिरा ना छोड़ना और इतने परिपक्व characters – मतलब ग़ज़ब। 

Rabindranath Tagore का उपन्यास The Home and The World पढ़ा। बहुत सुंदर कहानी है। 1907 के दौरान कैसे स्वराज, हिंदुस्तान, स्वतंत्रता संग्राम, महात्मा गांधी, और colonization के effects नॉर्मल बंगाली परिवार के एक पति पत्नी के जोड़े पर कैसे पड़ते हैं – ये दिखाया है। कहानी के तीन मुख्य पात्र हैं – बिमला, निखिल और संदीप। निखिल बंगाली जमीनदार है पर idealistic है और उसकी पत्नी है बिमला। 

निखिल बिमला को World Literature से introduce कराता है जिससे कि वो उससे देश और देश में जो हो रहा है उन topics पर discussion कर सके। उधर निखिल का एक क्रांतिकारी दोस्त संदीप उसके घर रहने आता है। संदीप हिंदुस्तान को अंग्रेजों से छुटकारा दिलाना चाहता है – पर वो idealistic नहीं है। और बहुत ग़ज़ब का वक्ता है। 

उसी वक़्त महात्मा गांधी ने स्वदेशी आंदोलन चलाया है जिसमे सभी देशवासियों को विदेशी चीजों का बहिष्कार करना है। संदीप इसका हर हद तक पालन करना चाहता है। चाहे इसमे सामने वाले की खुद की मर्जी शामिल हो कि नहीं। 

वो बिमला में अपने देश की हालत देखता है कि जैसे बिमला में जो सीखने और जानने की ललक है वैसे ही ये देश भी है। वो बिमला के साथ discussion करने लगता है और इसमे बिमला कैसे उससे influence होती है और अपनी समझ develop करती है वो कहानी है। 

कहानी की सबसे अच्छी बात है कि Rabindranath Tagore ने दो अलग अलग ideologies रखी हैं लेकिन कहीं पर भी ऐसा नहीं लगता कि वो किसी भी ideology का पक्ष लेते हैं। संदीप अपनी जगह अपनी ideology में ठीक नजर आता है कि स्वदेशी का पालन जो नहीं कर सकते क्यूंकि उनके पास रोजी रोटी का जरिया कुछ और नहीं है सिवाय विदेशी चीजें बेचने के, क्यूंकि देशी चीजें कोई खरीद नहीं रहा और वो महंगी बहुत हैं। 

साथ में जो सबसे निचले स्तर के विक्रेता हैं जिन्होंने अपना मकान या कुछ और गिरवी रख कर विदेशी चीजें खरीदीं थीं और अब उन्हे जलाने पर उन्हे कोई मुआवजा देने को तैयार नहीं है – वो कहाँ जाएंगे? ये सवाल निखिल बहुत बार पूछता है। 

वहीं संदीप की ideology just इसके contradictory है कि देश की आजादी के लिए अगर कुछ कुर्बानी देनी पड़ रही है तो दे दी जाए। उसकी सोच कि क्यूंकि हमे अपने ताकतवर से आज़ादी चाहिए तो हमें भी ताकतवर बनना पड़ेगा चाहे उसके लिए हमें अपने ही लोगों को दबाना क्यूँ ना पड़े – ये सोच उसके character पर सटीक बैठती है। 

ऐसे लिखने से महसूस हुआ कि पढ़ने वाला free है – judge करने के लिए कि कौनसी ideology सही है और कौनसी गलत – क्यूंकि लेखक ने एक भी point पर किसी का पक्ष लिया ही नहीं है। और इसी में reader बिमला से relate कर लेता है, क्यूंकि हम reader ठीक बिमला की तरह हो जाते हैं – जो दोनों ideologies के बीच में खुद की पहचान ढूँढ रही है। 

इन सबमें Rabindranath Tagore ने जो subtle तरीके से सवाल पूछे हैं वो बहुत ग़ज़ब हैं। जो emotional roller-coaster पर लेकर जाती है लिखाई वो बहुत सुंदर है। पात्रों की बातचीत से जो topics निकल कर आते हैं वो भारत के स्वतंत्रता संग्राम को देखने के लिए नई नजर देते हैं। और शायद ये बहुत जरूरी है। 

अगर कुछ बहुत अच्छा पढ़ना है जो बहुत ही insightful और amazing है तो इसे पढिए। छोटी novel है और बहुत सुंदर कहानी है। Romance, conflict, drama, tragedy, comedy – सब है। 

किताब में जो कुछ lines अच्छी लगी हैं वो यहाँ दे रहा हूँ। 

Rabindranath Tagore की किताब The Home and The World के Quotes 

 

If one had to fill in, little by little, the gap between day and night, it would take an eternity to do it. But the sun rises notonottoand darkness is dispelled - a moment is sufficient to overcome an infinite distance.

 

Neither am I divine: I am human. And therefore I dare not permit the evil which is in me to be exaggerted into the image of my country - never, never!

 

Through many a life, in many a mirror, have I seen her image - broken mirrors, crooked mirrors, dusty mirrors. Whenever I have sought to make the mirror my very own, and shut it up within my box, I have lost sight of the image.

 

Soul is greater than success.

 

The house which becomes empty through the parting of lovers, still has music left in the heart of its emptiness. But the house that is empty because hearts are asunder, is awful in its silences. Even the cry of pain is out of place there.

 

Those who make sacrifices for their country's sake are indeed her servants, but those who compel others to make them in her name are her enemies. They would cut freedom at the root, to gain it at the top.

तो ये थे रबिन्द्रनाथ टैगोर की The Home And The World से कुछ Quotes. कुछ और भी हैं तो वो अगली post में। 

बाकी अगर किताब पढ़ने का मन करे तो नीचे दिए लिंक से पढ़ सकते हैं। बाकी तब तक पढ़ते रहिए। 

The Home and The World – Rabindranath Tagore

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