Kunwar Narain | कुँवर नारायण | Top 10 सुंदर पंक्तियाँ

Kunwar Narain हिन्दी साहित्य में एक ऐसा नाम है जिनको एक बार पढ़ ले तो कोई भूल नहीं पाएगा। उनकी किताब प्रतिनिधि कविताएँ पढ़ी है और उसमें से जो सबसे सुंदर पंक्तियाँ लगी हैं – वो साझा कर रहा हूँ।

Kunwar Narain – कुँवर नारायण की Top 10 सुंदर पंक्तियाँ 

वही है अंत जब विश्वास मर जाता

अंत की सुंदर परिभाषा है ना?


...और हम इनसान हैं वह 
जिसे प्रतिपल एक दुनिया चाहिए

इंसान होने का प्रमाण ये भी है कि इच्छाएँ बहुत होती हैं। और हमेशा एक दुनिया चाहिए अपने इर्द गिर्द।

Kedarnath Singh | केदारनाथ सिंह की कविताओं के अंश


बार-बार यही लगा 
कि जिसे कोई नहीं जानता
तुम वो पता हो,
और जिसे किसी ने न सुना
मैं वो हाल हूँ।

इसमें प्रेम है। (ऐसा मुझे लगता है)


जीवन में यथार्थ नहीं 
दृष्टि भर मिलती है,
खरीदार सच्चा हो :
सृष्टि बेचारी तो सभी दाम बिकती है

यथार्थ वो नहीं है जो आँखें देखती हैं। जीवन हमेशा वो नहीं होता जो दिखता है। और फिर बाजारवाद,  वो तो हर जगह है ही शामिल।

Also: Ahmad Faraz – अहमद फराज Top 10 Sher


पूज्य मिट्टी है मगर पत्थर नहीं, 
कर्मयोगी आदमी बंजर नहीं,

थोड़ा सोचो, ठीक लगे तो और सोचना।


हम शायद वर्तमान का असली रूप नहीं :
हम कुछ भविष्य हैं
अभी नहीं जो घटित हुआ -
हम-तुम परिचित हैं पिछले लाखों सपनों से

हम अपना अतीत और भविष्य दोनों वर्तमान में लेकर चलते हैं। अब इस मौके पर सवाल करो कि खुद कौन हैं – अतीत, वर्तमान या भविष्य?

Also: Deewar Me Ek Khidki Rehti Thi | Vinod Kumar Shukla


हवा और दरवाजों में बहस होती रही, 
दीवारें सुनती रहीं।
धूप चुपचाप एक कुर्सी पर बैठी,
किरणों के ऊन का स्वेटर बुनती रही।

इसे पढ़कर जो मन में बिम्ब (image) बने उसका रस लीजिए।


यह भी संभव है कि एक पशु दूसरे को खा जाए। 
यह भी संभव है कि एक मनुष्य...।
अस्तित्व एक घातक तर्क भी हो सकता है।

सबसे सुंदर पंक्तियाँ वो होती हैं जो निशब्द कर दें – अपने यथार्थ से।


नहीं चाहिए तुम्हारा यह आश्वासन 
जो केवल हिंसा से अपने को सिद्ध कर सकता है।
नहीं चाहिए वह विश्वास, जिसकी चरम परिणति हत्या हो।
मैं अपनी अनास्था में अधिक सहिष्णु हूँ।
अपनी नास्तिकता में अधिक धार्मिक।
अपने अकेलेपन में अधिक मुक्त।
अपनी उदासी में अधिक उदार।

और ये कुँवर नारायण हैं।


असहमति को अवसर दो। सहिष्णुता को आचरण दो 
कि बुद्धि सर ऊँचा रख सके...
उसे हताश मत करो काईयां तर्कों से हरा -हराकर ।

सोचो। पढ़ो। सोचो।


तो ये थी कुँवर नारायण की किताब प्रतिनिधि कविताएँ से कुछ सुंदर lines. और पढ़ने का मन हो तो यहाँ से पढ़ सकते हैं। 

प्रतिनिधि कविताएँ – कुँवर नारायण

Also: 

अज्ञेय – पचास कविताएँ | अंश

Raghuvir Sahay की TOP 3  कविताओं  के अंश (पार्ट -1)

Similar Posts

आइए, बरगद के नीचे बैठकर थोड़ी बातचीत हो जाए-

One Comment