Capernaum | Morsel of Struggle & Hope

Capernaum | Morsel of Struggle & Hope

Capernaum 2018 की एक Lebanese फिल्म है। जिसको डायरेक्ट किया है Nadine Labaki ने। Capernaum को Cannes Film Festival में 15 मिनट का standing ovation मिला था और ये अब तक की सबसे ज्यादा पैसे कमाने वाली Arabic फिल्म है। फिल्म में 12 साल के Syrian refugee child actor Zain Al Rafeea ने काम किया है। 

आगरा बाज़ार – हबीब तनवीर साहब की Time Travelling Machine

आगरा बाज़ार – हबीब तनवीर साहब की Time Travelling Machine

अदना, गरीब, मुफलिस, जरदार पैरते हैं,
इस आगरे में क्‍या-क्‍या, ऐ यार, पैरते हैं।
जाते हैं उनमें कितने पानी में साफ सोते,
कितनों के हाथ पिंजरे, कितनों के सर पे तोते।
कितने पतंग उड़ाते, कितने मोती पिरोते,
हुक्‍के का दम लगाते, हँस-हँस के शाद होते।
सौ-सौ तरह का कर कर बिस्‍तार पैरते हैं,
इस आगरे में क्‍या-क्‍या, ये यार, पैरते हैं॥

हरिशंकर परसाई जी की किताब “ प्रेमचन्द के फटे जूते ” से कुछ अंश ( पार्ट-1 )

हरिशंकर परसाई जी की किताब “ प्रेमचन्द के फटे जूते ” से कुछ अंश ( पार्ट-1 )

दानवों के सहयोग के बिना वे लक्ष्मी प्राप्त ही नहीं कर सके। तो अपनी अर्थव्यवस्था का जो समुद्र है उसके मंथन के लिए में दानवों से समझौता करूं, तब लक्ष्मी बाहर निकलेगी। फिर भी क्या ठिकाना कि वह मुझे मिल ही जाएगी। मामूली देवता तो असंख्य थे, पर लक्ष्मी उन्हें कहाँ मिली? वह सीधे विष्णु के पास गयी और गले लग गयी। दुसरे देवताओं ने भी कोई प्रोटेस्ट नहीं किया। करते भी कैसे? विष्णु बहुत बड़े थे-शक्ति में, धन में, रूप में और चातुर्य में। स्त्री बनकर जिसने अपने दोस्त शंकर को ठग लिया, उसकी चतुराई की कोई कमी नहीं थी। लक्ष्मी सीधी ‘मोनोपली में जाकर मिल गयी।

Kafka On The Shore | Haruki Murakami | Mesmerizing & Bizarre Dreams

Kafka On The Shore | Haruki Murakami | Mesmerizing & Bizarre Dreams

And a thought hits me – the axis of time. Somewhere I don’t know about, something weird is happening to time. Reality and dreams are all mixed up, like sea water and river water flowing together. I struggle to find the meaning behind it all, but nothing makes any sense.

The Birds – Alfred Hitchcock At His Best

The Birds – Alfred Hitchcock At His Best

Alfred Hitchcock एक ऐसे director हैं जो किसी भी व्यक्ति, वस्तु, पक्षी और जो कुछ भी सोच पाओ – कुछ भी मतलब कुछ भी – किसी भी चीज से thrill create कर सकते हैं। It can be seen in The Birds.

The Birds 1963 की फिल्म है और ये भी Alfred Hitchcock की किसी भी चीज से thrill create करने के कला के बारे में कहानी कहती है। 

Eeb Allay Ooo! | The Perfect Cinema by Director Prateek Vats

Eeb Allay Ooo! | The Perfect Cinema by Director Prateek Vats

एक सीन में republic day यानि 26 जनवरी की परेड चल रही है। बहुत से बंदर भगाने वाले आस पास हैं जिससे बंदर ना आ जाएँ। और फिर सामने से बंदरों की ही झांकी निकलती है और सब ताली बजाते हैं। ये अपने आप में बहुत ironic है। अंजनी की नजरों से देखने पर हँसी आती है। लेकिन तुरंत कुछ खयाल भी आते हैं।

नौकरी देने से पहले documentary दिखाई जाती है बंदरों पर जिसमे कहा जाता है कि – पहले इंसानों ने इन्हे भगवान का दर्जा दिया। खाने को प्रसाद और दूसरी चीजें दीं। तो इनका हौसला बढ़ गया। इन्हे लगता है कि इन्हे खाना खाने के लिए खाना ढूँढने की जरूरत नहीं है।