Eugene Ionesco’s The Chairs और धोखा | एक पत्र

Eugene Ionesco’s The Chairs और धोखा | एक पत्र

Eugene Ionesco का नाटक The Chairs पढ़ा सखी।

ऐसा लगा धोखा दिया हो उन्होंने अंत में। पढ़ने के बाद चुप रहा बहुत देर तक। आखिरी के पलो में ऐसा लगा जैसे बहुत कुछ हाथ आया था और एक दम से छूट गया। जीवन के इतना समीप। ऐसा लगा जैसे Godot एक बार फिर आने का वादा करके चला गया और Ionesco वो बच्चा हैं जो पहले बताने आए थे कि Godot आएगा पर फिर झूठ निकला।

Samuel Beckett’s The Complete Dramatic Works | Truth Beyond Words

Samuel Beckett’s The Complete Dramatic Works | Truth Beyond Words

बहुत सी रातों में अपने मरने का सपना देखा है। पर मरने के ठीक एक पहले हम आँख खोलकर खुद को मृत्यु से बचा लेते हैं। ये इंसान होने की चालाकी है। पर वो एक क्षण जिसमें हम मृत्यु से जीवन के बीच की दूरी पार करते हैं – वो क्षण भरा मिला है निरीह चुप्पी से। हर बार। जहाँ शब्द हमेशा जो कहा जा रहा है उसके आड़े आए हैं। उस एक क्षण में निश्चित मृत्यु का इंतज़ार है पर मृत्यु नहीं। और फिर तुरंत हमें धड़कन महसूस होती है और हम खुश होकर उस एक क्षण को बीती यादों के बक्से में बंद कर देते हैं।

तीन एकांत – निर्मल वर्मा | एकांत का सुख है

तीन एकांत – निर्मल वर्मा | एकांत का सुख है

कभी-कभी मैं सोचती हूँ कि मरने से पहले हममे से हर एक को यह छूट मिलनी चाहिए कि हम अपनी चीर-फाड़ खुद कर सकें। अपने अतीत की तहों को प्याज़ के छिलकों की तरह एक-एक करके उतारते जाएँ – आपको हैरानी होगी कि सब लोग अपना-अपना हिस्सा लेने आ पहुचेंगे, माँ-बाप, दोस्त, पति – सारे छिलके दूसरों के, आखीर की सुखी डंठल आपके हाथ मे रह जाएगी, जो किसी काम की नहीं, जिसे मृत्यु के बाद जला दिया जाता है, या मिट्टी के नीचे दबा दिया जाता है।

आगरा बाज़ार – हबीब तनवीर साहब की Time Travelling Machine

आगरा बाज़ार – हबीब तनवीर साहब की Time Travelling Machine

अदना, गरीब, मुफलिस, जरदार पैरते हैं,
इस आगरे में क्‍या-क्‍या, ऐ यार, पैरते हैं।
जाते हैं उनमें कितने पानी में साफ सोते,
कितनों के हाथ पिंजरे, कितनों के सर पे तोते।
कितने पतंग उड़ाते, कितने मोती पिरोते,
हुक्‍के का दम लगाते, हँस-हँस के शाद होते।
सौ-सौ तरह का कर कर बिस्‍तार पैरते हैं,
इस आगरे में क्‍या-क्‍या, ये यार, पैरते हैं॥

A Soldier’s Play – नाटक  समीक्षा | Play Review

A Soldier’s Play – नाटक समीक्षा | Play Review

कोई नाटक किसी समय की सोच और उस से जुड़े सवाल इतने पारदर्शी और सुंदर ढंग से कह सकता है, मैंने सोचा नहीं था। इसको पढ़ने के बाद अच्छे से समझ में आता है कि क्यूँ Charles Fuller को इस नाटक के लिए Pulitzer Prize मिला होगा।

नाटक में जीवन कैसा होना चाहिए?

नाटक में जीवन कैसा होना चाहिए?

जीवित पात्र! नाटक में जीवन जैसा है वैसा नहीं बल्कि ‘जैसा होना चाहिए’ वैसा दिखाना होता है; सपनों वाला जीवन।