Blindness by Jose Saramago | Stark Whiteness | EkChaupal

Blindness is a novel by Nobel Laureate Jose Saramago. It was published in 1995. The novel is set in a unnamed city where suddenly blindness spreads like a pandemic. Below is the talk reader had with himself during reading experience of the novel.

I think we are blind, Blind but seeing, Blind people who can see, but do not see.

Jose Saramago (Blindness)

एक : हम सब सभ्यता के बीच खुद को बंधा हुआ पाते हैं। जैसे ही हमें मौका मिलता जहां सभ्यता के नियम छोड़े जा सकें, हम देर नहीं करते। ये हमारी आज़ादी का तरीका है।

दो : किसकी बात कर रहे हो?

एक : हम सबकी!! किसी भी उदाहरण को देख लो। Jose Saramango के उपन्यास Blindness में जैसे ही सब अंधे एक जगह इकट्ठे होते हैं और जानते हैं कि सारे नियम जिसमें वो शुरू से रहते आए हैं पीछे छूट गए हैं, सबके भीतर का सच बाहर आता है। अंधे हैं तो सब अंधे हैं। कोई किसी को नहीं देख सकता। कोई किसी का सच नहीं छू सकता। जब देखे जाने का डर हट जाता है तब हर कोई समाज और सभ्यता के नियम किनारे कर देता है। यहाँ तक के इंसान होने के जितने नियम हैं सब किनारे हो जाते हैं।

दो : तुम एक के कारण कह रहे हो?

एक : नहीं, सबके साथ ऐसा होता है। केवल डॉक्टर और उसकी पत्नी की बात नहीं है। और वैसे भी मुझे अच्छा लग रहा है कि अभी तक कहानी में किसी का नाम नहीं बताया गया है। जैसे कि हम भी अंधे हों। और ये कैसा अंधापन है कि सब सफ़ेद है। इतना साफ कि कुछ नहीं दिखता।

दो : तुम्हें डर लग रहा है?

एक : थोड़ा। मुझे मालूम है कि कहानी में आगे कुछ वीभत्स होगा। नियमों का डर हटते ही हमारे भीतर कोई मूक जंगली जानवर अपना सोना छोडकर जाग जाता है। तब वो क्या करेगा इसका अंदाजा है, लेकिन उसका सामना करते ही मुझे क्या होगा, मुझे नहीं पता।

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What meaning do tears have when the world has lost all meaning?

Jose Saramago (Blindness)

मैं एक तरफ के पाले में बैठकर दूसरी तरफ के पाले के बारे में सोचता हूँ। किसी एक जगह देर तक टिक न पाना। मुझे किताब के पास जाना है। अजीब सी बेचैनी। घुटन। कि अभी नहीं पहुंचा तो कभी नहीं पहुँच पाऊँगा। सारा समय होने के बावजूद समय के खत्म होने का डर हर वक़्त कनपटी पर दस्तक देता रहता है।

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For the moment we still live on the memory of what we felt.

Jose Saramago (Blindness)


सुबह उठते ही उपन्यास खत्म करने की बेचैनी। और धीमे धीमे अंत की तरफ बढ़ते हुए आखिरी कदम गिनने लगा।

एक : तो पता अंत में…

दो : श.. अंत मत बताओ।

एक : क्यूँ?

दो : अंत का प्रभाव बताओ। अंत का सहारा लेकर प्रभाव को धुंधला मत करो।

एक : अच्छा। पता नहीं अंत की तरफ लगा कि Saramago भटकाना चाह रहे हैं। वो बहुत ज्यादा explain करने के पर्दे पीछे छिपकर अंत को रोक्न चाहते हैं। कुछ चीज़ें बेवजह लगी। पर एक घटना ने दिल दहला दिया।

दो : क्या हुआ?

Replies do not always come when needed, and it ofetn happens that the only possible repoly is to wait for them.

Jose Saramago (Blindness)

एक : तुम्हारा विश्वास किस पर है? कि कुछ भी हो जाए कोई कोई न कोई देखता रहेगा। उसके लिए शुरुआत से हमने इतने मंदिर, मस्जिद, गिरिजे बना रखे हैं। वहाँ आँखें हैं जो सब देखती हैं। और हमें लगता है कि ये आँखें सब संभाल लेंगी। पर जब कुछ इतना वीभत्स होता है तो उन आँखों का क्या?

एक गिरिजाघर में कोई अंत में हारकर या डरकर या पता नहीं किस वजह से हर मूर्ति, हर पेंटिंग, जहां जहां भी आँखें हैं उस पर सफ़ेद पट्टी चढ़ा देता है। वो ईश्वर को बचाना चाहता है कि वो ये सब न देखें।

दो : अजीब सा कौतूहल कि ये ईश्वर को अपने समान करने की कोशिश है ये फिर कुछ नहीं तो ईश्वर को इस सबसे बचा लेने की रिरियाती सी कोशिश।

एक : और फिर जब सबको पता चलता है कि अब ईश्वर भी उन्हें नहीं देख पा रहा है, सब… सब खत्म हो जाता है। एक अफरा तफरी जिसका कोई सिरा नहीं। मैं बहुत देर तक उसको पढ़ने के बाद मौन बना रहा। खुदकों वहाँ रखने की बहुत कोशिश की लेकिन… Saramago ने जब लिखा होगा तब उन पर क्या बीती होगी सोचकर अजीब सी बेचैनी होती है।

दो : तो अंत में क्या कहना है?

Images see with the eyes of those who see them.

Jose Saramago (Blindness)

एक : यही कि उपन्यास एक ऐसे संसार में बांधता है जो चारों तरफ है। हमारे भीतर पल रहे अंधेपन को उजागर करने में Saramago इतने सघन तरीके से सफल कहानीकार बन जाते हैं कि उनके पास बैठकर सुकून से सब ठीक है कहने का मन करता है। हर थोड़ी देर में Orwell के उपन्यास याद आने लगे पर Saramago में एक बूढ़े बच्चे की आशा है… उनका संसार अलग तरीके से operate करता है। Orwell में जहां किसी को जिम्मेदार ठहरा कर अपने आप से पीछा छुड़ाया जा सकता है, Saramago के साथ वैसा नहीं कर पाते। क्यूंकी वो बहुत बारीकी से हमारे भीतर की बातें बाहर लाते हैं। और उनके पात्रों और उनके संसार मे कुछ देर भी खुद को छोडकर लगता है कि हाँ, मैं भी वैसा ही करता।

दो : और structure?

एक : Saramago इतने अच्छे ढंग से कहानी सुनाते हैं कि लगता है कि वो हर पहलू दिखाना चाहते हैं इसके बावजूद कि एक अजीब किस्म के अंधेपन से मैं भी गुज़र रहा हूँ। Blindess में मेरे लिए किसी के भी चेहरे देख पाना मुश्किल है। क्यूँ? क्यूंकी नाम नहीं है। सिर्फ सामाजिक औहदे हैं। और फिर हर कुछ देर में Saramago कभी sarcastic हो जाते हैं, कभी मज़ाक उड़ाते हैं, कभी सहानुभूति और कभी… साथ देते हैं। जब पूरी तस्वीर सामने आती है तो लगता है कि एक हाड़ मांस का बना इंसान सामने है पर उसको पहचानने के लिए हमारे पास आँखें नहीं हैं।

Even though I may not lose my eyesight I shall become more and more blind because I shall have no one to see me.

Jose Saramago (Blindness)

All lives end before their time.

Jose Saramago (Blindness)

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