विनोद कुमार शुक्ल की किताब कविता से लंबी कविता पढ़ने के Top 10 कारण
गीत चतुर्वेदी जी ने अपने interview में कहा है कि विनोद कुमार शुक्ल हवा में सरलता से चलने वाले कवि हैं और व्योमेश शुक्ल ने लिखा है – “ज़िंदगी कितनी कम विनोद कुमार शुक्ल है।” और फिर आप जब एक बार इनके संसार में कदम रखते हैं तो आप जमीन से दो इंच ऊपर ही चलेंगे।
विनोद कुमार शुक्ल जी की कविताएँ सपनों से कम नहीं और उन्हीं सपनों को इतनी सरलता से लिखना – ये अद्भुत है।
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अभी- अभी किताब कविता से लंबी कविता किताब पढ़ी है और इस समय जिस zone में हूँ उसको केवल विनोद कुमार शुक्ल के संसार को जानने वाला ही समझ सकता है। इस किताब में उनकी बेहद लंबी कविताओं का संकलन मिलेगा जो अपने में एक सुख है।
तो विनोद कुमार शुक्ल और उनकी किताब कविता से लंबी कविता पढ़ने के Top 10 कारण ये रहे –
विनोद कुमार शुक्ल की किताब कविता से लंबी कविता के और बिम्ब की झलक के लिए ->
1. आसान बिम्ब(Image)
जो इमेज विनोद कुमार शुक्ल अपने शब्दों से गढ़ते हैं वो बहुत आसानी से आँखों के सामने आ जाती है-
भविष्य के गर्भ में उलट पड़ा हुआ बहुत गरीब बच्चा वर्तमान में पैदा हुआ। -कविता - रायपुर विलासपुर संभाग
सिर्फ तीन लाईनों में इतनी आसानी से social image को बनाना सुंदर नहीं तो क्या है!
2. शब्दों का सुंदर खेल
देखना एक जिंदा उड़ती चिड़िया भी ऊँची खिड़की से फेंक दिया किसी ने मरी हुई चिड़िया बाहर का भ्रम कचरे की टोकरी से फेंका हुआ मरा वातावरण मर गया एक बैल जोड़ी की तरह एक मुश्त रायपुर और बिलासपुर इसे महाकौशल कहूँ या छत्तीसगढ़ ! ! -कविता - रायपुर विलासपुर संभाग
यहाँ पर खेल बस शब्दों का है और comma का। उन्होंने comma लगाने की आज़ादी हमें दे दी है। जहाँ पर भी comma लगाएंगे – अर्थ बदल जाएगा। और हर कोई comma अपने पिछले experiences के basis पर ही लगता है।
एक अर्थ ये भी हो सकता है कि- जिंदा चिड़िया को उड़ता देखना उस भ्रम के समान है कि किसी ने खिड़की से मरी हुई चिड़िया बाहर फेंक दी हो और कचरे की पेटी से बाहर फेंकी हर चीज मरी होती है तो वो बन गई वातावरण और फिर रायपुर और बिलासपुर का comparison एक जोड़ी बैल से करना और उनके मरने की बात! इससे सुंदर कुछ पढ़ा है?
3. अपने से जूझते व्यक्ति का बिम्ब
सारा बाहर कमरे की खिड़की- दरवाजे बंद होते ही बरामदे में रुक गया। -कविता - टहलने के वक़्त।
ये image बार बार पढ़ने लायक सुंदर है!
मेरे साथ अंदर आना चाहता है- सारा बाहर, दृश्य मुझको ठेलकर मुझसे आगे जाना चाहता है कमरे के अंदर बदमाश ! गुंडा !! रईस !!! -कविता - टहलने के वक़्त।
कहते हैं कि “कला आंतरिक द्वन्द्व से उत्पन्न होती है”। और जूझता तो हर व्यक्ति अपने आप से है – लेकिन हर कोई उसको महसूस करके शब्दों के जरिए सुंदर तारीके से कह पाए, ये मुमकिन नहीं। इसीलिए एक कवि की value बढ़ जाती है।
और शब्द अति सुंदर हों तो बात ही क्या! आप पढ़ के देख लीजिए, शब्द सुंदरता की परिभाषा पर खरे उतरेंगे। और कवि की कविताओं में अगर आपको अपना द्वन्द्व या conflict मिल जाए तो बात ही क्या।
4. अपने एकांत का explanation
हुआ यह कि जहाँ मुझे जाना है और जहाँ मैं वापिस हूँ उस पूरी दूरी तक मैं खड़ा-खड़ा ऊब गया हूँ -कविता - टहलने के वक़्त
ये lines दो बिम्ब बता सकती हैं। एक नजरिए से देखा जाए तो एकांत का चित्र है और दूसरे नजरिए से (जो कि मेरे मित्र ने मुझे दिखाया) ये भविष्य के सपनों का बिम्ब है। एकांत के हिसाब से ये कि आप अकेले हैं, आप विचारों में जहाँ जाना चाहते हैं और जहाँ हैं, उस दूरी के बीच जो अस्तित्व है वो सिर्फ आपका है।
और भविष्य के नजरिए से आप जहाँ पहुंचना चाहते हैं, for example करना कुछ और चाहते हैं और नौकरी किसी और चीज में कर रहे हैं। तो इंसान ऊब जाता है उस दूरी की बीच जिसमें भविष्य की इच्छाएँ और वर्तमान की स्थिति निहित है।
5. खुद के विस्तार का बिम्ब
दोनों हाथ निकाल अपने दोनों हाथों को सम्पूर्ण बाहर में शामिल कर लेता हूँ। -कविता - टहलने के वक़्त।
कौन नहीं चाहता कि खुद का विस्तार हो – विस्तार मतलब expansion. हर इंसान चाहता है और अगर उसकी झलक आपको कविता में मिल जाए तो क्या ही सुंदर बात है! विनोद कुमार शुक्ल को धन्यवाद देंगे आप जब ये कविता पूरी पढ़ेंगे।
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6. छाया का बिम्ब
एक चिड़िया गई एक चिड़िया की छाया गई पेड़ की छाया टुकड़े-टुकड़े चिड़ियों की छाया होकर चली गई चिड़ियों के साथ। -कविता - विचारों का विस्तार इस तरह हुआ
कभी कभी होता है कि कुछ शब्द अपनी छाप या कह लो छाया छोड़ जाते हैं। और ये वही कुछ शब्द हैं। इसे कितनी बार भी पढिए हर बार कुछ छाया आपके मन के ऊपर रह जाएगी। इस पूरी कविता में ऐसे बिम्ब आपको अनगिनत मिलेंगे।
7. जंगल बनने का बिम्ब
सब तरफ जाने के लिए पेड़ का कदम अगला एक दूसरा पेड़ ही होगा एक पेड़ का आगे बढ़ते जाने का मतलब सिलसिला पेड़ों का। -कविता - विचारों का विस्तार इस तरह हुआ
पेड़ को मन के खयाल मान के देखिए और फिर मतलब निकालिए। अगर image बने तो comment में बताईएगा।
8. भविष्य का बिम्ब
अच्छे भविष्य का विश्वास पहले अच्छा भविष्य बाद में होने के लिए काम करने की शुरुआत पहले काम खत्म करने के लिए। -कविता - विचारों का विस्तार इस तरह हुआ
वो कवि ही क्या जो कुछ सीख ना दे। और यहाँ पर क्या खूबसूरत सीख दी है! क्यूंकि अगर आप विश्वास नहीं करेंगे कि कुछ मुमकिन है तो उसके लिए काम कैसे करेंगे?
9. विनोद कुमार शुक्ल के आम आदमी होने का बिम्ब
मेरी बचत का रुपया हर बार खर्च हुआ बाप के उधारखाते में मेरा नाम दर्ज हुआ जब भी थोड़ा तंदरुस्त हुआ बहुत बीमार हुआ। -कविता - तीन मीटर खुशबू के अहाते में उगा हुआ गुलाब
विनोद कुमार शुक्ल की सबसे अच्छी बात ये है कि वो बहुत सरल हैं। आम हैं। और ये उनकी कविता में हमेशा सतह के नीचे छिपा मिलेगा। यहाँ पर प्रत्यक्ष है और ये अपने में सुंदर है।
10. कल्पना का बिम्ब
या लोग कोई झोपड़ी नहीं के अंदर जाकर कोई दरवाजा नहीं को बंद कर लेते कोई खिड़की नहीं को खोल लेते या छोटा-सा झरोखा भी नहीं के पास जाकर बैठ जाते हैं दुनिया देखते हैं। -कविता - तीन मीटेर खुशबू के अहाते में उगा हुआ गुलाब
कल्पना- imagination. हम सभी को इससे प्यार है और अगर ये किसी कविता में बखूबी झलके तो सुंदर लगती है। तो बस यहाँ पर वो कल्पना देखिए।
और पढ़ने के लिए – विनोद कुमार शुक्ल की किताब कविता से लंबी कविता के और बिम्ब
ऐसे ही और images के लिए विनोद कुमार शुक्ल के संसार में घुसिए। और किसी ने कहा है कि “जंगल में कहीं से भी घुसा जा सकता है” । तो उसी का एक रास्ता ये रहा –
कविता से लंबी कविता
ये भी देखिए-
विनोद कुमार शुक्ल की किताब कविता से लंबी कविता पढ़ने के और कारण
दूधनाथ सिंह की किताब युवा खुशबू और अन्य कविताएँ पढ़ने के कारण – part 1
दूधनाथ सिंह की किताब युवा खुशबू और अन्य कविताएँ पढ़ने के कारण – part 2

बिखेरने की आज़ादी और समेटने का सुख – लिखने की इससे बेहतर परिभाषा की खोज में निकला एक व्यक्ति। अभिनय से थककर शब्दों के बीच सोने के लिए अलसाया आदमी।
3rd ज़रा समझायेगा कोई पूरा क्या है???
Dekhiye, 3rd mein do jhalkiyan hain –
सारा बाहर
कमरे की खिड़की- दरवाजे बंद होते ही
बरामदे में रुक गया।
-कविता – टहलने के वक़्त।
— sochiye ki aap bahar se aayein hain aur aakar kamre ke andar aakar khidki darwaje band kar liye. Ab jo bahar hai wo bahar hi rahega. Isko do maani ho sakte hain- ek hai ki andar aur bahar hamesha andar aur bahar hi rehta hai. Dusra ye, ki agar naukri ki trah dekha jaye to aam aadmi apni naukri ghar me aane par bahar chhod deta hai. Wo bahar afsar hoga lekin ghar par gharelu hi. To bahar khidki darwaje band hote hi bahr ruk jat hai.
Ek pratyakshta ka pehlu hai. Ki bahar hamesha bahar rehta hai. Bahar ke jo khyal hain wo ghar me aane par bahar ke ho jate hain. Fir aap ghar ki chizo me ram jate hain.
(Ye mera personal interpretation hai. Interpretation badal bhi sakte hain.)
मेरे साथ अंदर आना चाहता है-
सारा बाहर,
दृश्य मुझको ठेलकर
मुझसे आगे जाना चाहता है कमरे के अंदर
बदमाश ! गुंडा !! रईस !!!
-कविता – टहलने के वक़्त।
(firse, ye mera personal interpretation hai. Thoughts differ bhi kar sakte hain.)
Koi aur sawal ho to puchiye. Asha hai aapki curiosity ko thodi si raht mili hogi.
Bahut bahut shukriya Arun. Bilkul ab mera bhi bimb ban gaya poora.